इंसान की प्राकृतिक औषधिय में बढ़ती रूची के वजह से एलोवेरा की व्यापार को एक नया स्वरुप मिला है. लघु उद्योगों से लेकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने एलोवेरा का वयापार करके करोड़ो रुपए कमा रहे हैं. आज के समय में एलोवेरा को लेकर लोगों में काफी जागरूकता आई है और इसलिए किसानों के बीच एलोवेरा की खेती का प्रचलन बढ़ता जा रहा है. एलोवेरा का प्रयोग औषधिय तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है.
जानकार यह बताते हैं कि एलोवेरा की खेती करते हुए एक एक हेक्टेयर में केवल 50 हजार रुपए खर्च करके लगातार पांच साल तक 8 से 10 लाख रुपए कमाया जा सकता है. इसके अलावा,एलोवेरा कि प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर व जूस बेचकर भी अच्छी कमाई की जा सकती है
कैसे करे एलोवेरा की खेती:
एलोवेरा की खेत में एक बार प्लांटेशन के बाद 3 साल तक इसकी फसल ली जाती है. एलोवेरा की आईसी 111271 ,आईसी 111269 और एएल - 1 हाइब्रिड प्रजाति देश के लगभग हर क्षेत्र में उगाई जा सकती है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अनुसार एक हेक्टेयर में एलोवेरा प्लांटेशन का खर्च लगभग 27500 रुपये आती है, मजदूरी और खेत की तैयारी और खाद आदि को जोड़कर पहले साल ही ज्यादा ख़र्च आता है. और यह खर्च लगभग 50 हजार रूपये तक पहुंच जाता है. एलोवेरा के एक हेक्ट्रेर में लगभग 40-45 टन मोटी पत्तिया हो जाती है देश की विभिन्न मिट्टी में इन पतियों की 15,000 से 25,000 हजार तक प्रति टन की कीमत मिल जाती है दूसरे या तीसरे साल में पत्तिया 60 टन तक हो जाती है फिर चौथे व पाँचवे साल इसके उत्पादन में 20 से 25 प्रतिशत तक गिरावट आ जाती है.
जूस की कमाई :
यदि आप चाहें तो 7-8 लाख रुपये के निवेश के साथ खुद का एलोवेरा जूस बिजनेस भी शुरू कर सकते हैं. बाजार में इसकी मशीन लगभग सात लाख में उपलब्ध हो जाती है इससे प्रतिदिन 150 लीटर जूस बनाया जा सकता है. 1 लीटर जूस बनाने में रु.40 खर्च आता है. इस जूस को सीधे कम्पनियों को बेची जाती है. एलोवेरा जूस बनाने का सयंत्र एसएमई श्रेणी में आता है सरकार इसके बिजनेस के लिए 90 प्रतिशत तक लोन देती है जो पहले 3 साल के लिए ब्याज मुक्त होता है खादी ग्रामोद्योग इस लोन पर 25 प्रतिशत की सब्सिडी भी देती है.
लेखक :
सुजीतपाल
जिम्मी (पत्रकार) कृषि जागरण के द्वारा एडिट
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