भारत के कई राज्यों में सेब की खेती की जाती है. इसकी खेती से किसानों को अच्छी उपज के साथ-साथ अच्छी आमदनी भी मिलती है. इसकी खेती ज़्य़ादातर ठंडे प्रदेशों में होती है, लेकिन हमारे देश को सेब की सबसे ज़्यादा पैदावार हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर से मिलती है. हिमाचल प्रदेश का सेब देशभर में मशहूर है.
इस सेब को देश-विदेश के लोग खूब चाव से खाते हैं. बाज़ार में हिमाचल के सेब की खूब मांग होती है, इसलिए इसको देशभर की कई मंडियों में पहुंचाया जाता है. इसकी खेती बागवानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, लेकिन कई बार सेब के पेड़ों में कई तरह के रोग लग जाते हैं, इसलिए बागवान को इसका खास ख्याल रखना चाहिए.
बागवान रहें सर्तक (Gardeners be careful)
हाल ही में कृषि विशेषज्ञों ने उन बागवानों को सर्तक रहने के लिए कहा है, जो सेब की खेती कर रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि सेब के पड़ों पर कैंकर और वूली एफिड जैसे रोग हमला कर सकते हैं, इसलिए बागवानों को सलाह दी गई है कि सेब के पड़ों को इस हमले से बचा कर रखें.
बागवान कैसे बचाएं सेब के पेड़ (Gardeners How To Save Apple Trees)
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि बागनावी सेब को कैंकर और वूली एफिड हमले से बचाने के लिए पेड़ों की प्रूनिंग मार्च से पहले कर दें, इससे पेड़ों के घाव आसानी से भर जाएंगे. इसके अलावा समय रहते पेड़ों की टहनियों की काट-छांट कर दें. साथ ही सेब के पेड़ों में बोडो मिक्सचर का छिड़काव कर दें. इससे फलों की पैदावार अच्छी प्राप्त होती है.
क्या है बोडो मिक्सचर (What is Bodo Mixture)
इसमें नीला थोथा और चूने को पानी के साथ मिलाकर घोल तैयार किया जाता है. यह घोल लगभग 25 से 30 पेड़ों में छिड़काव के लिए उचित रहता है.
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क्यों करना चाहिए पेड़ों की प्रूनिंग (Why should trees be pruned?)
सेब के पेड़ों में पौध रस चलने के समय पेड़ों की प्रूनिंग करना उचित रहता है, क्योंकि सुप्तावस्था में पेड़ों की टहनियों की काट-छांट करने पर पेड़ों पर कैंकर और वूली एफिड का हमला हो सकता है, इसलिए बागवानों को फरवरी-मार्च के बीच पेड़ों की प्रूनिंग कर देना चाहिए.
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