खेती को घाटे का सौदा मानकर खेती से पूरी तरह से मोह भंग कर चुके ग्रामीण युवाओं के लिए उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले मामा भांजे की जोड़ी प्रेरणा का स्त्रोत हो सकती है. दरअसल इस जोड़ी ने नौकरी का मोह त्याग कर पूरा ध्यान पॉली हाउस पर लगा दिया है. पॉली हाउस में वह फूलों की खेती करके न केवल मुनाफा कमा रहे है बल्कि उन्होंने 25-30 लोगों को रोजगार भी दे रखा है. दरअसल साल 2016 में उन्होंने 4 हजार स्क्वायर वर्ग फीट में पॉली हाउस को शुरू किया था जिसका क्षेत्रपल बढ़कर अब 12 हजार स्क्वायर फीट से ज्यादा हो गया है. पिछले कई सालों में परंपरागत खेती से किसानों का ध्यान और उनके बेटों का मोह पूरी तरह से भंग होने लगा है, इसीलिए वह अपने ही गांव के अंदर पॉली हाउस नेट को लगाकर खेती करने के कार्य को करने लग गए है. वह बताते है कि पॉली हाउस में उन्होंने जरबेरा की खेती की है. इसमें लाल, पीला, गुलाबी, संतरा, सफेद रंग के काफी फूल होते है.एक पौधे से वर्ष में 30 से40 फूलों को तोड़कर खेती की जाती है. साथ ही आने वाले दिनों में तकिसान तेजी से पॉली हाउस की खेती को करने का कार्य तेजी से कर रहे है ताकि इसे सहारे वह अपनी आमदनी को बढ़ा सकें. इसके अलावा पॉली हाउस के बाहर ग्लोडियस फूल तरबूज की खेती भी सफलतापूर्वक हो रही है.
पॉली हाउस का गणित
किसान मोहति का कहना है कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत लगाए गए उनके 12500 वर्गमीटर के पॉली हाउसमें जरबेरा के कुल सवा लाख पौध लगे हुए है. इनमें 30 लाख फूल लगभग प्रतिवर्ष प्राप्त हो जाते है, जो कि औसतन तीन से चार रूपये प्रति फूल के हिसाब से मंडी में बिक जाते है. इसमें वह पूरा खर्च काट लेते है तो उनको वर्ष में ठीक मुनाफा हो जाता है. इसमें से पॉली हाउस लागने के लिए जो भी जोन लिया गया है उसकी पूरी किश्त जमा की जाती है.
25 लोगों को मिल रहा काम
उनका कहना है कि इस कार्य के जरिए पॉली हाउस में 25 श्रमिक नियमित रूप से कार्य कर रहे है जिनमें काम करने वाली अधिकांश महिलाएं है. जो कि पौधों की निराई और गुड़ाई का कार्य प्रतिदिन करती है साथ ही वह पैकिंग का कार्य भी करती है. ज्यादातर महिलाएं पॉली हाउस मे अच्छा कार्य कर रही है और काफी एक्सपर्ट हो गई है. जनपद में कुल 40 से ज्यादा पॉली हाउस लगे हुए है. इसमें नियमित रूप से 6-7 लोगों को काम मिल जाता है.
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