हम सभी ने अपने बचपन में जामुन जरूर खाए होंगे. यह देखने में काले और छोटे होते हैं, लेकिन आयुर्वेद की मानें, तो जामुन (Jamun) में बहुत सारे औषधीय गुण पाए जाते हैं. जैसे ही बरसात का मौसम शुरू होता है, वैसे ही बाजार में हर तरफ जामुन नजर आने लगते हैं, लेकिन फिर भी जामुन की व्यवस्थित बागवानी प्रचलित नहीं है.
फिलहाल, जामुन को यूरोपीय देशों में निर्यात करने की योजना बनाई जा रही है. जहां लोग इस तरह के दुर्लभ और विदेशी उत्पाद के लिए प्रीमियम मूल्य का भुगतान करने के लिए तैयार हैं. बता दें कि जामुन अधिकतर यूरोपीय बाजारों में एक दुर्लभ फल माना जाता है, लेकिन अगर इस फल के व्यवस्थित निर्यात को प्रोत्साहित किया जाए, तो उत्पादक और निर्यातक, दोनों इससे अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं.
सड़क के किनारे पाए जाने वाले जामुन की जानकारी
आम तौर पर, जामुन को सड़क के किनारे पाए जाने वाले पेड़ों से प्राप्त होने वाली फलों की श्रेणी में रखा जाता है. यह एवेन्यू के पेड़ के रूप में भी जाना जाता था. इसके भविष्य को देखते हुए, लगभग 15 साल पहले आईसीएआर और सीआईएसएच ने शोध करना शुरू किया था, क्योंकि इसके बीज, पौधों के रूप में उगाये जाते रहे है और इसकी कोई मानक किस्में भी नहीं थीं. यह नहीं पता होता था कि पौधे मातृ वृक्ष के समान उच्च गुणवत्ता वाले फल देंगे या नहीं. नतीजतन, संस्थान की तरफ से जामुन की किस्मों, कटाई और छटाई की तकनीक पर शोध करना शुरू किया गया.
टिकाऊ खेती पर प्रश्नचिन्ह
सभी जानते हैं कि जामुन के फल तोड़ने के बाद जल्दी ही खराब हो जाते हैं, इसलिए इसकी टिकाऊ खेती के बारे में प्रश्नचिन्ह लगना स्वाभाविक है. यदि बड़े पैमाने पर जामुन की खेती कर ली जाए, तो फल की अधिकता की वजह से खराब होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में संस्थान ने जामुन से मूल्य वर्धित पदार्थों के विकास पर भी कार्य शुरू किया. इस तरह अधिक उत्पादन को प्रसंस्करण करके मूल्य वर्धित पदार्थ बनाए जा सकते हैं और फलों को खराब होने से बचाया जा सकता है.
प्री-मानसून बारिश में जामुन की भरमार
महाराष्ट्र और गुजरात में जामुन जल्दी तैयार हो जाते हैं, इसलिए प्री-मानसून में इसकी भरमार हो जाती है. ऐसे में किसान जामुन की तुड़ाई पहले कर सकते हैं. इस तरह दिल्ली के बाजार में जामुन की आपूर्ति की पूर्ति करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
उत्तर प्रदेश का जामुन किसी से कम नहीं
अगर उत्तर प्रदेश के जामुन की बात करें, तो यह अन्य राज्यों से गुणवत्ता में कम नहीं है, लेकिन अन्य राज्यों को उनकी भौगोलिक स्थिति और जलवायु की वजह से ज्यादा लाभ मिलता है.
जामुन है सबसे महंगा स्वदेशी फल
जैसे ही जामुन का मौसम शुरु होता है, वैसे ही इसे बाजार में सबसे महंगा स्वदेशी फल माना जाता है. इसके मौसम में लोग एक किलोग्राम जामुन के लिए 300 रुपए देने से भी नहीं हिचकते हैं. भारत में जामुन एक आम फल है, लेकिन इसे यूरोपीय बाजारों में दुर्लभ माना जाता है. मगर मौजूदा समय में जामुन के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ रही है, इसलिए इसके निर्यात से लाभ कमाने के लिए इसकी खेती का विस्तार किया जा सकता है .
जामुन पर नया शोध
जानकारी के लिए बता दें कि वैज्ञानिकों ने 20 साल के अथक प्रयासों के बाद जामुन की जामवंत किस्म को विकसित किया है. इस किस्म की खास बात यह है कि इसके सहारे मधुमेह की रोकथाम की जा सकती है. यह एंटी ऑक्साइड गुणों से भरपूर होता है. दरअसल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से संबंधित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी लखनऊ के वैज्ञानिकों ने, करीब 2 दशकों के अनुसंधान के बाद जामवंत को तैयार किया है.
खेती से संबंधित हर विशेष जानकारी के लिए पढ़ते रहिएं कृषि जागरण हिंदी पोर्टल के लेख .
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