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बेहद लोकप्रिय है अलपान केला! स्वाद, सुगंध और उच्च उत्पादन में अव्वल

अलपान केला न केवल पोषण और स्वाद के लिए बल्कि आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है. इसकी खेती किसानों को स्थिर आय प्रदान करती है और इसके औषधीय गुण इसे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बनाते हैं. इसके प्रचार-प्रसार और उन्नत तकनीकों के उपयोग से इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक लोकप्रिय बनाया जा सकता है.

डॉ एस के सिंह
डॉ एस के सिंह
Variety For Banana
बेहद लोकप्रिय है अलपान केला (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Alpan Banana: भारत में केला (मूसा प्रजाति) सबसे प्रमुख फलों में से एक है, जिसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है. देश में विभिन्न किस्मों की खेती की जाती है, जिसमें अल्पान केला अपनी खास पहचान रखता है. इसकी जेनोमिक संरचना एएबी (AAB) होती है और इसे विभिन्न प्रदेशों में चम्पा, चीनी चम्पा, कारपुरा चाक्काराकेली जैसे नामों से जाना जाता है. यह सभी किस्में मैसूर समूह के अंतर्गत आती हैं. केला न केवल पोषण में समृद्ध है, बल्कि इसकी खेती किसानों के लिए एक लाभकारी फसल भी है. भारत, दुनिया में केले का सबसे बड़ा उत्पादक देश होने के नाते, इसके उत्पादन और विविधता में अग्रणी भूमिका निभाता है.

छठ पूजा का प्रमुख फल और पानामा रोग प्रतिरोधी

यह बिहार (वैशाली, हाजीपुर), तमिलनाडु, बंगाल तथा आसाम की एक मुख्य एवं प्रचलित किस्म है. इसका पौधा लम्बा तथा पतला होता है. फल छोटे उनकी छाल पीली तथा पतली, कड़े गुद्देदार, मीठा, कुछ-कुछ खट्टा एवं स्वादिष्ट होता है. फलों का घौद 20-25 किलोग्राम का होता है. प्रति घौद 20 -22 हत्था एवं प्रति हत्था 20 -22 फिंगर्स (केला), इस प्रकार से कुल फलों की संख्या 250-450 हो सकती है. प्रकंद से लगाने पर फसल चक्र 15-16 महीने का होता है. बिहार में इसकी खेती बहुतायत से होती है क्योंकि इसका पौधा पानामा रोग के प्रति कुछ हद तक अवरोधी होता है एवं बिहार के सबसे प्रमुख त्योहार छठ में इस प्रजाति के केलो की मांग स्वाधिक होती है.

विशेष स्वाद और सुगंध के चलते पहली पसंद

बता दें, रोबस्ता, बसराई, ग्रैंड नैन, हरिछाल इत्यादि प्रजातियों के केले छठ जैसे महत्वपूर्ण त्योहार में नही चढ़ाए जाते हैं. इसमें केवल धारीदार विषाणु रोग का प्रकोप ज्यादा होता है. भारत में इस प्रजाति के केलों की खेती मुख्यतः बहुवर्षीय पद्धति के आधार पर हो रही है. बिहार के वैशाली जिले में अलपान केले का खूब उत्पादन होता है. अलपान केले की अपनी विशेषता है. विशेष स्वाद और सुगंध के कारण ये केले लोगों को खूब पसंद आते हैं.

सुगंधित, स्वादिष्ट और व्यापक आपूर्ति

फसल बीमा से बाहर, लेकिन उच्च लाभ की संभावना

जानकारी के मुताबिक, केले की खेती अब तक फसल बीमा के दायरे में नहीं आई है. बाढ़-सुखाड़ में अन्य फसलों के बर्बाद होने पर तो फसल क्षति मुआवजा मिल जाता है, लेकिन केला उत्पादकों को मुआवजा नहीं मिलता. केला को कल्पतरु कहते है इसके सभी हिस्सों का उपयोग किया जा सकता है. केला आधारित उद्योगों के लगाए जाने की आवश्यकता है, इसे 1. 8 x 1. 8 मीटर की दुरी पर लगाना चाहिए इस प्रकार से एक हेक्टेयर में 3200 पौधे लगेंगे. इसकी खेती में तक़रीबन 3 लाख रुपया लगेगा एवं फलों की बिक्री से तक़रीबन 10 से 12 लाख रुपये की आमदनी हो सकती है. यदि आभासी तने से रेशे एवं वर्मी कम्पोस्ट बनाया जाए, तो यह आमदनी कई गुना तक बढ़ाई जा सकती है.

 

अलपान केला की प्रमुख विशेषता है कि पकने के बाद इसमें सुगंध आने लगती है. कई दिनों तक सुगंध बनी रहती है. कमरे में यदि पके अलपान केले का घौद रख दिया जाए तो पूरा कमरा सुवासित हो उठता है. यह खाने में काफी स्वादिष्ट एवं मीठा होता है. वैशाली जिले में उत्पादित अलपान प्रजाति के केले की आपूर्ति देश एवं प्रदेश के विभिन्न भागों में बड़े पैमाने पर की जाती है. यहां से केला नेपाल तक जाता है. सीतामढ़ी, उत्तरप्रदेश के बलिया, गोरखपुर, वाराणसी, झारखंड के देवघर, रांची, हजारीबाग, कोडरमा सहित बिहार के पटना, जहानाबाद, गया, छपरा, मुंगेर, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, दरभंगा, मधुबनी, मोतिहारी जिले के व्यापारी यहां से केला ले जाते हैं. बिहारशरीफ से कई व्यापारी यहां से केला खरीदते हैं. लम्बी प्रजाति होने के कारण से आंधी-तूफान आ गया तो भारी नुकसान होता है.

फसल बीमा से बाहर, लेकिन उच्च लाभ की संभावना

जानकारी के मुताबिक, केले की खेती अब तक फसल बीमा के दायरे में नहीं आई है. बाढ़-सुखाड़ में अन्य फसलों के बर्बाद होने पर तो फसल क्षति मुआवजा मिल जाता है, लेकिन केला उत्पादकों को मुआवजा नहीं मिलता. केला को कल्पतरु कहते है इसके सभी हिस्सों का उपयोग किया जा सकता है. केला आधारित उद्योगों के लगाए जाने की आवश्यकता है, इसे 1. 8 x 1. 8 मीटर की दुरी पर लगाना चाहिए इस प्रकार से एक हेक्टेयर में 3200 पौधे लगेंगे. इसकी खेती में तक़रीबन 3 लाख रुपया लगेगा एवं फलों की बिक्री से तक़रीबन 10 से 12 लाख रुपये की आमदनी हो सकती है. यदि आभासी तने से रेशे एवं वर्मी कम्पोस्ट बनाया जाए, तो यह आमदनी कई गुना तक बढ़ाई जा सकती है.

उत्पत्ति और वितरण

अलपान केला मुख्यतः भारत का स्वदेशी केला है, जिसकी उत्पत्ति बिहार (हाजीपुर वैशाली) और पश्चिम बंगाल के पूर्वी क्षेत्रों में हुई मानी जाती है. इस केले की लोकप्रियता के कारण अब इसे अन्य राज्यों में भी उगाया जाने लगा है. यह केला आमतौर पर गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छे से पनपता है. 

अलपान केले की प्रमुख विशिष्टताएं

1. आकार और रूप-रेखा

अलपान केला छोटे आकार का होता है. इसका छिलका पतला और हल्के पीले रंग का होता है. केले का गूदा सफेद और मुलायम होता है, जो बेहद मीठा और सुगंधित होता है. इसका उपयोग बच्चों और बुजुर्गों के लिए पौष्टिक आहार के रूप में किया जाता है.

2. पौष्टिकता

अलपान केला अत्यधिक पौष्टिक होता है. इसमें कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन्स (जैसे विटामिन B6 और C), खनिज पदार्थ (जैसे पोटैशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम) प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं.

  • ऊर्जा का स्रोत: अलपान केला तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है और इसे खाने से शरीर में थकान कम होती है.
  • पाचन में सहायक: फाइबर की प्रचुरता के कारण यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करता है.
  • हृदय स्वास्थ्य: पोटैशियम की मौजूदगी से यह रक्तचाप को नियंत्रित करता है और हृदय संबंधी रोगों को कम करने में सहायक होता है.

3. स्वाद और सुगंध

अन्य केले की किस्मों की तुलना में अलपान केला अधिक मीठा और सुगंधित होता है. इसका स्वाद इतना उत्कृष्ट होता है कि इसे ताजे फल के रूप में या मिठाई बनाने के लिए उपयोग किया जाता है. 

4. कृषि और उत्पादन

अलपान केला की खेती में अधिक मेहनत की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि यह विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उग सकता है. इसके पौधे मध्यम आकार के होते हैं और ये लगभग 14-15 महीने में फल देने लगते हैं. इसे बाढ़ प्रभावित इलाकों में भी उगाया जा सकता है. अलपान केले की उपज प्रति हेक्टेयर अधिक होती है, जो इसे आर्थिक रूप से लाभदायक बनाती है. 

5. औषधीय गुण

  • पाचन सुधारक: अलपान केला अपच और गैस की समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है.
  • त्वचा के लिए उपयोगी: केले का गूदा और छिलका दोनों त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करने में कारगर होते हैं.
  • एनर्जी बूस्टर: अलपान केला तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है, इसलिए इसे एथलीट्स और बच्चों के आहार में शामिल किया जाता है.
  • मनोदशा सुधारक: इसमें मौजूद ट्रिप्टोफैन अमीनो एसिड तनाव कम करने और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक होता है.

आर्थिक महत्व

अलपान केला किसानों के लिए एक लाभदायक फसल है. इसका उत्पादन कम लागत में होता है और बाजार में इसकी मांग अधिक है. 

  • बाजार मूल्य: यह केला अपने स्वाद और गुणवत्ता के कारण प्रीमियम कीमत पर बिकता है.
  • रोजगार के अवसर: इसकी खेती, संग्रहण, परिवहन और प्रसंस्करण के माध्यम से रोजगार के कई अवसर उपलब्ध होते हैं.
  • निर्यात: अलपान केला विदेशी बाजारों में भी लोकप्रिय है और इसे निर्यात कर विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है.

पर्यावरणीय महत्व

अलपान केला की खेती पर्यावरण के अनुकूल है. इसके पौधे मृदा अपरदन को रोकने में सहायक होते हैं. इसके अलावा, केले के पत्तों और तनों का उपयोग जैविक खाद और अन्य कृषि कार्यों में किया जा सकता है. 

भोजन में उपयोग

अलपान केला का उपयोग कई प्रकार के व्यंजनों में किया जाता है. 

  • इसे ताजे फल के रूप में खाया जाता है.
  • मिठाई बनाने में इसका उपयोग होता है, जैसे केले का हलवा, खीर और पायसम.
  • सूखे केले के चिप्स और पाउडर के रूप में भी इसे संसाधित किया जाता है.
  • इसका उपयोग बच्चों के आहार और औषधीय टॉनिक में किया जाता है.

चुनौतियां और संभावनाएं

चुनौतियां

  • अलपान केला मुख्यतः स्थानीय स्तर पर उगाया जाता है, जिससे इसकी पहुंच सीमित हो जाती है.
  • फसल को कीट और रोगों से बचाने के लिए सतर्कता आवश्यक है.

संभावनाएं

  • इसकी उन्नत किस्मों को विकसित कर उत्पादन बढ़ाया जा सकता है.
  • कृषि सहकारी समितियों और सरकारी योजनाओं के माध्यम से किसानों को तकनीकी सहायता प्रदान की जा सकती है.
  • केले के प्रसंस्कृत उत्पादों की मांग बढ़ने से इसका व्यावसायिक मूल्य बढ़ सकता है.
English Summary: alpan banana is popular best in taste aroma and high production Published on: 23 January 2025, 05:13 IST

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