राज्य सरकार ने डेयरी किसानों को फायदा पहुंचाने और डेयरी उद्दोग को बढ़ावा देने के लिए एक और पहल की है। दूध पाउडर बनाने के लिए राज्य सरकार अब तीन रुपए प्रती लीटर प्रोत्साहन अनुदान देगी। इस फैसले को राज्य मंत्रीमंडल ने मंगलवार को मंजूरी दे दी। राज्य में डेयरी किसानों के जारी आंदोलन के बीच सरकार ने उन्हें लुभाने की कोशिश की है। सरकार का कहना है की इसस फैसले से किसानों को काफि फायदा होगा।
अनुदान देने के लिए सरकार के द्वारा 20 दूध से पाउडर बनाने वाले संस्थाओं का चयन किया गया है, जिसमें 6 सरकारी दुग्ध संघ और 14 निजी दुग्ध संघ शामिल हैं। सरकार की तरफ से अनुदान संबंधी शासनादेश जारी करने के बाद केवल एक महीने तक ही संस्थाओं को अनुदान दिया जाएगा। आंक़ड़ो की अगर बात करें तो दूध पाउडर बनाने के लिए प्रति दिन करीब 36 लाख 41 हजार लीटर दूध के लिए 1 करोड़ 9 लाख रुपए का अनुदान दिया जाएगा। इससे महीने भर में सरकार की तिजोरी पर 32 करोड़ 76 लाख रुपए का भार पड़ेगा। अगर जानकारों की मानें तो मार्च 2018 में उत्पादित दूध पाउडर की तुलना में अब 20 प्रतिशत अधिक दूध पाउडर तैयार किए जाने का अनुमान है। वहीं सरकार का मानना है की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में दूध पाउडर की दर में गिरावट दर्ज की गई थी जिसके कारण दूध पाउडर के उत्पादन को कम करना पड़ा जिसका परिनाम किसानों के नुकसान के रूप में सामने आया।
सरकार ने दावा किया है कि इस फैसले से किसानों को काफी लाभ होगा। सरकार के अनुसार राज्य में लगभग 100 लीटर दूध का रूपांतरण दूध पाउडर व मक्खन बनाने के लिए होने वाले खर्च और उससे मिलने वाली आय का विचार किया गया तो 324 रुपए 55 पैसे का नुकसान दूध पाउडर बनाने वाली संस्थाओं को होता है। यानी प्रति लीटर दूध पर 3 रुपए 24 पैसे का घाटा होता है। प्रदेश में 31 मार्च 2018 तक 26 हजार 506 मीट्रिक टन दूध पाउडर बचा हुआ है। जानकर ने बताया कि इससे पहले साल 2012 में भी दूध पाउडर के लिए अनुदान देने का फैसला सरकार ने लिया था। जानकर ने दावा किया कि सरकार के अनुदान देने के फैसले से दूध उत्पादक किसानों को काफी लाभ होगा। सरकार ने दूध के लिए 27 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से दर निश्चित किया है। हमें उम्मीद है कि दुग्ध संघ अब कम से कम किसानों से दूध 25 रुपए प्रति लीटर की दर पर खरीदेंगे।
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