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व्यावसायिक डेयरी फार्म को लाभकारी बनाने के लिए गाय अथवा भैंस की नस्ल का चुनाव जरूरी

भारत में कोई भी व्यक्ति जो व्यावसायिक डेयरी फार्मिंग करना चाहेगा उसके मन में जरूर कई आधारभूत सवाल उठेंगे। तो चलिए आज अपने इस आलेख में भारत में डेयरी व्यवसाय को और लाभकारी बनाने के लिए नस्लों के चुनाव पर बात करतें हैं.

भारत में कोई भी व्यक्ति जो व्यावसायिक डेयरी फार्मिंग करना चाहेगा उसके मन में जरूर कई आधारभूत सवाल उठेंगे। तो चलिए आज अपने इस आलेख में भारत में डेयरी व्यवसाय को और लाभकारी बनाने के लिए नस्लों के चुनाव पर बात करतें हैं.

गाय

आज के समय डेयरी फार्म एक अच्छा और लाभकारी व्यवसाय बनता जा रहा है। इन दिनों भारत के कई हिस्सों से डेयरी फार्म से जुड़ी कई खबरें आई हैं, जिसमें हमने पढ़ा है की देश के पढ़े-लिखे युवा भी इस ओर रूख कर रहे हैं। बाज़ार में अच्छी नस्ल की कई गायें उपलब्ध हैं और इनकी कीमत प्रतिदिन के दूध के हिसाब से 1200 से 1500 रूपये प्रति लीटर होती है। उदाहरण के तौर पर अगर बात करें 10 लीटर प्रतिदिन दूध देनेवाली गाय की कीमत 12000 से 15000 तक होगी।

दूध में अगर वसा कि मात्रा की बात करें तो गाय के दूध में की मात्रा 3.5 से 5 प्रतिशत के मध्य होता है और भैंस के दूध में यह गाय से ज्यादा होता है। 

ज्यादा लाभ के लिए सही से देखभाल करना काफी आवश्यक है और इसकी उचीत देखभाल से एक गाय 13-14 महीनों के अंतराल पर एक बछड़े को जन्म दे सकती है।
गाय काफी आज्ञाकारी जानवर मानी जाती है और इसकी देखभाल करना भी काफी आसान है। भारतीय मौसम की स्थितियों के अनुसार होलेस्टिन व जर्सी का संकर नस्ल सही दुग्ध उत्पादन के लिये उत्तम साबित हुए है।

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भैंस

भैंस की बात करें भारत में दो नस्लें मुर्रा और मेहसाणा व्यावसाय की दृष्टि से उत्तम है।

मक्खन व घी के उत्पादन के लिए भैंस के दूध की मांग अधिक होती है। साथ ही घरों में गाय के दूध का उपयोग चाय बनाने के लिए अधिक किया जाता है।

भैंसों का पोषण लागत कम होता है क्योंकि इनको फसलों के बाकी रेशों पर भी पोषित किया जा सकता है

परिपक्वता के मामले में भैंस थोड़ी पिछे है, इनमें परिवक्वता देरी से होती है और ये 16-18 माह के अंतर से प्रजनन करती है।

भैंसों के रख-रखाव का थोड़ा ज्यादा ध्यान रखा जाता है। भैसों के लिए ठन्डे पानी की टंकी, फुहारा या पंखे की व्यवस्था करना आवश्यक है।

डेयरी व्यवसाय के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें

भारत में किसी भी व्यावसायिक डेयरी फार्म में कम से कम 20 जानवर होना आवश्यक है जिसमें 10 भैंसें हो व 10 गायें। यही संख्या 50:50 अथवा 40:60 के अनुपात से 100 तक जा सकती है। 

अगर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भारतीय लोगों की बात करें तो वो कम वसा वाला दूध लेना ही पसंद करते हैं। इसके चलते व्यावसायिक दार्म का मिश्रित स्वरूप उत्तम होता है। इसमें संकर नस्ल, गायें और भेंसे एक ही छप्पर के नीचे अलग अलग पंक्तियों में रखी जाती है।

वहीं दूध का खपत करने के लिए आपको बाज़ार में दूध के मांग के अनुसार तय करना होगा। इसके लिए उचित स्थान का चुनाव करना अति आवश्यक है। होटल में अधिक्तर भैंस का दूध मांग में रहता है और अस्पताल व अन्य स्वास्थ्य संस्थान शुद्ध गाय का दूध लेने को प्राथमिकता देते हैं।

सूचना : किसान भाइयों अगर आपको कृषि सम्बंधित कोई भी जानकारी चाहिए, या आपके साथ कुछ गलत हुआ है, जिसे आप औरों के साथ साझा करना चाहते है तो कृषि जागरण फोरम में रजिस्टर करें.

English Summary: Dairy farm Published on: 08 May 2018, 11:21 IST

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