भारत के हर शहर या गांव में पुराने जमाने से गाय पालने का चलन है. इससे पशुपालकों को काफी फायदा भी होता है. वह दूध बेचकर अच्छी आमदनी कर लेते हैं. हमारे देश में कई नस्लों की गाय हैं. जिनमें कुछ नस्लें कम तो कोई ज्यादा दूध देते हुए नजर आती हैं. इनमें से एक नस्ल पुंगनूर भी है. जिसे दुनिया की सबसे छोटी गाय के रूप में जाना जाता है. दरअसल, अब यह गाय धीरे-धीरे दुनिया से विलुप्त होती जा रही है. इसे बचाने के लिए पशुपालक तमाम उपाय कर रहे हैं. आइए, उनके बारे में जानें.
कद की वजह से खर्च कम
विलुप्त होने के चलते आंध्र प्रदेश में बड़े पैमाने पर इसके संरक्षण का काम चल रहा है. यहां देश के लगभग सभी हिस्सों से लोग पुंगनूर गाय को देखने आते हैं. साथ ही इसे खरीद कर भी ले जाते हैं. इस गाय की सबसे बड़ी खासियत इसका कद है. देखने में यह काफी छोटी लगती है लेकिन दूध भरपूर मात्रा में देती है. छोटे कद की वजह से इसे पालने में भी पशुपालकों को ज्यादा खर्च नहीं उठाना पड़ता है. बता दें कि पुंगनूर गाय मूल रूप से आंध्र प्रदेश में ही पाई जाती है. अभी इस गाय को पूर्वी गोदावरी जिले के लिंगमपट्टी गांव में स्थित एक गौशाला में संरक्षित किया जा रहा है. चार एकड़ में फैले इस गौशाला में लगभग 300 पुंगनूर नस्ल की गाय मौजूद हैं. यहां उनके स्वास्थ्य से जुड़े हर बात का ध्यान रखा जाता है.
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इतनी है कीमत व लंबाई
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि पुंगनूर गाय जितनी छोटी होती है, उसे खरीदने के लिए उतना ही ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है. इस नस्ल की गाय की कीमत एक लाख से 25 लाख तक होती है. पुंगनूर नस्ल की गाय प्राचीन समय से देश में मौजूद है. कहा जाता है कि ऋषि मुनी भी इस गाय को पाला करते थे. पुंगनूर गाय की लंबाई 1 से 2 फीट तक होती है.
वहीं, यह हर रोज 3 से 5 लीटर दूध देती है. इसके अलावा, यह दिन भर में केवल पांच किलो चारा ही खाती हैं. जिसकी वजह से इनके रख रखाव के लिए ज्यादा खर्च नहीं उठाना पड़ता है. इनकी तादाद अब धीरे-धीरे कम होती जा रही है. जहां पूरे देश में यह आसानी से दिख जाती थीं. वहीं, अब यह केवल आंध्र प्रदेश के एक गौशाला तक ही सिमट कर रह गई हैं.
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