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दुधारू पशुओं में होने वाली बीमारियों में थनैला बीमारी सबसे आम है. पिछले कुछ सालों से देखने में आ रहा है कि ये बीमारी कुछ अधिक तेजी से दुधारू पशुओं को हो रही है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस रोग के फैलने का मुख्य कारण साफ-सफाई का ना होना है. चलिए आपको बताते हैं कि क्या होता है थनैला बीमारी और किस तरह इसका रोकथाम किया जा सकता है.
दूध देने की क्षमता को कम करता है थनैला बीमारीः
थनैला एक प्रकार की ऐसी बीमारी है जो सीधे दुधारू पशुओं को प्रभावित करते हुए उसकी दूध देने की क्षमता को कम करती है. डॉक्टरों के मुताबिक पशुओं में दूध का दबाव बढ़ने से थनैला रोग होता है. इस बीमारी का उपचार एक गंभीर प्रक्रिया है इसलिए पशुपालकों को सलाह है कि झोलाछाप चिकित्सक के चक्कर में न पड़कर किसी पशु चिकित्सक को ही दिखायें.
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बीमारी के लक्षणः
थनैला की बीमारी होने पर पशुओं के थनों में असामान्य रूप से सूजन आ जाती है. जिसे आराम से देखा जा सकता है. धीरे-धीरे पशु के दूध देने की क्षमता प्रभावित होने लगती है और रंग में भी बदलाव आता है.
बरतें सावधानीः
इस रोग को बढ़ने से रोकने का सबसे उपाय यही है कि आप अच्छे से पशु बांधने के स्थान की फिनाइल डालकर सफाई करें. दूध निकालने के लिए आपको मुट्ठी का प्रयोग करना चाहिए ना कि अंगूठे या उंगलियों का. वहीं दूध निकालने के कुछ देर बाद चारा डालकर पशुओं को आराम करने दें. हालांकि इस दौरान पशु जमीन पर ना बैठे यही अधिक उचित है. विशेषज्ञों के मुताबिक दूध निकालने के लगभग आधे घंटे बाद तक थन के छिद्र (छेद) खुले रहते हैं. जिससे बैक्टीरिया या संकम्रण होने की आशंका होती है. पशुओं को जमीन पर बैठने से रोकने के लिए चारा डाल दें.
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