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पशुओं के लिए जानलेवा होते हैं पेट के कीड़े, जानें इसके लक्षण और बचाव का उपाय

Stomach Worms In Animals: पशुओं के पेट में कीड़े पड़ना एक सामान्य बीमारी होती है, यदि इसका सही समय पर इलाज नहीं किया जाए तो ये काफी गंभीर बन सकती है. इससे पशु के स्वास्थ्य पर भारी असर होता है और पशुपालकों को भी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है.

मोहित नागर
मोहित नागर
पशुओं के पेट में कीड़े पड़ने के लक्षण और बचाव के उपाय  (Picture Credit -FreePik)
पशुओं के पेट में कीड़े पड़ने के लक्षण और बचाव के उपाय (Picture Credit -FreePik)

Worms in Animal Stomach: किसानों के लिए गाय पालन एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है, जिससे उन्हें दूध, खाद और अन्य कृषि उत्पाद प्राप्त होते हैं. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में गाय पालन विशेष माना जाता है, क्योंकि यह कई लोगों के लिए कमाई का मुख्य साधन होता है. ऐसे में जरूरी होता है कि उनका दूध उत्पादन ठीक ठाक बनाए रखने के लिए उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखा जाए. बता दें, पशुओं के पेट में कीड़े पड़ना एक सामान्य बीमारी होती है, यदि इसका सही समय पर इलाज नहीं किया जाए तो ये काफी गंभीर बन सकती है. कीड़े पड़ने पर पशु का कुछ खाने पीने पर कोई फायदा नहीं होता है, क्योंकि भोजन का पेट में जाने के बाद कीड़े चट कर जाते हैं. इससे पशु के स्वास्थ्य पर भारी असर होता है और पशुपालकों को भी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है.

आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें, पशु के पेट में कीड़े पड़ने के लक्षण और बचाव के उपाय क्या-क्या है?

समय रहते करें इलाज

पशुपालक पशु के पेट में कीड़े पड़ने की समस्या की जल्द से जल्द पहचान कर लेनी चाहिए, जिससे समय रहते जानवर को इस समस्या से निजात मिल जाए और आपका भी आर्थिक नुकसान होने से बच जाएं. इसके लिए पशुपालकों के पास जानवार के पेट में होने वाली कीड़ो की समस्या की सही जानकारी होनी चाहिए. यदि पशु का समय रहते इलाज करवा लिया जाता है, तो इससे नुकसान लगभग 30 से 40 फीसदी तक कम हो सकता है.

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पशु के पेट में कीड़े होने पर लक्षण

  • पशु के मिट्टी खाने पर
  • कमजोरी दिखाई देने पर
  • मटमैले रंग का बदबूदार दस्त आने पर
  • गोबर से काला खून या कीड़े दिखाई देने पर
  • पशु में खून की कमी होने पर
  • दुधारु पशु के दूध उत्पादन में कमी होने पर

पशुओं का कीड़ों से बचाव

पशुपालकों को अपने जानवारों के पेट में कीड़े की बिमारी होने पर समय रहते इसकी पहचान करके इसका उपचार कर लेना चाहिए. इसके बचाव के लिए पशु को हर 3 महीने में डीवेरमैक्स की दवा देनी चाहिए. लेकिन इस दवा के देने से पहले आपको अपने पशु के गोबर की जांच अवश्य करवा लेनी चाहिए.

पशु का वैक्सीनेशन कराने से पहले आपको उन्हें आंत के कीड़ों की दवा जरूर देनी चाहिए. टीकाकरण होने के बाद आपको पशु को कोई भी दवाई नहीं देनी चाहिए. जितना हो सकें अपने पशु को शुद्ध चारा, दाना खिलाएं और उन्‍हें साफ पानी पिलाएं.

English Summary: stomach worms in animals symptoms and prevention measures in hindi Published on: 05 July 2024, 11:43 IST

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