बकरी की यह नस्ल महाराष्ट्र के ओस्मानाबादी जिले में पाई जाती है इसलिए इसे ओस्मानाबादी बकरी कहा जाता है. जो कि दूध और मांस उत्पादन दोनों के लिए उपयोगी होती है. इस नस्ल की बकरी कई रंगों में पाई जाती है. इसके प्रौढ़ नर बकरे का वजन लगभग 34 किलो और मादा बकरी का वजन 32 किलो ग्राम होता है. बकरी की यह नस्ल रोजाना 0.5 से 1.5 लीटर दूध देने में सक्षम होती है.
ओस्मानाबादी बकरी का चारा (Osmanabadi goat feed)
यह बकरी हर किस्म का चारा खाती है. यह खट्टा, मीठा और कड़वा चारा भी चाव से खाती है. तो आइए जानते हैं बकरी की नस्ल का पसंदीदा चारा कौन-सा है.
फलीदार चारा- मटर, बरसीम, लहसुन और ग्वार फलियां आनंद से खाती है. इसके अलावा इसे गैर फलीदार चारे में जई और मक्का पसंद है.
पत्तियां- इस नस्ल को बरगद, नीम, आम, बेरी, अशोका और पीपल की पत्तियां खाना भाता है.
झाड़ियां- इसके अलावा यह करौंदा, बेरी, गोखरू और खेजरी जैसी झाड़ियों की पत्तियां खाना पसंद करती है.
घास-इसे घास में स्टाइलो घास, नेपियर घास, गिन्नी घास और दूब घास खिलाया जा सकता है.
सब्जियां- यह नस्ल सब्जियां भी चाव से खाती है. इसे मूली, गाजर, शलजम, चुकंदर, गोभी खिलाई जा सकती है.
मिश्रित भोजन- इसे सरसों की खली, नारियल की खली, मूंगफली की खली, गेहूं, शीशम और अलसी का चूरा, बाजरा, मक्का, ज्वार और जौ भी खिलाया जा सकता है.
ओस्मानाबादी बकरी के मेमने की खुराक प्रबंध कैसे करें (How to Manage Osmanabadi Goat Lamb Supplements)
जन्म के तुरंत बाद मेमने की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए खीस पिलाएं. दरअसल, खीस में विटामिन, आयरन, कॉपर, मैग्नीशियम जैसे तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. जन्म के बाद मेमने को प्रतिदिन 400 मिलीलीटर दूध पिलाना चाहिए. एक महीने बाद दूध की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए.
ओस्मानाबादी दुधारू बकरी की खुराक (Osmanabadi Milch goat feed)
दूध देने वाली बकरी को प्रतिदिन साढ़े चार किलो चारा लगता है जिसमें एक किलो सुखा चारा जरूर खिलाना चाहिए.
ओस्मानाबादी गाभिन बकरियों की देखरेख कैसे करें? (How to care for Osmanabadi pregnant goats?)
गाभिन बकरियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इसके लिए ब्याने के 6 से 8 सप्ताह पहले से दूध निकालना बंद कर देना चाहिए. ब्यांत के 15 दिनों पहले से विभिन्न बीमारियों से बचाव के लिए ब्यांत घर की अच्छे से साफ सफाई कर देनी चाहिए.
ओस्मानाबादी बकरी के मेमनों की देखरेख (Osmanabadi Goat Lamb Care)
जन्म के तुरंत बाद मेमने की अच्छे से सफाई कर दें. वहीं मुंह, नाक, कान की सुखे कपड़े से सफाई करना चाहिए. यदि मेमना सांस नहीं ले रहा है तो श्वसन पथ को अच्छे साफ कर देना चाहिए. मेमने को 30 मिनट बाद ही खीस पिलाना चाहिए.
ओस्मानाबादी बकरी को लगने वाले मुख्य रोग (Main diseases of Osmanabadi Goat)
पाँव और मुँह के रोग (एफएमडी) (Foot and Mouth Disease (FMD)
गोट प्लेग (पीपीआर) (Goat Plague (PPR)
गोट पॉक्स (Goat pox)
हेमोरेगिक सेप्टिसेमिया (एचएस) (Hemorrhagic septicemia (HS)
एंथ्रेक्स (Anthrax)
ओस्मानाबादी बकरी को लगने वाले प्रमुख टीके (Major Vaccines for Osmanabadi Goat)
जन्म के बाद मेमने को टैटनस का टीका जरूर लगवाएं. वहीं क्लोस्ट्रीडायल बीमारी से बचाव के लिए सीडीटी टीका लगवाना चाहिए. जन्म के 5 से 6 सप्ताह बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए टीका जरूर लगवाएं.
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