रोजगार की तलाश कर रहे युवाओं के लिए खरगोश पालन आय का एक अच्छा स्रोत हो सकता है. ध्यान रहे कि हमारे देश में बहुत पहले से खरगोशों को पाला जाता रहा है. भारत के कुछ राज्यों में तो किसान विदेशी खरगोशों को पालकर अच्छा पैसा कमा रहे हैं.
खरगोशों को पालने का खर्च कम है. इतना ही नहीं, इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा भी बहुत अधिक नहीं है. एक तरह से इसका खुला बाजार है. इससे बनने वाले ऊन की खास मांग है, वहीं इसके मीट की डिमांड भी कम नहीं है. वैसे खरगोश के मीट को स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभकारी ही माना जाता है.
इसके मीट में औसत प्रकार से ज्यादा प्रोटीन होता है. वहीं वसा और कैलोरी कम होने के कारण ये आसानी से पच भी जाता है. जिन लोगों को कैल्शियम और फॉस्फोरस की शिकायत होती है, वे विशेष तौर पर इसका सेवन करते हैं. इसके अलावा शरीर में तांबा, जस्ता और लौहे की मात्रा को पूरा करने में भी इसका मीट सहायक है.
सरकार दे रही है प्रशिक्षण
इसे पालने के लिए भारत सरकार कई तरह के प्रशिक्षण भी दे रही है. वैसे इसे आप पिंजड़े में भी पाल सकते हैं, जो मामूली खर्च से तैयार हो जाता है. कृषि विज्ञान केंद्रों पर इसे पालने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
भोजन
खरगोशों के भोजन पर खास ख्याल देना चाहिए. इन्हें एक दिन में दो बार भोजन दिया जाता है. आप भोजन के रूप में घरेलू उपयोग की जाने वाली चपाती या सब्जियों के छिलके, हरी घास आदि दे सकते हैं.
स्थान
इसे पालने के लिए ऐसे स्थानों को चुनना चाहिए, जहां प्रदूषण के साथ शोर न हो. खरगोशों को तेज आवाज से डर लगता है, ऐसे में इनका विकास पूरी तरह से नहीं हो पाता. भारत में वैसे अंगोरा प्रजाति के खरगोशों की मांग सबसे अधिक है.
तापमान
इन्हें किसी शेड वाली जगह में रखना चाहिए. अदंर का तापमान अधिकतम 38 डिग्री होना चाहिए. पिंजरों का जालीनुमा होना जरूरी है. एक खरगोश को विकसित होने में 45 दिनों का वक्त लगता है. 45 दिनों के बाद आप उसे मार्केट में बेच सकते हैं.
इसकी अधिक जानकारी के लिए आप यहां लिंक पर क्लिक करें
Share your comments