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आस्ट्रेलिया की भेड़ें बढ़ाएंगी जम्मू-कश्मीर के पशुपालकों की आमदनी! मेरिनो भेड़ों की क्या है खासियत, जानिएं

कभी ट्रेन में सफर करते समय तो कभी बस में सफर करते समय तो कभी पैदल चलते समय आपको सड़क किनारे या कहीं चरते हुए भेड़ जरूर दिखी होंगी. कई किसान , खेती के साथ पशुपालन भी करते है. और भेड़ पालन देश में बहुतायत में किया जाता हैं. पर क्या आप भेड़ की एक प्रमुख किस्म के बारे में जानते है जो बन सकती है आपकी आमदनी का जरिया, क्योंकि इस विशेष किस्म की भेड़ का पालन करके आप प्राप्त कर सकते है अधिक ऊन. इस विशेष भेड़ के बारे में पढ़िएं इस लेख में-

सचिन कुमार
सचिन कुमार
Merino Sheep
Merino Sheep

कभी ट्रेन में सफर करते समय तो कभी बस में सफर करते समय तो कभी पैदल चलते समय आपको सड़क किनारे या कहीं चरते हुए भेड़ जरूर दिखी होंगी. कई किसान , खेती के साथ पशुपालन भी करते है. और भेड़ पालन देश में बहुतायत में किया जाता हैं. पर क्या आप भेड़ की एक प्रमुख किस्म के बारे में जानते है जो बन सकती है आपकी आमदनी का जरिया, क्योंकि इस विशेष किस्म की भेड़ का पालन करके आप प्राप्त कर सकते है अधिक ऊन. इस विशेष भेड़ के बारे में पढ़िएं इस लेख में-

देश में भेड़ों की अधिकृत रूप से 46 नस्लें मौजूद हैं. इनके अलग-अलग गुण और आकार हैं.  इनमें से मेरिनो भेड़ को हो सकता है आपने देखा होगा लेकिन इसकी सही पहचान ना कर पाने के कारण आप इसे  श्रेणीबद्ध नहीं  कर पा रहे हों कि आखिर यह भेड़ हैं कौन- सी . आगे पढ़ें मेरिनो भेड़ से संबंधित वह समस्त जानकारी जो आपके लिए जानना है जरूरी .

जम्मू सरकार मंगवाएंगी मेरिनो भेड़

अभी कुछ दिनों पहले ही जम्मू-कश्मीर सरकार ने मेरिनो भेड़ों को ऑस्ट्रेलिया से खरीदने के लिए एक कमेटी का गठन किया था.  कानून विभाग के सचिव की अध्यक्षता वाली यह कमेटी रोजविले मेरिनो पार्क स्टड प्राइवेट लिमिटेड से मेरिनो भेड़े खरीदने के विकल्पों पर गौर करेगी. कमेटी के सदस्यों में डायरेक्टर जनरल कोड्स, पशुपालन विभाग के डायरेक्टर फाइनेंस, और जीएड की विजिलेंस शाखा के विशेष सचिव शामिल हैं. यह कमेटी डायरेक्टर जनरल आडिट एंड इंस्पेक्शन के सुझावों को ध्यान में रखते हुए आगे की कार्रवाई करेगी.  कमेटी के गठन का आदेश सरकार के आयुक्त सचिव मनोज कुमार द्विवेदी की ओर से जारी किया गया.

सरकार ने क्यों लिया यह फैसला

भारतीय भेड़ों की तुलना में ऑस्ट्रेलियन मेरिनो भेड़ों में ऊन देने की क्षमता अधिक होती है. भारतीय भेड़ें जहां 40 माइक्रोन ऊन देती हैं, तो वहीं मेरिनो भेड़ों से इससे तीन गुना  अधिक ऊन प्राप्त होता हैं. जम्मू-कश्मीर सरकार के इस निर्णय से पशुपालकों की आय में इजाफ़ा होगा. भारतीय  भेड़ें जहां साल में दो से ढाई किलो तक ऊन देती है वहीं आस्ट्रेलियन मेरिनो भेड़ से छह किलो से अधिक ऊन मिल जाती है. भारत के दूसरे राज्यों जिनमें उत्तराखंड प्रमुख हैं,  ने भी मेरिनो भेड़ का आयात किया है. उन्हें काफी हद तक लाभ भी मिल रहा है. साथ ही क्रॉस ब्रीडिंग तकनीक का उपयोग करके ऑस्ट्रेलियन मेरिनो भेड़ों और भारतीय भेड़ों के समन्वय से उत्तम नस्ल की भेड़ों की प्राप्ति की संभावना हैं .

मेरिनो भेड़ की विशेषता

मेरिनो भेड़ की रंगत की बात करें, तो यह काफी विशालकाय होती हैं. इसके चेहरे और पैरों का रंग सफेद होता है. इसका सिर और पैर ऊन से ढंका होता है. यह साहसी प्रवृत्ति की  होने के कारण किसी भी जलवायु में अपने आपको ढाल लेती हैं. यह भेड़ किसी भी प्रकार की विषम परिस्थितियों का सामना कर सकती हैं. इसकी यही पहचान मेरिनो भेड़ को  अन्य भेड़ों से अलग करती है.

कहां पाई जाती है मेरिनो भेड़

 कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह भेड़ मूल रूप से विलायती हैं. इनकी उत्पत्ति ऑस्ट्रेलिया में हुई थी. इसके बाद शायद चरवाहों के झुण्ड के साथ ये भेड़ें भारत में आयी होगी.ऐसा कहा जाता है. वहीं, देश में यह मुख्य रूप से हरियाणा के हिसार में पाए जाती हैं.

क्या आहार है मेरिनो भेड़ का

 इनके आहार में फूल, फलीदार पत्ते, लोबिया, बरसीम, फलियां शामिल  है. आमतौर पर ऐसी भेड़ें 6 से 7 घंटे मैदान में चरती हैं.  इनके आहार में बरसीम, लहसुन, फलियां , मटर, ज्वार शामिल होता है. बिना फली वाले आहार में मक्की और जवी भी शामिल है.

रोग और उनसे बचाव

  • एसिडोसिस:

बहुधा भेड़ों में यह बीमारी अत्यधिक आहार का सेवन करने से होती  है. यह रोग मुख्य रूप से जानवर के पेट को नुकसान पहुंचाता है, जिसके परिणामस्वरूप भेड़ के पेट में दर्द होता है.

उपचार: अगर कोई भेड़ इस बीमारी से ग्रसित होती है तो उसे सोडियम बाइकार्बोनेट की खुराक    दी जानी चाहिए.

  • एआरजीटी:

यह बीमारी विषाक्त पदार्थों का सेवन करने  से  होती  है, इसके परिणामस्वरूप इनके मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है. इन विषाक्त पदार्थों को जीवाणुओं द्वारा उत्पादित किया जाता है. यह बीमारी पौधों में राइग्रस खाने से होती  है. इन राइग्रस में विषाक्त पदार्थ मिल जाते हैं, जिसके उपरांत जब भेड़ इनके संपर्क में आती हैं, तो वो इस बीमारी का शिकार हो जाती है. इतना ही नहीं, कई मौकों पर यह भी देखा गया कि इनके संपर्क में आकर भेड़ों की मौत भी जाती है.

उपचार : अलग-अलग स्थानों पर भेड़ को घुमाने से उन्हें इस बीमारी का उपचार मिल जाता है.

  • चीजी ग्लैंड:

मुख्य रूप से भेड़ों में यह बीमारी फेफड़ों या लिम्फ गांठों में मवाद भरने के कारण होती है. इस बीमारी का शिकार हुई भेड़ों में ऊन देने की मात्रा कम हो जाती है.

उपचार:क्लोस्ट्रेडियल का टीका देने से भेड़ को इस बीमारी से बचाया जा सकता है.

  • कोबाल्ट की कमी :

भेड़ में बी - 12 की कमी के कारण यह रोग मुख्य रूप से होता है.

उपचार: जब इस बीमारी के लक्षण दिखाई दें तो जल्द से जल्द विटामिन बी 12 का इंजेक्शन दें.

  • कुकड़िया रोग (कोकसीडियोसिस) :

यह एक परजीवी बीमारी है, जो एक जानवर से दूसरे जानवर तक फैलती है.   दस्त (डायरिया) इस रोग का मुख्य लक्षण है जिसके साथ खून भी आ सकता है.  यह परजीवी रोग है जो भेड़ की आंतों की दीवार को नुकसान पहुंचाता है.  इससे भेड़ की मृत्यु भी हो सकती है.

उपचार: सल्फा दवाओं की दो खुराक ड्रेंचिंग द्वारा 3 दिनों के अंतराल पर दी जाती हैं या इंजेक्शन दिया जाता है.

  •  कॉपर की कमी :

यह तांबे की कमी के कारण होता है  और इससे भेड़ों में असामान्यतायें हो जाती हैं.

उपचार: इसका इलाज करने के लिए कॉपर ऑक्साइड या कॉपर ग्लाइसीनेट के इंजेक्शन या  कैप्सूल दिए जाते हैं.

  •  डर्माटोफिलोसिस (डर्मो या लुम्पी ऊन) :

मुख्य रूप से मैरिनो भेड़ इस रोग से पीड़ित होती हैं. संक्रमण गैर-ऊनी क्षेत्रों पर देखा जा सकता है.

उपचार: एंटीबायोटिक से डर्माटोफिलोसिस रोग का इलाज किया जाता है.

  •  एक्सपोजर लोस्स :

यह मुख्य रूप से भेड़ों के बाल काटने के 2 सप्ताह के भीतर होता है क्योंकि भेड़ गर्मी के कारण सामान्य तापमान को बनाए रखने में असमर्थ होती हैं.

उपचार: भेड़ों को मौसम बदलाव से बचा कर रखें.

  •  पैर पर फोड़ा होना :

यह रोग मुख्य रूप से बरसात के मौसम में होता है. बैक्टीरिया का संक्रमण पैर को संक्रमित करता है.

उपचार:  फोड़े से छुटकारा पाने के लिए पैर को एंटीबायोटिक उपचार दिया जाता है.

  •  लिस्टरियोसिस (सर्कलिंग रोग) :

यह एक मस्तिष्क जीवाणु संक्रमण है जो जानवरों और मनुष्य दोनों को प्रभावित करता है. झुंड में खराब घास खाने के कारण यह रोग होता है.

उपचार: पशु चिकित्सक द्वारा एंटीबायोटिक उपचार करवाया जाता है.

  • गुलाबी आँख :

यह मुख्य रूप से आसपास का वातावरण प्रदूषित होने के कारण होता है.

उपचार: गुलाबी आँख से छुटकारा पाने के लिए एंटीबायोटिक स्प्रे या पाउडर दिया जाता है.

  •  थनो की बीमारी (मैस्टाइटिस) :

इस बीमारी में पशु के थन बड़े हो जाते हैं और सूज जाते हैं, दूध पानी बन जाता है और दूध आना कम हो जाता है.

उपचार: इसके उपचार के लिए पशु चिकित्सक से संपर्क करें.

रिनो भेड का प्रजनन 

आमतौर पर यही देखा जाता रहा है कि यह भेड़ एक ही मेमने को जन्म देती है. बहुत कम ही ऐसा होता है कि यह एक से अधिक भेड़ों को जन्म देती हो. लगभग 10 फीसद ही ऐसी संभावना रहती है कि यह एक से अधिक भेड़ों को जन्म देती है.इस विशेषता की वजह से यह अन्य भेड़ों से अलग मानी जाती है.                                                            

कितना ऊन मिलता है मेरिनो भेड़ से  

 वहीं, अगर मेरिनो भेड़ से प्राप्त होने वाले ऊन की बात करें तो इससे तकरीबन 6 से 7 किलोग्राम ऊन प्राप्त हो जाता है, जो कि अन्य भारतीय भेड़ों की तुलना में अधिक है.  यही नहीं, मेरिनो भेड़ों से प्राप्त ऊन से बनने वाले कपड़े अन्य किसी कपड़े की तुलना में अच्छी गुणवत्ता के होते हैं. इन ऊनों से बने कपड़े काफी महंगे भी होते हैं.

ऊन निकालने की तकनीक

 मेरिनो भेड़ों से भी आप अन्य भारतीय भेड़ों के जैसे ही हाथ या मशीन से ऊन प्राप्त कर सकते हैं.   

कितना होता हैं मेरिनो भेड़ का वजन

अगर इनके शरीर के भार की बात करें, तो यह अन्य किसी भी भारतीय भेड़ों की तुलना में अधिक वजनदार होती हैं.  आमतौर पर इसका वजन 80 से 100 किलोग्राम का होता है.  वहीं, भारतीय भेड़ों का वजन 40से 60 किलोग्राम होता है.  इसकी एकमात्र वजह यह है कि यह अन्य  भेड़ों की तुलना में अधिक आहार का सेवन करती  हैं.

अन्य भेड़ों से कैसे अलग हैं  मेरिनो भेड़

अन्य भेड़ों से  मेरिनो भेड़ कई मायनों में अलग हैं. जैसे कि मेरिनो भेड़ से अन्य भेड़ों की तुलना में ज्यादा मात्रा में ऊन व दूध प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन आमातौर पर भारतीय भेड़ों में ऐसा नहीं होता है. इसके अलावा मेरिनो भेड़ों के आहार में भी ज्यादा खर्चा आता है, जबकि भारतीय भेड़ों को कम कीमत पर भी आहार उपलब्ध करवाया जाता है.

भेड़ पालकों के लिए लोन की सुविधा

मेरिनो भेड़ के पशुपालकों के लिए वर्तमान में तो किसी भी प्रकार की आर्थिक सुविधा सरकार की तरफ से तो प्रदान नहीं की जा रही है,लेकिन वर्तमान में नाबार्ड की तरफ से जरूर भेड़ पालकों को आर्थिक सुविधा मुहैया कराई जा रही हैं. पशुपालक  नाबार्ड की वेबसाइट पर जाकर भी इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

क्या कहना है पशुपालक अधिकारी का         

मेरिनो भेड़ के बारे में,  केंद्रीय भेड़ और ऊन अनुसंधान संस्थान (सीएसडब्लूआरआई)  अविक नगर राजस्थान के निदेशक  डॉ अरूण तोमर कहते हैं कि,”मेरिनो भेड़ पालन कर पशुपालक अच्छा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं. लेकिन, एक बात उन्हें ध्यान रखनी  होगी कि इसकी देखरेख में अन्य भेड़ों की तुलना में अधिक खर्चा होता है, पर आप इससे अच्छा मुनाफ़ा भी प्राप्त कर सकते हैं’.

कितना दूध देती है मेरिनो भेड़

मेरिनो भेड़ कुछ ज्यादा मात्रा में दूध नहीं देती है, इससे ज्यादा मात्रा में दूध अन्य भारतीय भेड़े ही देती  हैं, लेकिन इसके बावजूद भी मेरिनो भेड़ के पालन को काफी फायदे का कारोबार माना जाता है, क्योंकि इससे ऊन ज्यादा मात्रा में प्राप्त होता है.  

तो पशुपालक भाइयों आप भी मेरिनो भेड़ पालन कर सकते है  या इससे जुड़ा कोई कारोबार कर सकते  हैं, इस संदर्भ में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप निम्नलिखत नंबर पर संपर्क कर सकते हैं.

डॉ अरूण तोमर

9828141699

पशुपालन और खेती से संबंधित अधिक जानकारी के लिए कृषि जागरण हिंदी पोर्टल जरुर विजिट करें.

English Summary: Full Information about merino sheep Published on: 27 July 2021, 05:02 IST

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