पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश के जलाशयों में मछली का उत्पादन बढ़ाने पर खासा जोर दिया जा रहा है. इसके लिए इस बार 70 एमएम से अधिक के आकार का बीज डाला जाएगा और इस दिशा में प्रक्रिया को शुरू भी किया जाएगा. इसके तहत गोविंदसागर में मत्स्य निदेशक सतपाल मेहता की देखरेख में 4.19 लाख मछली के बीजों को डाला जा चुका है कुल 10 से 12 लाख सिल्वर कॉर्प प्रजाति की मछली का बीज को डालने का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है. साथ ही यहां के पौंगडैम, चमेरा, कोलडैम में भी पिछले साल की तुलना में इस बार ज्यादा बीज को डालने का निर्णय लिया गया हैं
12 लाख मछलियों के बीज डलेंगे
हिमाचल के गोविंदसागर में मछली की ग्रोथ बेहतर ग्रोथ पाई गई है. इसके बाद हमने यह तय किया गया है कि पिछले साल की तुलना में इस बार ज्यादा मछली का बीज डाले जाएं. इस प्रक्रिया के तहत 4.19 लाख मछली के बीज डाले गए है. उन्होंने कहा कि गोविंदासागर जलाशय में 10 से 12 लाख मछली के बीज डालने की योजना हैं,
रोहू और कतला का होगा उत्पादन
मछली के बीज पश्चिम बंगाल से मंगवाए गए है. बीज की अगली खेप जल्द ही बिलासपुर पहुंचने की उम्मीद है.उन्होंने बताया कि प्रदेश भर में स्थापित फार्मों में उत्पादित बीज भी जलाशयों में डाला जाएगा. उन्होंने बताया कि पौंगडैम में 8 से 10 लाख मछली के बीज को डाला जाएगा. इस जलाशय में भारतीय मेजर कार्प रोहू, कतला, मृगल प्रजाति का बीज डाला जाएगा.
भाखड़ा डैम में सिल्वर कार्प
मत्स्य निदेशक ने बताया कि भाखड़ा डैम में भी जल्द ही केज में सिल्पर कार्प का 20 से 25 एमएम का बीज डाला जाएगा. भाखड़ा में कुल 28 केज है और एक केज में आठ से दस हजार बीज को डाला जाएगा. उन्होंने बताया कि मछली का आकार 100 एमएम होने पर इसको जलाशय में डाल दिया जाएगा. केज में मछली की ग्रोथ बेहतर ढंग से होती है, यहां पर डेढ़ से दो लाख मछली के बीज डालने की योजना है.
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