मक्खियों और बाहरी परजीवियों से घरेलू पशुओं में कई प्रकार रोग या बीमारियां हो सकती है, क्योंकि ये परजीवी और माखियाँ बीमारी फैलाने का कार्य करती है. ज़्यादातर मक्खियां घरों के आसपास और पशुओं के तबेले (आवास) ही रहती है. जिनमें मुख्य रुप से पाई जाने वाली घरेलू मक्खी, काली मक्खी, जंगली मक्खी, तवेनस मक्खी, सारकोफेगा मक्खी, घोडा मक्खी आदि प्रमुख है.
ये मक्खियाँ जीवाणुजनित (Bacterial) और विषाणुजनित (Viral) बीमारियों के साथ-साथ कुछ परजीवी को भी एक पशु से दूसरे पशु में ट्रांसफर का कार्य करती है, जिसके कारण पशुओं में रोग फैलते है. जैसे कि काला अजार, सर्रा आदि.
ये परजीवी और मक्खियां अपने जीवन चक्र को आगे बढ़ाने के लिए जानवरों के खुले घावों और तथा मवेशियों के सड़े गले शवों पर अंडा देती है, जो 24 से 48 घंटे में मैगेट या भुनगा में बदल जाता है और 72 घंटे में ये मैगेट मक्खियों में बदल जाते हैं.
पशुओं में परजीवियों और मक्खियों से होने वाली दिक्कतें और बीमारियाँ (Problems and diseases caused by parasites and flies in animals)
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कुछ मक्खियां पशुओं का खून चुस्ती है जिसके कारण पशुओं में खून की कमी हो जाती है और रोग संक्रमित कर देती है, जिसके पशु दूध देना कम कर देते हैं.
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मक्खियां घरों में रखे खाद्य पदार्थों पर बैठ जाती है जिससे खाद्य पदार्थ संक्रमित हो जाते हैं इससे टाइफाइड, पेचीस जैसी बीमारियां पैदा होती है.
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कुछ मक्खियां खून चुस्ने के अलावा पशु के घाव में अंडे देती है तथा मक्खियों के काटने से जानवरों की चमड़ी से खून बी निकलता है और घाव बन जाते हैं इससे रोगों का खतरा बढ़ जाता है.
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घोड़ा मक्खी जानवरों की त्वचा के अंदर अंडा देती है जिससे जानवरों की चमड़ी से संबन्धित रोग हो जाते है.
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छोटे जानवरों जैसे कुत्ता, बकरी, भेड़ आदि जानवरों के कानों में या टांगों के अंदरूनी भागों में मक्खियां अंडे देती है. जिसके कारण दूसरे पशुओं के संपर्क में आने पर उन्हे भी बीमार कर देते है.
पशुओं में मक्खियों से होने वाली बीमारियां पहचाने (Identify diseases caused by flies in animals)
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जानवरों की चमड़ी पर खून के धब्बे दिखाई दें और धब्बों में सूजन दिखाई दे तो यह मक्खियों के काटने से होती है.
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पशुओं के शरीर पर हाथ फेरे और देखें कि कोई बाहरी गांठ है के नहीं, अगर दिखती है तो उसे दबा कर देखें लट्टे या कीड़े दिखाई दे तो तुरंत उपचार करें.
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मवेशियों के शरीर पर कीड़े, चिंचड़ या अन्य परजीवी दिखाई दे तो तो तुरंत इनको हटाने का उपाय करें.
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छोटे जानवरों के कान, नाक, आंख के निचले भाग को नियमित रूप से देखें, यदि मक्खियों के पीले रंग के अंडे दिखाई देंगे. इनका भी तुरंत उपचार करें. यह समस्या भेड़ और बकरियों में दिखाई देती हैं.
मक्खियों और परजीवियों से पशु को कैसे बचाएं और उपचार करें (How to protect and treat animals from flies and parasites)
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मैगट या भुनगा को पशुओं के घाव से बाहर निकालने के लिए तारपीन तेल इनके खुले घावों में भरे जिससे कीड़े बाहर आ जाते है. और कीड़े निकलने के बाद है हेमेक्स क्रीम लगाएं या 2% डाइजीन दवा से पट्टी करें.
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घावों में मिट्टी का तेल (घासलेट) या पेट्रोल का उपयोग भी संक्रामण को रोकने के लिए किया जा सकता है, मगर ध्यान रहे ये दोनों पदार्थ जानवरों में जलन पैदा करते हैं.
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त्वचा में अइवरमेक्टिन का इंजेक्शन डॉक्टर के परामर्श पर लगाए.
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जानवरों के बाड़े के आसपास सफाई रखें तथा घरों की खिड़कियों में मच्छर जाली का प्रयोग करें.
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घरों के आसपास जलभराव ना होने दें और गंदे पानी में पुराना इंजन आयल या मिट्टी का तेल डालें.
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घरों के आसपास कीटनाशक (Insecticide) दवाओं का छिड़काव करें जैसे बीएचसी या नीम आधारित कीटनाशी का प्रयोग बड़ी सावधानी से करें.
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मरे हुए जानवरों को खुले में ना छोड़े, इन्हे जमीन में दफना दे.
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जानवरों के घर में सुबह शाम एक बार नीम के पत्ते का दुआ करें जिससे मक्खियां जानवरों से दूर हो जाएगी.
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छोटे जानवरों के बालों को अच्छे से साफ करते रहें तथा अत्यधिक बालों को काट दें जिससे मक्खियों के अंडे देने का खतरा कम हो जाता है.
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घरों के आसपास कुछ रसायनों का उपयोग बरसात का मौसम (Rainy season) खत्म होने के तुरंत बाद करें जैसे मेलाथियान, बीएचसी आदि.
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बड़े जानवरों की त्वचा को अपने कंधे से खुजली करें ताकि इन परजीवियों के अंडे झड़ जाये.
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पशुओं के बाड़े में कीट किलर मशीन (Insect killer machine) लगाए, जिससे कीट इसकी ओर आकर्षित होकर करंट से मर जाये.
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