आधुनिक समय में गाय पालन (Cow Rearing) का व्यवसाय बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है. अगर आप पशुपालन (Animal Husbandry) करते हैं, तो ज़रूरी यह है कि पशुओं के रहने और खाने की व्यवस्था भी उचित होनी चाहिए, ताकि पशु सेहतमंद रहे और अच्छी मात्रा में दूध उत्पादन मिलता रहे.
देश में कई ऐसे पशुपालक हैं जिन्होंने अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर पशुपालन करना शुरू किया है. इससे उन्हें अच्छा मुनाफ़ा भी मिल रहा है. आज हम एक ऐसे ही पशुपालक की जानकारी देने वाले हैं, जिन्होंने मात्र 2 गायों से डेयरी फार्मिंग की शुरुआत की. मगर आज 45 गायों की एक आदर्श गौशाला चला रहे हैं. इससे उन्हें बहुत अच्छा मुनाफ़ा भी मिल रहा है. आइए आपको इस पशुपालक के बारे में पूरी जानकारी देते हैं.
कौन है ये पशुपालक?
इस पशुपालक का नाम पवन कटनकर है, जो महाराष्ट्र केभंडारा जिले के रहने वाले हैं. पवन कटनकर ने स्वप्नपूर्ती गौशाला का निर्माण मार्च 2015 में 2 HF गायों (पूतना) से किया. उन्होंने कृषि ई. केमिकल की पढ़ाई अच्छे प्रतिशत से पास की और इसके बाद बहुत बड़े लिमिटेड ग्रुप में असिस्टेंट मैनेजर की नौकरी की. मगर इसके बाद नौकरी छोड़ने का मन बना लिया और गांव के लोगों के लिए रोजगार देने के लिए डेयरी फार्म शुरू करने का निश्चय किया.
कैसे की स्वप्नपूर्ती गौशाला की शुरुआत
पवन कटनकर ने सबसे पहले 2 गाय से गौशाला की शुरुआत की, उन्हें इन गाय का दूध बेचने से अच्छा मुनाफ़ा मिलने लगा. इसके बाद बैंक से लोन लेकर बड़े स्तर पर गौशाला की शुरूआत की. उन्होंने लोन लेकर 20से 25 HF गाय ली औऱ उनके रहने के लिए बड़ा शेड बनाया. इसके साथ ही खाने के लिए घास व सूखे चारे की व्यवस्था की. 15 से 20 दिनों में 20 से 25 गायों का 200 से 250 लीटर दूध निकलता था, इसलिए आमदनी भी अच्छी हो जाती थी.
पशुपालन में आई कई दिक्कतें
पवन कटनकर बताते हैं कि अचानक उनकी गाय बीमार पड़ने लगी, जिससे दूध देने की मात्रा भी बहुत कम हो गई. उनकी गाय 300 से 350 व 60 से 50 लीटर दूध देने लगी. इसी दौरान उन्होंने इंटरनेट पर गोविज्ञान अनुसंधान केंद्र, देवलापार नागपुर की जानकारी मिली. जहां जाकर डेयरी फार्म में होने वाले नुकसान का कारण पता चला. मुझे बताया गया कि जर्सी और HF गाय 1 से 2 महीना ही अच्छा दूध देती हैं. उनके गोबर और गोमूत्र का कोई फायदा नहीं होता है, बल्कि देसी नस्ल की गाय दूध भी अच्छा देती हैं, साथ ही उनका गोबर और गोमूत्र से अच्छी दवाईयां व जैविक खेती कर सकते हैं.
5 दिनों का लिया प्रशिक्षण
पवन कटनकर ने देवलापार जाकर 5 दिनों का प्रशिक्षण लिया. इसके साथ ही वहां से 5 देसी नस्ल की गाय खरीदी. उनके गोबर और गौमूत्र से केंचुआ खाद कीटनियंत्रक औऱ धूपबत्ती बनाने का काम शुरू किया. इसके अलावा गाय का दूध लगभग 50 घरों में देना शुरू किया. इससे पहले दूध की कीमत 20 रुपए प्रति लीटर मिलती थी, लेकिन अब 40 रुपए प्रति लीटर मिलती है. इसके बाद किसान भाईयों से मिलकर उन्हें जैविक खेती के बारे में बताया और केंचुआ खाद का प्रचार–प्रसार करने लगा.
हजारों रुपए का हो रहा मुनाफ़ा
पवन कटनकर बताते हैं कि मौजूदा समय में उनके पास 45 गाय है. वह गीर, साहीवाल आदि नस्ल की गाय का पालन कर रहे हैं. इन गाय का दूध 40 रुपए प्रति लीटर बिक जाता है.
गाय के गौबर औऱ गोमूत्र का इस्तेमाल
इतना ही नहीं, पवन कटनकर गाय के गोबर और गोमूत्र से धूपबत्ती, फेसपैक और हैंडवॉश बनाने का काम कर रहे हैं. इससे उन्हें काफी अच्छा मुनाफ़ा हो रहा है.
किसानों की करेंगे मदद
पवन कटनकर का कहना है कि वह जल्द ही लगभग 15 गांव के किसानों और पशुपालकों से 50 पैसा प्रति किलो गोबर खरीदेंगे. इससे उन्हें अच्छा मुनाफ़ा हो सकेगा.
(अगर किसी किसान भाई को इस संबंध में किसी भी प्रकार की अधिक जानकारी चाहिए, तो वह नीचे दिए गए नंबर पर संपर्क कर सकते हैं.)
पवन कटकर
स्वप्नपूर्ती गौशाला, उत्पाद और डेयरी फार्म
जिला भंडारा महाराष्ट्र
मोबाइल नंबर- 7769995147
ई-मेल आईडी- [email protected]
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