भारत प्राचीन काल से ही एक कृषि प्रधान देश रहा है और देसी गाय युगों से भारतीय जीवन शैली का हिस्सा होने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही है. गाय का दूध और दुग्ध उत्पाद बहुसंख्यक भारतीय आबादी के लिए प्रमुख पोषण स्रोत हैं. देसी गाय का दूध A2 प्रकार का दूध है जो शिशुओं और वयस्कों में मधुमेह से लड़ने में मदद करता है और यहां तक कि वैज्ञानिकों ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया कि यह विदेशी गायों के दूध से बेहतर है. जब उर्वरक और ट्रैक्टर अज्ञात थे, गाय संपूर्ण कृषि को बनाए रखने वाला एकमात्र स्रोत था. गायों के बिना कृषि संभव नहीं थी. गायों ने गोबर की खाद के रूप में उर्वरकों का स्रोत प्रदान किया, जबकि बैलों ने जमीन की जुताई तथा कृषि उत्पादों के परिवहन में मदद करी. वर्तमान समय में भारवहन तथा कृषि संबंधी उद्देश्यों के लिए गाय के उपयोग में कमी आई है लेकिन गाय का दूध और दुग्ध उत्पाद किसानों के आय का प्रमुख स्रोत बने हुए हैं. दवाओं के निर्माण के लिए गोमूत्र का उपयोग बढ़ गया है तथा कारणस्वरूप देसी गाय पालन लाभदायक साबित हो रहा है.
भारत प्राचीन काल से ही एक कृषि प्रधान देश रहा है और देसी गाय युगों से भारतीय जीवन शैली का हिस्सा होने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही है. गाय का दूध और दुग्ध उत्पाद बहुसंख्यक भारतीय आबादी के लिए प्रमुख पोषण स्रोत हैं. देसी गाय का दूध A2 प्रकार का दूध है जो शिशुओं और वयस्कों में मधुमेह से लड़ने में मदद करता है और यहां तक कि वैज्ञानिकों ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया कि यह विदेशी गायों के दूध से बेहतर है. जब उर्वरक और ट्रैक्टर अज्ञात थे, गाय संपूर्ण कृषि को बनाए रखने वाला एकमात्र स्रोत था. गायों के बिना कृषि संभव नहीं थी. गायों ने गोबर की खाद के रूप में उर्वरकों का स्रोत प्रदान किया, जबकि बैलों ने जमीन की जुताई तथा कृषि उत्पादों के परिवहन में मदद करी. वर्तमान समय में भारवहन तथा कृषि संबंधी उद्देश्यों के लिए गाय के उपयोग में कमी आई है लेकिन गाय का दूध और दुग्ध उत्पाद किसानों के आय का प्रमुख स्रोत बने हुए हैं. दवाओं के निर्माण के लिए गोमूत्र का उपयोग बढ़ गया है तथा कारणस्वरूप देसी गाय पालन लाभदायक साबित हो रहा है.
भारत की देसी गायों की नस्लें
भारत की कुल पशुधन जनसंख्या 535.78 मिलियन है जिसमे कुल गायों की संख्या 192.49 मिलियन है. इनमें से देसी गाय की संख्या 142.11 मिलियन हैं. हालाँकि वर्तमान में अधिकांश देसी गाय वर्णनातीत (नॉन डेस्क्रिप्ट) हैं, लेकिन भारत में गाय की 26 अच्छी नस्लें मौजूद हैं. देसी गाय को दुधारू, ड्राफ्ट और दोहरे उद्देश्य वाली नस्लों में वर्गीकृत किया जा सकता है. दुधारू नस्लों की गाय अधिक दूध देने वाली होती हैं. ऐसी नस्लों के उत्कृष्ट उदाहरण गिर, सिंधी, साहीवाल और देओनी हैं. दोहरे उद्देश्य वाली नस्लें दूध देने की क्षमता के साथ-साथ भारवहन क्षमता में भी अच्छी होती हैं. हरियाना, ओंगोल, थारपारकर, कंकरेज आदि दोहरी उद्देश्य नस्लें हैं. इसी तरह, ड्राफ्ट नस्ल की गायें कम दूध देने वाली होती हैं, लेकिन बैल शानदार भारवहन क्षमता वाले होते हैं. इसके उदाहरण नागोरी, मालवी, केलरीगढ़, अमृतमहल, खिलारी, सिरी, इत्यादि हैं.
साहीवाल गाय
यह मूलतः उत्तर पश्चिमी भारत एवं पाकिस्तान में मिलती है. यह गहरी लाल रंग की होती है. इनका शरीर लम्बा ढीला एवं भारी होता है. इनका सर चौड़ा और सींग मोटे एवं छोटे होते हैं. यह एक ब्यांत में लगभग 2500-3000 लीटर दूध देती है.
गिर गाय
यह मूलतः गुजरात की नस्ल है. यह एक ब्यांत में लगभग 1500-1700 लीटर दूध देती है. इनके शरीर का अनुपात उत्तम होता है. इनके सींग मुड़े होते हैं जो माथे से पीछे की और मुड़ जाते हैं. इनके लम्बे कान होते हैं जो लटकते रहते हैं. इनकी पूंछ लम्बी होती है जो जमीन को छूती हैं. इनके शरीर का रंग धब्बेदार होता है.
हरियाणा गाय
यह मूलतः हरियाणा में पाई जाती है. इनका रंग लगभग सफ़ेद होता है. इनका सर ऊंचा उठा होता है. इनके सींग छोटे और ऊपर एवं भीतर की और मुड़े होते है. चेहरा लम्बा पतला एवं कान छोटे नुकीले होते है. इनकी पूँछ पिछले पैरों के जोड़ एवं जमीन के बीच आधी दूरी पर लटकती रहती है. यह एक ब्यांत में लगभग 1200 लीटर दूध देती है.
लाल सिंधी
यह मूलतः पाकिस्तान के सिंध प्रांत की नस्ल है लेकिन अब लगभग सारे उत्तर भारत में पाई जाती है. यह पशु गहरे लाल रंग का होता है. इनका चेहरा चौड़ा तथा सींग मोटे एवं छोटे होते है. इनके थन लम्बे होते है. ये प्रति ब्यांत लगभग 1600-1700 लीटर दूध देती है.
देसी गाय के डेयरी फार्म के लिए महत्वपूर्ण बातें: इस प्रोजेक्ट में दस देसी गायों के डेयरी फार्म से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी है.
गाय की नस्ल |
गिर/ साहीवाल/ लाल सिंधी/हरियाणा |
कुल जानवरों की संख्या |
10 |
एक गाय की कीमत |
50,000 रु |
एक गाय के लिए जगह (वर्ग फ़ीट में) |
10.5 |
विभिन्न मशीन खरीदने का प्रति पशु खर्च |
1000 रु |
एक गाय के बीमा का खर्च (प्रति वर्ष 3% की दर से) |
1500 रु |
चिकित्सकीय खर्चा (प्रति पशु प्रति वर्ष) |
1000 रु |
हरे चारे की कीमत |
1 रु/ किलो |
दाने की कीमत |
15 रु/ किलो |
सूखे चारे की कीमत |
2 रु/ किलो |
बिजली एवं पानी का प्रति पशु प्रति वर्ष खर्चा |
1000 रु |
प्रति पशु औसत दूध उत्पादन |
10 किलो |
दूध बेचने का मूल्य |
40 रु/ किलो |
चारे के बोरों को बेचने का मूल्य |
10 रु/ बोरा |
श्रमिक की तनख्वाह |
8000 रु/ महीना |
खाने से संबंधी जानकारी
चारा |
दूध के दिनों में |
दूध न देने वाले दिनों में |
हरा चारा |
20 किग्रा |
15 किग्रा |
सूखा चारा |
15 किग्रा |
15 किग्रा |
दाना |
6 किग्रा |
--- |
एक बार में होने वाला खर्चा (Capital Cost) |
रुपये में |
10 गाय की कीमत |
500000 |
10 गायों के लिए शेड का खर्चा (200रु प्रति वर्ग फीट) |
21000 |
उपकरणों का खर्च (1000 रुपये प्रति गाय) |
10000 |
अन्य खर्चा (500 रुपये प्रति गाय) |
5000 |
कुल खर्चा |
536000 |
निश्चित लागत प्रति साल (Fixed cost) |
रुपये में |
शेड का मूल्यह्रास (10% की दर से) |
2100 |
उपकरणों का मूल्यह्रास (10% की दर से) |
1000 |
बीमे का खर्च प्रति वर्ष (3% प्रति गाय) |
15000 |
ब्याज दर (12.5% की दर से) |
67000 |
कुल निश्चित लागत |
85100 |
बार बार होने वाला खर्चा (Variable cost) |
रुपये में |
हरा चारा |
73000 |
सूखा चारा |
109500 |
दाना |
328500 |
चिकित्सकीय खर्चा प्रति पशु प्रति वर्ष |
1000 |
श्रमिक की तनख्वाह |
96000 |
कुल (बार-बार होने वाला खर्चा) |
608000 |
आमदनी |
रुपये में |
दूध बेचने से |
800000 |
गोबर की खाद बेचने से |
36500 |
कुल आमदनी |
836500 |
कुल लाभ= कुल आमदनी - कुल (बार-बार होने वाला खर्चा)= 836500-608000=228500
निश्चित लाभ= कुल आमदनी – (निश्चित लागत + कुल (बार-बार होने वाला खर्चा))= 836500-(608000+85100)= 143400
निष्कर्ष: जनसंख्या में भारी वृद्धि, शहरीकरण और आय वृद्धि के कारण गाय के दूध और गोमूत्र जैसे अन्य उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है. देसी गाय के A2 दूध की श्रेष्ठता की वैज्ञानिक स्थापना के कारण देसी गाय के दूध की मांग तथा प्रति लीटर मुल्य में वृद्धि हुई है. जिसके स्वरुप किसानों के मुनाफे में इजाफा हुआ है. केंद्र और राज्य सरकार देसी गाय पालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत सब्सिडी प्रदान करती है. इस प्रकार किसान आसानी से न्यूनतम निवेश के साथ देसी गाय डेयरी फार्म शुरू कर सकते हैं और निश्चित लाभ कमा सकते हैं.
लेखक: कोमल1, अमनदीप1, गीतेश सैनी2, विनय यादव2 और अमरजीत बिसला2*
1पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन विभाग, 2पशु मादा एवम् प्रसूति रोग विभाग
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