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गायों में ‘थारपारकर’ है कामधेनु, कम खर्च में देती है सर्वाधिक दूध

दुग्ध उद्योग में भारत का विशेष स्थान है. खुद भारत में पशुपालन मुख्य तौर पर दुग्ध उत्पादन के लिए ही किया जाता है. इसकी प्रोसेसिंग और खुदरा बिक्री के लिए किए जाने वाले कार्यों से लाखों परिवार पोषित हो रहे हैं. वैसे तो हमारे देश में भैंस, बकरी और ऊंटनी आदि का दूध पिया ही जाता है, लेकिन गाय का दूध अधिक लोकप्रिय है.

सिप्पू कुमार
सिप्पू कुमार

दुग्ध उद्योग में भारत का विशेष स्थान है. खुद भारत में पशुपालन मुख्य तौर पर दुग्ध उत्पादन के लिए ही किया जाता है. इसकी प्रोसेसिंग और खुदरा बिक्री के लिए किए जाने वाले कार्यों से लाखों परिवार पोषित हो रहे हैं. वैसे तो हमारे देश में भैंस, बकरी और ऊंटनी आदि का दूध पिया ही जाता है, लेकिन गाय का दूध अधिक लोकप्रिय है.

यही कारण है कि अधिक दूध देने वाली गायों की मांग आज बढ़ रही है. पशुपालकों को ऐसी मवेशियां चाहिए जिन्हें पालने में लागत कम से कम और मुनाफा अधिक हो. थारपारकर एक ऐसी ही गाय है. इसका नाम पांच सबसे उत्तम दुधारू पशुओं शुमार है. इसके नस्ल को रोग प्रतिरोधी मवेशी के नाम से भी जाना जाता है.

मूल स्थान
विशेषज्ञों का मत है कि इसका मूल निवास रेतीला इलाका संभवत: कच्छ या बाड़मेर/जैसलमेर रहा होगा. हालांकि इस मामले पर विद्वानों का मत एक नहीं है.

क्यों है थारपारकर फायदेमंद

थारपारकर शुष्क क्षेत्रों में बड़े आराम से कठोर मौसम की मार को झेल सकता है. अलग-अलग जलवायु और पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढालने में इसे महारत हासिल है. इतना ही नहीं वो बहुत कम भोजन में भी जीवित रहने में समर्थ है. इसका औसतन जीवन 25 से 28 वर्ष तक का होता है और ये मध्यम आकार के सफेद रंग के होते हैं.

इसके दूध का दैनिक सेवन किया जा सकता है. इसका दूध मोटा और अत्यधिक पौष्टिक होता है, जिसमें औसतन 4.4% वसा और 9.0% SNF की मात्रा होती है. ध्यान रहें कि अन्य पशुओं की तरह इसके विकास में भी साफ-सुथरा और हवादार घर– बथान का योगदान है. इस पशु को हालांकि विशेष देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन सन्तुलित खान–पान एवं देख भाल उचित ढ़ंग से होना जरूरी है.

English Summary: Tharparkar Cow Cost Milk capacity Per Day and Characteristics know more about Published on: 11 March 2020, 05:53 IST

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