भारत हमेशा से कृषि-प्रधान देश रहा है किन्तु इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि आधुनिक समय में लोगों की रूचि कृषि में बहुत ही कम हो गई है। इसका एक कारण यह भी है कि किसान अपना खून-पसीना एक करके खेती तो करते हैं लेकिन प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को काफी नुकसान होता है जिसके कारण उन्हें उनकी मेहनत के मुताबिक फसलों का सही मूल्य नहीं मिल पाता है।
कृषि क्षेत्र से जुड़ी ज्यादा जानकारी के लिए कृषि जागरण टीम ने बिहार के समस्तीपुर में स्थित राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर. सी. श्रीवास्तव से खास बातचीत की। आपको बता दें कि डॉ. श्रीवास्तव ने इलाहाबाद कृषि विज्ञान संस्थान से कृषि अभियांत्रिकी में स्नातक तथा भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान, खड़गपुर से स्नातकोत्तर एवं पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। डॉ. श्रीवास्तव को कृषि विकास में महत्वपूर्ण योगदान हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं अन्य संस्थानों द्वारा कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। बातचीत के कुछ मुख्य अंश-
डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि कृषि वैज्ञानिक बनने के उपरान्त उनका ज्यादातर काम वर्षा जल प्रबंधन को लेकर रहा है। वर्षा जल प्रबंधन द्वारा सिंचाई स्रोत विकसित करने पर उन्होंने काम किया जिसके तहत वर्षा जल प्रबंधन में 4 ईको सिस्टम पर काम किया। उन्होंने टैंक कम वेल सिस्टम विकसित किया जिसके कारण पठारी क्षेत्रों में सिंचाई करना काफी आसान हो गया है। यह तकनीकी उड़ीसा में काफी प्रचलित है और सरकार ने इस तकनीकी को सराहा और अपनाया। उन्होंने बताया कि जो भी तकनीकी उन्होंने विकसित की है वह खासकर छोटे और मंझोले किसानों के लिए है जिससे कि वो इनका उपयोग करके ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त कर सकें।
डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि बिहार किसान की सबसे बड़ी परेशानी जल प्रबंधन है। यहां के किसानों पर बरसात की दोहरी मार पड़ती है। बारिश के समय ज्यादा पानी तथा बरसात के बाद पानी की कमी हो जाती है इसलिए विश्वविद्यालय का ज्यादा जोर जल-प्रबंधन पर रहेगा। जल-प्रबंधन पर विश्वविद्यालय की तरफ से दो केंद्र बनाए जाएंगे जो जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर अध्ययन करेंगे। यदि देखा जाए तो आजकल लोगों की रूचि जैविक खेती की ओर बढ़ रही है इसलिए विश्वविद्यालय गन्ने की जैविक खेती पर कार्य करेगा और भविष्य में यहाँ पर जैविक गुड़ और शक्कर तैयार करने के लिए एक केंद्र खोले जाने पर विचार किया जा रहा है।
डॉ. श्रीवास्तव ने किसानों के लिए भी सन्देश दिया कि किसान एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाएं। जितना हो सके पानी का कम उपयोग करें। किसानों के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में सारी जानकारी रखें तथा उनका फायदा उठाएं और कभी भी निराश ना हों। जैसा कि वो हमेशा कहते हैं “Never say die until you die“ मतलब जब तक आप जिन्दा हंै तब तक हार मत मानिए।
English Summary: Our aim is to benefit small and medium farmers.
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