एक प्रख्यात कहावत है आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है. बिना आवश्यकता के आविष्कार की कल्पना भी नामुमकिन है. मानव ने जब आग की जरूरत को महसूस किया, तो इसका अविष्कार किया. जब रेलगाड़ी की जरूरत को महसूस किया, तो इसका अविष्कार किया. अभी हाल में इस महामारी के दौरान जब टीके की जरूरत को महसूस किया गया, तो टीकों का आविष्कार किया गया है. इन सभी स्थितियों से यह स्पष्ट होता है कि ‘आवश्यकता ही अविष्कार’ की जननी है.
ठीक उसी प्रकार,सरकार की तरफ से भी आम नागरिकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कई योजनाएं चलाई जाती रही है. इस सभी योजनाओं को शुरू करने के पीछे एकमात्र उद्देश्य आम नागरिकों का हित ही रहा है. वहीं, आज से तकरीबन एक वर्ष पहले महामारी के दौर में केंद्र सरकार ने आम लोगों के लिए भी एक ऐसी ही योजना की जरूरत को महसूस किया था, जिसको पूरा हुए आज एक वर्ष हो चुके हैं. इस लेख में जानिएं इस योजना के बारे में.
आखिर क्या है ये योजना
केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का नाम ‘प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना’ है. इसी योजना को जुलाई माह में एक वर्ष पूरा हो चुका है. कोरोना काल में दिल्ली, मुंबई सहित अन्य महानगरों में रहने वाले लोगों ने जिस तरह रोजगार के अभाव में अपने-अपने गांवों की ओर जाना शुरू किया था, उसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार द्वारा इस योजना की शुरूआत की गई थी. विगत वर्ष पीएम मोदी ने ‘लोकल फॉर वोकल’ जैसे स्लोगन का इस्तेमाल किया था. पीएम मोदी द्वारा इस स्लोगन का इस्तेमाल करने का एकमात्र उद्देश्य यही था कि लोग स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दें. इससे उत्पादों का स्थानीयकरण बढ़ेगा और हमें उत्पादों के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना होगा. इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा. सरकार ने अपनी इसी मंशा को नई रफ्तार देने के लिए ‘प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना’ की शुरूआत की थी. केंद्र सरकार का 130 करोड़ लोगों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह महत्वपूर्ण प्रयास है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य स्थानीय बाजार, स्थानीय उत्पाद, स्थानीय आपूर्ति को बढ़ावा देना है .
जानें, क्या है इस योजना का उद्देश्य
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जीएसटी, एफएसएसएआई, उद्योग के आधार के लिए, पंजीकरण के उन्नयन के लिए एवं फॉर्मुलाइजेशन के लिए इसमें निवेश की व्यवस्था की गई है.
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इस योजना के तहत छोटे उद्यमियों को प्रशिक्षण, खाद्य सुरक्षा मानकों व स्वास्थ्य के संदर्भ में जानकारी देने की व्यवस्था की गई है.
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बैंक ऋण एवं डीपीआर तैयार करने के लिए हैंड हैल्डिंग की व्यवस्था प्रदान की गई है.
जानें, इस योजना के प्रावधान
इस योजना में कई ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जिनका छोटे उद्यमी लाभ उठा सकते हैं. जैसे इस योजना के तहत आप सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना प्रोजेक्ट लागत के 35 प्रतिशत प्रोजेक्ट, लिंकिड कैपिटल का फायदा उठा सकते हैं. इसके इतर इसके माध्यम से 10 लाख रूपए तक की सब्सिडी भी प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए शर्त यह है कि लाभार्थी के लिए न्यूनतम योगदान 10 फीसदी होना चाहिए और शेष राशि बैंक ऋण होना चाहिए.
स्वयं सहायता समूहों को भी मिल सकती है पूंजी
इसके साथ ही इस योजना के माध्यम से उद्यमी प्रारंभिक पूंजी भी प्राप्त कर सकते हैं. उद्यमी वर्किंग कैपिटल तथा औजारों की खरीद के लिए खाद्य प्रसंस्करण में कार्यरत प्रत्येक समूह के प्रत्येक सदस्य को 40 हजार रूपए प्रदान करने का प्रावधान है.
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