किसानों के लिए पशुपालन एक मुनाफा देने वाला व्यवसाय है. इस व्यवसाय को एक ऐसा व्यवसाय माना जाता है जिसमें घाटा होने की संभावना बहुत कम होती है. अब तो पशुपालन में कई नई वैज्ञानिक पद्धतियां भी विकसित हो गई हैं जोकि किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित हो रही है. इसी क्रम में नाबार्ड ने डेयरी इंटरप्रेन्योर डेवलपमेंट स्कीम (Dairy Entrepreneur Development Scheme) संचालित की है. DEDS योजना की शुरुआत भारत सरकार ने 1 सितंबर 2010 में की थी. इस योजना के तहत पशुपालन की चाह रखने वाले व्यक्ति को कुल प्रोजेक्ट कॉस्ट का 33.33 फीसद तक की सब्सिडी देने का प्रावधान है. इस योजना के तहत 10 भैंस की डेयरी को 7 लाख का ऋण पशुधन विभाग मुहैया कराएगा.
गौरतलब है कि कामधेनु और मिनी कामधेनु योजना पूर्व में संचालित की गई थी जिसके लिए भैंस पालन करने वाले को खुद के पास से भी मोटी रकम लगानी होती थी. जमीन भी बंधक होती तो तमाम शर्ते थीं, जिसको हर व्यक्ति आसानी से पूरी नहीं कर पाता था. लेकिन जब डेयरी इंटरप्रेन्योर डेवलपमेंट स्कीम शुरू हुई तो छोटी डेयरी की योजनाएं खत्म हो गईं. बता दें कि केंद्र सरकार ने गांवों में लोगों को रोजगार मुहैया कराने के साथ ही दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए डेयरी इंटरप्रेन्योर डेवलपमेंट स्कीम की शुरूआत की है. नाबार्ड की तरफ से फाइल मंजूर होते ही दो दिन के अंदर सब्सिडी भी दी जाएगी. सामान्य वर्ग के लिए 25 फीसद और महिला व एससी वर्ग के लिए 33 फीसद सब्सिडी दी जाएगी. यह सब्सिडी संबंधित डेयरी संचालक के ही खाते में रहेगी.
DEDS योजना के तहत लोन देने वाले वित्तीय संस्थान (Lending Institutions under DEDS Scheme)
वाणिज्यिक बैंक
क्षेत्रीय बैंक
राज्य सहकारी बैंक
राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक
अन्य संस्थान जो NABARD से पुनर्वित्त पाने के पात्र है.
DEDS लोन के लिए जरूरी दस्तावेज (Documents required for DEDS loan)
यदि लोन 1 लाख से अधिक है तो लोन लेने वाले को अपनी जमीन संबंधी कुछ कागजद गिरवी रखने पड़ सकते है.
जाति प्रमाण पात्र
पहचान पत्र और प्रमाण पत्र
प्रोजेक्ट बिजनेस प्लान की प्रति
DEDS योजना संबंधी जरूरी बातें (DEDS Planning Essentials)
उद्यमी को पूरी पोजेक्ट कॉस्ट का कम से कम 10 फीसद अपने पास से लगाना पड़ेगा. इसके अलावा अगर प्रोजेक्ट किसी कारणवश 9 महीने से पहले पूरा नहीं हो पता है तो प्रोजेक्ट लगाने वाले को सब्सिडी का लाभ नहीं मिलेगा. साथ ही इस योजना के तहत दी जाने वाली सब्सिडी बैक एंडेड सब्सिडी (Back Ended Subsidy) होगी. Back Ended से हमारा तात्पर्य ‘NABARD’ द्वारा सब्सिडी जिस बैंक से लोन लिया गया है उस बैंक को जारी की जाएगी, और वह बैंक लोन देने वाले व्यक्ति के नाम पर उस पैसे को अपने पास जमा रखेगा.
इस ख़बर के बारे में और अधिक जानकारी के लिए आप https://www.nabard.org/content.aspx?id=591 पर विजिट कर सकते है.
डेयरी के लिए नाबार्ड से लोन कैसे मिलेगा? (How to get loan from NABARD for Dairy?)
लोन प्राप्त करने के लिए पशुपालक को किसी राष्ट्रीयकृत बैंक या अपने नजदीकी पशु केंद्र विजिट कर नाबार्ड के तहत मिलने वाली सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए फॉर्म प्राप्त करना पड़ेगा. तत्पश्चात फॉर्म भरकर पशुपालक को बैंक विजिट कर अपने फॉर्म को जरूरी दस्तावेजों के साथ संलग्न करके जमा करना पड़ेगा. जिसके बाद बैंक की तरफ से पशुपालक के आवेदन को स्वीकृति प्रदान कर नाबार्ड को भेजा जाएगा. तब फिर नाबार्ड पशुपालक को सब्सिडी प्रदान के लिए बैंक को लोन मुहैया कराएगा. गौरतलब है कि पशुपालन लोन का फायदा उसी पशुपालक को मिल पाएगा जिसने किसी भी बैंक से लोन न लिया हो. अधिक जानकारी के लिए http://dadf.gov.in/deds पर विजिट करें.
DEDS योजना का लाभ
https://www.nabard.org/auth/writereaddata/file/DEDS_-_Details_of_Beneficiaries-%20Jan%202020-%20Without%20Addhar%20Numbers%20for%20web%20site.pdf
https://www.nabard.org/auth/writereaddata/file/DEDS_-_Details_of_Beneficiaries%2015%20Mar20.pdf
Share your comments