छत्तीसगढ़ लाख उत्पादन (Lac Production) करने वाला देश का सबसे बड़ा राज्य है. देश में उत्पादित हो रहे लाख का कई फीसदी हिस्सा छत्तीसगढ़ से आता है. यहां के लोग कहते हैं “लाख लगाबो, लाखों कमाबों”. यहां के किसान लाख का उत्पादन कर कई गुना मुनाफा कमा रहे हैं.
लाख उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित करती हैं और समय-समय पर विभिन्न योजनाएं लॉन्च करती रहती हैं. इसी कड़ी में प्रदेश सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ ने बीहन लाख आपूर्ति व बीहन लाख बिक्री के लिए किसानों की व्यवस्था करते हुए लाख के भाव तय कर दिए हैं. इसके साथ ही लाख फसल की खेती (Lac Crop Farming) के लिए लोन भी दिया जाएगा. इस लोन पर किसानों से कोई ब्याज नहीं (No Interest Loan Farming) लिया जाएगा.
किसानों को बिना ब्याज लोन और नि:शुल्क ट्रेनिंग देगी सरकार
छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा किसानों को लाख की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए जिला सहकारी बैंक के माध्यम से लाख की फसल के लिए लोन (Lakh Farming Loan) दिया जाता है. यह लोन नि:शुल्क ब्याज के साथ दिया जाता है. योजना के तहत लाख पोषक वृक्ष कुसुम पर 5 हजार रुपए, बेर पर 900 रुपए और पलाश पर 500 रुपए प्रति वृक्ष की लोन सीमा निर्धारित है. इसके साथ ही राज्य सरकार के द्वारा किसानों को ट्रेनिंग दी जाती है. राज्य लघु वनोपज संघ के द्वारा कांकेर में स्थापित प्रशिक्षण केंद्र में 3 दिन का प्रशिक्षण दिया जाता है. योजना का लाभ लेने के लिए आप संबंधित विभाग में संपर्क कर सकते हैं.
किसानों से लाख भी खरीदेगी सरकार
सरकार के द्वारा लाख उत्पादक किसानों से लाख भी खरीदी जाती है. राज्य सरकार ने लाख को खरीदने के लिए ब्रिकी मूल्य निर्धारित किया है. इसके तहत कुसुमी लाख (बेर के पेड़ से प्राप्त) 550 रुपए प्रति किलो तथा रंगीन लाख (पलाश के पेड़ से प्राप्त) 275 रुपए प्रति किलो के भाव से खरीदी जाएगी. इसके साथ जो किसान लाख खरीदने के इच्छुक हैं, उनके लिए सरकार ने विक्रय दर तय की है. जिसके तहत कुसुमी लाख (बेर के पेड़ से प्राप्त) के लिए विक्रय दर 640 रुपए प्रति किलो और रंगीन लाख (पलाश के पेड़ से प्राप्त) के लिए विक्रय दर 375 रुपए प्रति किलो तय की गई है. योजना के लिए 20 जिला यूनियनों में 3 से 5 प्राथमिक समिति क्षेत्र को जोड़ते हुए लाख उत्पादन क्लस्टर का गठन किया गया है. इसमें किसानों से 15 नवंबर तक रंगीनी बीहन लाख और 15 दिंसबर कुसुम बीहन लाख की मांग की जानकारी मांगी गई है.
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बता दें कि लाख केरिना लाका नामक कीट से उत्पादित होने वाली राल है, लाख के कीड़े पलाश, कुसुम- बेर के पेड़ों पर पाले जाते हैं, यह कीड़े अपनी सुरक्षा के लिए राल का कवच बना लेते हैं, जिसे टहनियों से खुरच कर निकाला जाता है. राज्य के ज्यादा किसान लाख की खेती करते हैं. राज्य में करीब 4 हजार टन लाख का उत्पादन होता है. सरकार के द्वारा प्रदेश में लाख उत्पादन को 10 हजार टन बढ़ाते हुए किसानों को 250 करोड़ की आय देने का लक्ष्य रखा है.
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