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'आशा वाटिका' के सहारे मिल रहा है पोषण

घर के बड़े आंगन में अब आपको हर समय पर लहलहाती सब्जियां आसानी से मिल सकती है. उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में शहर से करीब छह किलोमीटर टनकपुर हाईवे स्थित गांव सैदपुर में एक महिला किसान के घर अलग नजारा देखने को मिला हैं. दरअसल आशा अपने घर पर ही जैविक विधि के सहारे मौसमी सब्जियां और फल को उगाती है. खास बात है कि उनकी इस पहल से घर के परिवार को पोषक तत्वों से भरपूर खाना मिलता है. उनकी इस पहल से आज गांव का हर कोई व्यक्ति जागरूक हो रहा है.

किशन
HARIYALI

घर के बड़े आंगन में अब आपको हर समय पर लहलहाती सब्जियां आसानी से मिल सकती है. उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में शहर से करीब छह किलोमीटर टनकपुर हाईवे स्थित गांव सैदपुर में एक महिला किसान के घर अलग नजारा देखने को मिला हैं. दरअसल आशा अपने घर पर ही जैविक विधि के सहारे मौसमी सब्जियां और फल को उगाती है. खास बात है कि उनकी इस पहल से घर के परिवार को पोषक तत्वों से भरपूर खाना मिलता है. उनकी इस पहल से आज गांव का हर कोई व्यक्ति जागरूक हो रहा है.

सेम, बैंगन की फसल तैयार हुई

आशा देवी के घर के आंगन में इन दिनों दो तरह की सेम की प्रजाति सेम, मूली, हरी मिर्च, बैंगन, टमाटर के साथ ही अनार, पपीता और नींबू की फसलें तैयार हो रही है. लौकी और तोरई की फसल वह कई महीनों तक ले चुकी है. बुखार में इलाज के काम आने वाली बूटी कालमेघ के साथ एलोवेरा के पौधे भी आज उनके आंगन की शोभा को बढ़ा रहे है.

बाजार से नहीं खऱीदते सब्जी

आशा कहती है कि उनके पास कुल नौ बीघा पुश्तैनी खेती मौजूद है. उन्होंने बताया कि अनाज और पशुओं के लिए चारे को खेत में उगाया जा रहा है और साथ ही कई तरह की फल-सब्जियां भी खुद के ही खेत में उगाई जा रही है. वह बताती है कि उनको रोजमर्रा की जरूरत के हिसाब से सब्जियों के लिए अब बाजार पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है.  आज घर के अंदर ही जैविक सब्जियों को तोड़कर लाया जाता है और उन्हीं को पकाकर खाना बनाया जाता है.वह बताती है कि भैंसे पाल रखी थी लेकिन उसके मरने के बाद उनकी संताने लगातार दूध दे रही है.

AGRICULTURE

दर्जन भर घरों में है गृहवाटिका

आशा देवी समेत गांव की करीब दर्जन भर महिलाओं के घर में ऐसी ही पोषण देने वाली वाटिका है. इसके लिए राजकीय कृषि विज्ञान केंद्र की गृहविज्ञानी डॉ रीना सेठी ने उनको जागरूक किया है. उन्होंने कई प्रकार की सब्जियों और फलों के बीज को लाकर दिया है. उन्होंने लोगों को घर के आसपास की खाली जगह के बारे में समझाया और गृहवाटिका को बनाने का आग्रह किया जिससे की फल और सब्जियां मिलती रहेंगी.

क्या कहती है गांव की महिला

वह कहते है कि हम लोग काफी गरीब लोग है. मजदूरी करके परिवार को चला रहे है. वह महंगी सब्जियों को बाजार से नहीं खरीद पाते है इसीलिए उन्होंने कई प्रकार के सब्जियों और फलों के बीज को लाकर दिया है और सभी के बीजों को यहां पर बो दिया है. वह घर के अंदर मूली, गाजर, गोभी, भिंडी, पपीता, अमरूद, करी पत्ता, सेम, तोरई, लौकी उगाते है. वह कहती है कि घर के अंदर उगी सब्जियों का अलग ही स्वाद होता है.

English Summary: Women are aware of the nutritional elements by growing vegetables on the roof of the house Published on: 13 September 2019, 03:39 PM IST

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