गन्ना मुख्य रूप से व्यवसायिक फसल है. विपरीत परस्थितियां भी गन्ना की फसल को ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाती. इन्हीं विशेष कारणों से गन्ना की खेती अपने आप में सुरक्षित व लाभ की खेती है.
मध्य प्रदेश में गन्ना उत्पादक जिले नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, बैतूल व दतिया जिले मुख्य है. वर्तमान समय में प्रदेश में कुल गन्ने के उत्पादन का 50 फीसदी सिर्फ नरसिंहपुर जिले में ही होता है.
यहां पर गन्ने की उत्पादकता बढ़ाने की आसीम सांभवना है. यह कार्य केवल वैज्ञानिक तकनीकी से ही संभव हो सकता है. साथ ही दिनों-दिन प्रदेश में सिंचाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी के कारण नये गैर-परम्परागत क्षेत्रफलों में भी गन्ना की खेती (Sugarcane Farming) की जा सकती है.
गन्ने के उत्पादन की मुख्य समस्याएं (Main problems of sugarcane production)
1. किसानों को अनुशंसित जातियों का उपयोग न करना व पुरानी जातियों पर निर्भर रहना.
2. रोगरोधी उपयुक्त किस्मों की उन्नत बीजों की अनुपलब्धता का होना.
3. बीज उत्पादन कार्यक्रम का अभाव होना.
4. बीज उपचार न करने से बीज जनित रोगों व कीड़ों का प्रकोप और ज्यादातर प्रजाती को अपनाना.
5. कतार से कतार कम दूरी व अंतरवर्तीय फसलें न लेने से प्रति हे. उपज व आय में कमी का होना है .
6. पोषक तत्वों का संतुलित एवं एकीकृत प्रबंधन न किया जाना.
7. उचित जल निकास एवं सिंचाई प्रबंधन का अभाव.
8. उचित जड़ी प्रबंधन का अभाव.
9. गन्ना फसल के लिए उपयोगी कृषि यंत्रों का अभाव जिसके कारण श्रम लागत अधिक होना.
गन्ने को ही क्यों चुने (why choose sugarcane)
1. यह एक बहुवर्षीय फसल है। इसके अच्छे तरीके से देख रेख करके प्रति साल 1,50,000 रूपये से ज़्यादा का मुनाफा कमाया जा सकता है.
2. प्रदेश में मुख्यरूप से प्रचलित फसल जैसे मक्का-गेंहू या धान-गेंहू, सोयाबीन-गेंहू की अपेक्षा ज्यादा लाभ देने वाली फसल है.
3. यह सभी फसलों में निम्नतम जोखिम भरी फसल है जिस पर रोग, कीट ग्रस्तता एवं विपरीत परिस्थितियों का अपेक्षाकृत कम असर कर पाते है.
4. गन्ना के साथ अन्तवर्तीय फसल लगाकर 3-4 माह में ही प्रारंभिक लागत मूल्य प्राप्त किया जा सकता है
5. गन्ना की किसी भी अन्य फसल से प्रतिस्पर्धा नहीं है. साल भर उपलब्ध साधनों एवं मजदूरों का सद्उपयोग होता है.
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