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Grafting: ग्राफ्टिंग द्वारा एक ही पेड़ पर लगा सकते हैं कई फल, जानें क्या है यह तकनीक, और यह कैसे की जाती है?

अकसर हमने सुना है कि एक पेड़ पर एक ही किस्म का फल प्राप्त होता है. लेकिन क्या आपको पता है कि एक ऐसी तकनीक है, जिससे हम एक पेड़ से कई फल प्राप्त कर सकते है. नहीं ना... तो आज हम इसी तकनीक के बारे में विस्तार से बताएंगे और इसके क्या फायदे हैं. पूरी जानकारी के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें—

वर्तिका चंद्रा
grafting technique
grafting technique

Grafting technique : कुछ लोगों को घरों में या गार्डेन में कई तरह के पौधे लगाने का शौक होता है. गार्डेनिंग का शौक़ रखने वाले नर्सरी से कई किस्मों के पौधे लाकर अपने बगीचे में लगाते है. ऐसे  शौकीन लोगों के लिए ग्राफ्टिंग तकनीक बहुत ही फायेदमंद है. हालांकि यह तकनीक कृषि क्षेत्र में भी काफी उपयोगी है. आपको बता दें कि ग्राफ्टिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसमें दो पौधों को जोड़ कर एक नया पौधा विकसित किया जाता है, जो मूल पौधे की अपेक्षा में ज्यादा उत्पादन करता है. ग्राफ्टिंग विधि द्वारा तैयार किये गए पौधे की विशेषता यह है कि, इसमें दोनों पौधों के गुण और विशेषताएं रहती हैं.

मालूम हो कि, ग्राफ्टिंग तकनीक का उपयोग कई तरह के पौधों को विकसित करने के लिए किया जाता है. इस तकनीक का उपयोग गुलाब, सेब, आम, जामुन और संतरे जैसे कई बारहमासी पौधो पर करते हैं.

ग्राफ्टिंग के प्रकार

  1. एप्रोच ग्राफ्टिंग – Approach grafting
  2. साइड ग्राफ्टिंग – Side grafting
  3. स्प्लिस ग्राफ्टिंग – Splice grafting
  4. सैडल ग्राफ्टिंग – Saddle grafting
  5. फ्लैट ग्राफ्टिंग – Flat grafting
  6. क्लेफ्ट ग्राफ्टिंग – Cleft grafting

इसे भी पढ़ें-सब्जियों की खेती: ग्राफ्टिंग विधि से सब्जियों की खेती कर खुद को ऐसे करें मलामाल

कैसे की जाती है ग्राफ्टिंग

घर के गार्डेन में पौधों की ग्राफ्टिंग करना बहुत ही आसान है. इसके साथ ही ग्राफ्टेड पौधे जल्दी से विकसित हो जाते हैं. गार्डन में पौधों को ग्राफ्टिंग करने के लिए जड़ वाले पौधे यानी रूट स्टॉक (root stock) और सायन और कलम वाले पौधे को लिया जाता है. अब रूट स्टॉक और सायन को आपस में जोड़ने के लिए दोनों के सिरों को 1-5 इंच तक चाकू से तिरछा काटें. इसके बाद सायन के तिरछे कटे भाग को रूट स्टॉक के कटे भाग के ऊपर लगाते हैं. फिर दोनों कटे भागों को आपस में जोड़कर एक टेप की मदद से बाँध देते हैं. इसके बाद रूट स्टॉक (root stock) और सायन (Scion) ऊतक आपस में जुड़ने लगते हैं. इस विधि से पौधे की वृद्धि होना शुरू हो जाती है. इस प्रकार इस विधि द्वारा पौधों को तैयार कर सकते हैं.

ग्राफ्टिंग के फायदे

  • ग्राफ्टिंग तकनीक का इस्तेमाल करके हम फल और फूलों के पौधों को आसानी से विकसित कर सकते हैं.
  • ग्राफ्टिंग से तैयार पौधे से करीब साल भर फूल या फल प्राप्त होते हैं.
  • ग्राफ्टिंग विधि से तैयार पौधों को घर पर गमले की मिट्टी में भी लगाया जा सकता है.
  • ग्राफ्टिंग तकनीक से विकसित पौधों का आकार भले ही छोटा हो, लेकिन इनमें फल-फूल जल्दी लगने लगते हैं.
  • ग्राफ्टिंग करने से पौधों की रोग प्रतिरोधक शक्ति भी बढ़ जाती है, इससे पौधों में रोग कम लग पाता है
  • ग्राफ्टिंग से तैयार पौधों को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती है.
  • ग्राफ्टेड पौधों की गुणवत्ता और विशेषता बीजों द्वारा लगाये गए पौधों से अच्छी होती है.
English Summary: what is this the grafting technique and how is it done? Published on: 02 October 2023, 08:43 PM IST

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