आज हम आपको बताने जा रहे है की कैसे हम जान सकते हैं की पौधों में किस तत्व की कमी है. इसमें हमारी सहयता पौधों की पत्तियां स्वंम करेगी. एक सफल किसान का ये कर्तव्य भी बनता है की फसल के अच्छे उत्त्पादन के लिए पौधों में पोषक तत्वों की कमी की पहचान पौधों के चिन्हो से पहचान ले. वैज्ञानिकों का कहना है की हम पौधों के तना,पत्ते और फूल से पहचान कर सकते हैं की पौधे में कौन से तत्व की कमी है. पौधों में पोषक तत्वों की कमी से अकसर उनकी पत्तियों के रंगो में परिवर्तन हो जाता है.
पोषक तत्वों के कमी के लक्षण
बोरान
वर्धनशील भाग के पास की पत्तियों का रंग पीला हो जाता है. पौधों की कलियाँ सफ़ेद या मिट्टी के रंग की तरह दिखाई देने लगती है.
गंधक
इसकी कमी से पौधों के पत्तें, शिरा सहित गहरे पीले रंग में बदल जाते है. और ये सभी बाद में सफ़ेद होने लगती है इसके कमी से सबसे पहले नई पत्तियां प्रभावित होती है.
मैगनीज
इसके कमी में पतियों का रंग पीला धूसर या लाल धूसर हो जाता है. पतियों के किनारे और बीच के शिराओ के भाग हरे हो जाते हैं.
जस्ता
सामन्य तौर पर पत्तियों के शिराओ के मध्य में हरित महीन के लक्षण दिखाई देने लगते है और पत्तों का रंग कासे के तरह होने लगता है.
मैगनिशियम
इसकी कमी से पत्ते के आगे वाले भाग का रंग गहरा हरा हो जाता है और शिराओ का रंग सुनहरा पीला हो जाता है अंत में किनारे से अंदर की ओर लाल बैगनी रंग के धब्बे बन जाते हैं.
फास्फोरस
पौधों की पतियों में फास्फोरस की कमी के कारण छोटी रह जाती है.; इसके साथ पौधों का रंग गुलाबी होकर हरा हो जाता है.
कैल्शियम
सब पहले इसकी कमी के कारण प्राथमिक पत्ती प्रभावित होती है. और देरी से निकलने लगती है शीर्ष कलियाँ ख़राब हो जाती हैं आगे की तरफ पत्तियां चिपक जाती हैं.
लोहा
इसकी कमी से सबसे पहले नये पत्ते के ऊपरी भाग सबसे पहले हरित महीन होने लगती है. शिराओ को छोड़कर पत्तियों का रंग एक साथ पीला होने लगता है. रंग पीला होने के बाद पौधे की पर भूरे रंग का धब्बा आने लगता है.
तांबा
नई पत्तियां एक साथ गहरे पिले रंग की हो जाती है और इसके साथ ही सूख कर गिरने लगती है. खाद्दयान वाली फसलों में गुच्छे बनने लगते है. शीर्ष में दाने नहीं लगते है.
पोटैशियम
सबसे पहले पुरानी पतियों का रंग पीला / भूरा हो जाता है और पत्ते के किनारे फट जाते है.मोटे आनाज मक्का एवं ज्वार ये लक्षण पत्तों के आगे वाले भाग से चालू होते है.
नाइट्रोजन
इसके कमी से पौधे हरे रंग के या हल्के पीले रंग के होइकर बौने रह जाते है. पुरानी पत्तियां पहले पीली हो जाती है. मोटे आनाज वाली फसलों में पतियों का पीलापन आगे के भाग से शुरू होकर बीच के शिराओ तक फ़ैल जाता है.
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