VL 2041 Wheat variety : हमारे देश के कृषि वैज्ञानिक समय समय पर किसानों के लिए नए आविष्कार तथा नई तकनीक लेकर आते हैं, ताकि किसानों के कार्य में आसानी हो.इसी कड़ी में विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के वैज्ञानिकों ने गेहूं की एक ऐसी प्रजाति विकसित की है, जिसका उपयोग बिस्किट बनाने में किया जा सकता है. विकसित की गई इस नई प्रजाति का नाम है वी. एल 2041 (VL 2041) , जिसे वीएल कुकीज के नाम से भी जाना जाता है. इसका उपयोग बेकरी के उत्पाद बनाने आदि में किया जाएगा.
इन राज्यों के लिए है उपयुक्त
विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा द्वारा विकसित की गई वीएल 2041 प्रजाति उत्तर-पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र के राज्यों उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, जम्मू एवं कश्मीर तथा मणिपुर के लिए बेहद उपयुक्त है. इसके अलावा इसे पूरे देश में भी उगाया जा सकता है.
कब हुई विकसित
वीएल 2041 गेहूं की प्रजाति की पहचान 61वीं अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ शोधकर्ताओं की वार्षिक बैठक के दौरान समिति द्वारा की गई.
बेकरी कार्यों के लिए है उपयुक्त
भारत की जनसंख्या को देखें तो यहां का बाजार हर एक वस्तु के लिए उपयोगी है. बाजार में बेकरी उत्पादों की मांग बेहद अधिक है, फिर चाहे कोई भी शुभ अवसर हो या फिर सुबह शाम की चाय, लोग इस दौरान बेकरी वस्तुओं का ही सेवन करते हैं.
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बेकरी में कौन से आटे का उपयोग होता है. बेकरी के उत्पादों में अक्सर मैदे का इस्तेमाल होता है, जो कि सेहत के लिए हानिकारक है, या फिर गेहूं में कुछ केमिकल पदार्थों का उपयोग किया जाता है ताकि आटे की गुणवत्ता बिस्किट बनाने के लिए उपयुक्त बन पाए. लेकिन अब इस समस्या का समाधान अल्मोड़ा के कृषि वैज्ञानिकों ने निकाल लिया है. जो कि बेकरी उत्पादों के लिए बहुत ही अच्छा विकल्प है. इस प्रजाति में वह सारे गुण मौजूद हैं जो एक बिस्किट बनाने के लिए चाहिए.
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वीएल 2041 गेहूं की खासियत
अखिल भारतीय परीक्षणों में उपराऊं दशा में तीन वर्षों में औसत उपज 29.06 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, जबकि सिंचिंत दशा में 49.08 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई. जो कि वी0एल गेहूं 907, एच0पी0डब्ल्यू 349, एच0 एस0 507 से कई फीसदी अधिक है. इसके अलावा यह प्रजाति गेहूं में लगने वाले गेहूं ब्लास्ट रोग के खिलाफ भी प्रतिरोधी हैं. साथ ही यह भूरा तथा पीला रतुआ रोग से भी लड़ने में सक्षम है.
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