रबी सीजन की फसलों (Rabi Season Crops) की बुवाई सामान्यतः अक्टूबर से नवम्बर के महीनों में की जाती है. इन फसलों की बुवाई के समय कम तापमान की आवश्यकता होती है, साथ ही फसल पकते समय खुश्क और गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है.
रबी सीजन (Rabi Season) में गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों आदि फसलों की खेती को प्रमुख स्थान दिया जाता है. मौजूदा समय में किसानों ने रबी फसलों (Rabi Crops) की बुवाई की तैयारियां शुरू कर दी हैं. बता दें कि रबी सीजन की फसलों (Rabi Season Crops) की खेती करते समय सिंचाई के लिए नलकूप, तालाब, कुएं और भूमिगत जल संसाधनों पर आश्रित रहना पड़ता है. ऐसे में किसानों को अपनी खेती की कार्य योजना बहुत सोच समझ के बनानी चाहिए.
इसी बीच चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कृषि विशेषज्ञों ने रबी फसलों (Rabi Crops) की के अंतर्गत आने वाली दलहनी फसलों (Pulses crops) की सुरक्षा के लिए सलाह जारी की है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसानों को अपने खेतों से रबी फसलों की बंपर पैदावार (Bumper yields of rabi crops) लेना चाहते हैं, तो इसके लिए उन्हें कुछ आवश्यक सावधानी बरतनी होंगी. ज़रूर है कि किसान उकठा, जड़, झुलसा, रतुआ, चूर्णित और आशिता रोग से बचाव करके फसलों की 100% पैदावार प्राप्त करें.
कृषि विशेषज्ञों ने चना, मसूर और मटर में लगने वाले रोगों की रोकथाम के लिए टीकाकरण को जरूरी बताया है. उनका कहना है कि अक्सर दलहनी फसलों में फफूंदी और जीवाणु जनित रोग जैसे जड़ सड़न, झुलसा, उकठा, रतुआ, चूर्णित व आशिता रोगों का प्रकोप हो जाता है. इसकी रोकथाम के लिए किसानों को कुछ विशेष सावधानी बरतनी होंगी.
दलहनी फसलों में टीकाकरण जरूरी (Vaccination is necessary in pulse crops)
किसानों को बुवाई से पहले मृदा शोधन अवश्य करना चाहिए. एक हेक्टेयर फसल के लिए 1 किलो ट्राइकोडर्मा को 25 किलो गोबर की खाद में मिलाएं और बुवाई के 15 दिन पहले शाम के समय खेत में मिला दें. इसके बाद हल्की सिंचाई कर दें.
उकठा रोग का प्रबंधन (management of Wilting disease)
इस रोग का प्रबंधन करने के लिए गहरी जोताई करें. बुवाई के पहले 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलोग्राम बीज की दर से मिट्टी में छिड़क दें.
झुलसा रोग का प्रबंधन (management of scorch disease)
इस रोग से फसल को बचाने के लिए 2 ग्राम कार्बेंडाजिम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज शोधित कर बुवाई करें.
मसूर में रतुआ रोग का प्रबंधन (Management of rust disease in lentils)
इसके लिए खड़ी फसल में अनुशंसित कीटनाशक का छिडकाव करें.
मटर में चूर्णित आसिता रोग का प्रबंधन (Management of powdery mildew in peas)
इसके नियंत्रण के लिए कैराथीन 3 ग्राम 700 लीटर पानी में घोलकर खड़ी फसल में प्रयोग करें. इससे किसान मटर में लगने वाले चूर्णित आसिता रोग की रोकथाम कर सकते हैं.
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