विश्व की बढ़ती जनसंख्या आज की सबसे बड़ी समस्या है. भारत में जनसंख्या वृद्धि का क्रम यह है कि हर पीढ़ी में दोगुनी होती रहती है. भारत की आबादी आज 1 अरब से अधिक हो गई है. बढ़ती जनसंख्या के साथ एक और समस्या उत्पन्न हो रही है. इस जनसंख्या को भोजन की आपूर्ति की समस्या, जो दिनों दिन बढ़ती जा रही है. आज कल मौसम की परिस्थितियां भी खेती और ऋतु के लिए अनुकूल नहीं है. जिस वजह से किसान पहले की तरह फसल उत्पादन में भी सक्षम नहीं है.
गौरतलब है कि अपनी फसलों के उत्पादन के लिए हमारे किसान भाई रासायनिक खाद, जहरीले कीटनाशक पदार्थों का उपयोग करने लगे हैं. जोकि इंसानों के स्वास्थ्य और मिट्टी दोनों के लिए हानिकारक है तथा वातावरण भी प्रदूषित होता जा रहा है. इन सभी गंभीर समस्याओं को रोकने के लिए यदि किसान रासायनिक तरीकों की जगह कृषि के जैविक तरीकों का उपयोग करें तो इन समस्याओं पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है. मृदा की उर्वरा शक्ति बनाए रखने तथा फसलोत्पादन को बढ़ाने में जैविक खेती की अहम भूमिका है. जैविक खेती में हृमिक एसिड का प्रयोग शीर्ष पर है. ह्यूमिक एसिड का नाम सुनते ही ऐसा लगता है जैसे यह कोई केमिकल या एसिड होगा जो हमारे फसल को नुकसान पहुंचाएगा लेकिन ये जैविक है.
ह्यूमिक एसिड क्या है ?
ह्यूमिक एसिड खदान से उत्पन्न एक बहुपयोगी खनिज है. इसे सामान्य भाषा में मिट्टी का कंडीशनर कहा जा सकता है. जोकि बंजर भूमि की उर्वरा को बढ़ाता है. मिट्टी की संरचना को सुधारकर उसे नया जीवनदान देता है. बाजार में यह तरह-तरह के नामों से बिकता है तथा यह पानी में अघुलनशील होता है. बाजार में जो ह्यूमिक एसिड मिलता है वो पोटेशियम हृमेट है. जोकि ह्यूमिक एसिड पर कास्टिक पोटाश की क्रिया द्वारा बनाया जाता है. फसल की उत्पादन बढ़ाने के लिए जो रासायनिक खाद हम मृदा में डालते हैं उसका केवल 25-30 % ही पौधों को प्राप्त हो पाता है.शेष मृदा में जम जाता है या पानी में बह जाता है. शेष ह्यूमिक एसिड मृदा में अधुलनशील खाद को घोलकर पौधों को उपलब्ध कराता है. नाइट्रोजन आयन मृदा में जोड़ के रखता है तथा भूमि की नमी बनाये रखने में सहायक है. हृमिक एसिड का 70 % कार्य मृदा में होता है तथा 30 % कार्य पत्तियों पर होता है. बाजार में यह तरल दानेदार पपड़ी आदि विभिन्न रूप में उपलब्ध. है परन्तु हमारे किसान भाई इसे घर पर ही कम लागत में बनाकर प्रयोग कर सकते हैं. इसे घर पर बनाना बहुत ही आसान है. ह्यूमिक एसिड को बनाने के लिए निम्नलिखित सामग्रीयों की आवश्यकता होती है.
सामग्री
- दो वर्ष पुराने गोबर के उपले या कंडे
- 50 लीटर क्षमता वाला ड्रम
- पानी
बनाने की विधि
1. ड्रम में गोबर के उपले या कंडे को भर दें.
2. ड्रम में पानी डाल दें लगभग 25-30 लीटर पानी
3. इसके पश्चात सात दिनों के लिए ड्रम को ढ़ककर रख दें.
4.सात दिनों पश्चात पानी का रंग बदलकर लाल भूरा हो जायेगा.
5. कंडो को ड्रम से बाहर निकालकर सूखा दें या चाहे तो आप इसे घरेलू कार्य में प्रयोग कर सकते हैं.
6. पानी को कपड़े से दो बार छान लें ताकि कंडो के अवशेष घोल में न रहे.
प्रयोग
शेष भाग को पानी में मिलाकर भूमि में छिड़काव करें. पौधों की जड़ों को घोल में डूबाकर रोपित करें. इसे सभी प्रकार के फसलों में सभी प्रकार के कीटनाशकों के साथ मिलाकर स्प्रे किया जा सकता है या फिरआप इसे ड्रिप सिंचाई या किसी प्रकार के रासायनिक खाद में मिलाकर या अलग से भी प्रयोग कर सकतें हैं.
ह्यूमिक एसिड के लाभ
1. इसका सबसे महत्वपूर्ण कार्य मिट्टी को भुरभुरी बनाना है जिससे जड़ों का विकास अधिक हो सके.
2. ये प्रकाश संलेषण की क्रिया को तेज करता है जिससे पौधे में हरापन आता है और शाखाओं में वृद्धि होती है.
3. पौधों की तृतीयक जडों का विकास करता है जिससे की मृदा से पोषक तत्वों का अवशोषण अधिक हो सके.
4. पौधों की चयापचयी क्रियाओं में वृद्धि कर मृदा की उर्वरा शक्ति बढाता है.
5. पौधों में फलों और फूलों की वृद्धि कर फसल की उपज को बढ़ाने में सहायक है.
6. बीज की अंकुरण क्षमता बढाता है तथा पौधों को प्रतिकूल वातावरण से भी बचाता है.
लेखकः
चारूल वर्मा एम.एस.सी (कृषि)
पादप रोग विज्ञान विभाग उद्यानिकी महाविद्यालय ,नौणी सोलन, (हि.प्र.)
तरूणा बोरूले एम.एस.सी (कृषि)
जैवप्रौद्यिकी विभाग कृषि महाविद्यालय रायपुर (छ.ग.)
अन्नपूर्णा देवी बी.एस.सी (कृषि)
रामनिवास सारडा कृषि महाविद्यालय अं चौकी, राजनॉदगॉव (छ.ग.)
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