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खाद और कीटनाशक दवाओं से अच्छा विकल्प है जीवामृत, महज 1 सप्ताह में बनकर होगा तैयार

किसान अपने खेत की फसल को सुरक्षित रखने के लिए कई प्रकार की रासायनिक खाद और कीटनाशक का उपयोग करता है. मगर कई ऐसी दवाएं हैं, जो कि फसल पर बुरा प्रभाव भी डालती हैं. ऐसे में किसानों को फसलों में जीवामृत का उपयोग करना चाहिए. इसके उपयोग से खेत में रासायनिक खाद और कीटनाशक छिड़कने की आवश्यकता नहीं होगी.

कंचन मौर्य

किसान अपने खेत की फसल को सुरक्षित रखने के लिए कई प्रकार की रासायनिक खाद और कीटनाशक का उपयोग करता है. मगर कई ऐसी दवाएं हैं, जो कि फसल पर बुरा प्रभाव भी डालती हैं. ऐसे में किसानों को फसलों में जीवामृत का उपयोग करना चाहिए. इसके उपयोग से खेत में रासायनिक खाद और कीटनाशक छिड़कने की आवश्यकता नहीं होगी.

जीवामृत सॉल्यूशन क्या है?

कृषि वैज्ञानिकों की मानें, तो यह खेती के लिए सोने पर सुहागा का काम करता है. इसका छिड़काव सब्जी, फल समेत सभी प्रकार की फसलों पर कर सकते हैं. इसके उपयोग से जमीन की प्रकृति में बदलाव आता है, क्योंकि जमीन में पड़े सारे निष्क्रीय जीवाणु सक्रीय हो जाते हैं. इसके साथ ही जमीन को रसायन खाद की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है.

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक...

किसान खरीफ और रबी की फसलों में यूरिया, डीएपी, जिंक, सल्फेट और फास्फोरस का छिड़काव ज्यादा करते हैं. इससे जमीन की प्रकृति लगातार खराब होने लगती है. इसका प्रभाव फसल की पैदावार पर पड़ता है, साथ ही कीट और अन्य बिमारियों का खतरा बढ़ जाता है. बड़ी समस्या है कि अगर किसान यह रासायनिक खाद नहीं डालता है, तो फसल की पैदावार अच्छी नहीं होती है. ऐसे में  किसान को इन रसायनों की जगह जीवामृत का उपयोग करना चाहिए. यह एक अच्छा विकल्प है.

ऐसे तैयार होता है जीवामृत सॉल्यूशन

इसका प्राकृतिक रूप से सॉल्यूशन तैयार किया जाता है. बता दें कि इसको देसी गाय के गोबर की खाद, गोमूत्र, पानी, गुड़ और बेसन के मिश्रण से तैयार किया जाता है.

ऐसे उपयोग होता है जीवामृत सॉल्यूशन

अगर किसान खेत में इसका उपयोग करता है, तो सबसे पहले खेत के चारों किनारों से लगभग 250 ग्राम प्रति एकड़ मिट्टी लेकर इस मिश्रण में डाल देना चाहिए. इस मिश्रण को लगभग 1 सप्ताह तक ड्रम या टब में रख दें. इसके साथ ही रोजाना एक बार डंडे की सहायता से इसे क्लॉक वाइज़ घुमा दें. इससे यह सही प्रकार से घुलनशील बन जाएगा. इस तरह 1 सप्ताह में जीवामृत सॉल्यूशन बनकर तैयार हो जाता है. बता दें कि इसका स्प्रे भी बनाया जा सकता है. किसान बुवाई के समय बीज में भी इसको डाल सकता है. 

कैसे काम करता है जीवामृत सॉल्यूशन

कृषि वैज्ञानिकों की मानें, तो देशी गाय के 1 किलोग्राम गोबर में लगभग 3 लाख जीवाणु पाए जाते हैं, बल्कि भैंस के 1 किलोग्राम गोबर में लगभग 1.25 लाख जीवाणु होते हैं. ऐसे में जीवामृत सॉल्यूशन तैयार करने में देसी गाय का गोबर का चयन किया जाता है. इसके उपयोग से जमीन को प्राकृतिक स्थिति में लाया जा सकता है.

मिट्टी की गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी

किसान जीवामृत सॉल्यूशन के उपयोग से केवल 3 साल में जमीन की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ा सकते हैं. इसके साथ ही भूमि और वायु प्रदूषण भी कम होता है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबितक किसान रसायनिक खाद का उपयोग करने की जगह देसी गाय के गोबर से जीवामृत तैयार करके फसलों पर छिड़कना चाहिए. इससे फसल की पैदावार बढ़ेगी.

ये खबर भी पढ़ें: खेतीबाड़ी को सरल बनाते हैं ये मुख्य कृषि उपकरण, जानिए इनकी खासियत और कीमत

English Summary: Use Jeeva Amrit instead of fertilizers and pesticides on crops Published on: 03 May 2020, 04:06 PM IST

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