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लोबिया की ये 5 किस्में 45 से 50 दिन में पककर होंगी तैयार, मिलेगी 200 क्विंटल से भी ज्यादा पैदावार

किसानों के लिए लोबिया की खेती करने का समय आ चुका है. इसकी खेती गर्म और आर्द्र जलवायु में की जाती है. लोबिया की खेती लगभग सभी तरह की मिट्टी में आसानी से हो सकती है, लेकिन क्षारीय भूमि ज्यादा उपयुक्त मानी जाती है, बस भूमि में पानी निकास का सही प्रबंध होना चाहिए. इसके साथ ही उन्नत किस्मों की बुवाई करनी चाहिए, ताकि फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त हो. किसान भाई लोबिया की खेती कई उन्नत किस्मों से कर सकते हैं, इनसे उन्हें फसल का उत्त्पादन मिलेगा.

कंचन मौर्य

किसानों के लिए लोबिया की खेती करने का समय आ चुका है. इसकी खेती गर्म और आर्द्र जलवायु में की जाती है. लोबिया की खेती लगभग सभी तरह की मिट्टी में आसानी से हो सकती है, लेकिन क्षारीय भूमि ज्यादा उपयुक्त मानी जाती है, बस भूमि में पानी निकास का सही प्रबंध होना चाहिए. इसके साथ ही उन्नत किस्मों की बुवाई करनी चाहिए, ताकि फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त हो. किसान भाई लोबिया की खेती कई उन्नत किस्मों से कर सकते हैं, इनसे उन्हें फसल का उत्त्पादन मिलेगा.   

लोबिया की उन्नत किस्में

  • पूसा कोमल

  • पूसा बरसाती

  • अर्का गरिमा

  • पूसा फालगुनी

  • पूसा दोफसली

पूसा कोमल- लोबिया की यह किस्म बैक्टीरियल ब्लाईट प्रतिरोधी है. इस किस्म की बुवाई बसंत, ग्रीष्म और बारिश, तीनों मौसम में आसानी से की जा सकती है. इसकी फलियों का रंग हल्का हरा होता है. यह मोटा गुदेदार होता है, जो कि 20 से 22 सेमी लम्बा होता है. अगर किसान इस किस्म की बुवाई करता है, तो इससे प्रति हेक्टेयर 100 से 120 क्विंटल पैदावार मिल जाती है.  

अर्का गरिमा- यह किस्म खम्भा प्रकार की किस्म कहलाती है, जिसकी ऊंचाई  2 से 3 मी की होती है. इस किस्म को बारिश और बसंत ऋतु में आसानी से बो सकते हैं.  

पूसा बरसाती- लोबिया की इस किस्म को बारिश के मौसम में ज्यादा लगाया जाता है. इसकी फलियों का रंग हल्का हरा होता है, जो कि 26 से 28 सेमी लंबी होती है. खास बात है कि यह किस्म लगभग 45 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इससे प्रति हेक्टेयर लगभग 70 से 75 क्विंटल पैदावार मिल जाती है.

पूसा फालगुनी- यह छोटी झाड़ीनुमा किस्म होती है. इसकी फली का रंग गहरा हरा होता है. इनकी लंबाई 10 से 20 सेमी होती है. खास बात है कि यह लगभग 60 दिन में पककर तैयार हो जाती हैं. इससे प्रति हेक्टेयर लगभग 70 से 75  क्विंटल पैदावार मिल सकती है.

पूसा दोफसली- इस किस्म को बसंत, ग्रीष्म और बारिश, तीनों मौसम में लगाई जाती है. इसकी फली का रंग हल्का हरा पाया जाता है. यह लगभग 17 से 18 सेमी लंबी होती है. यह 45 से 50 दिन में पककर तैयार हो जाती हैं. इससे प्रति हेक्टेयर 75 से 80 क्विंटल पैदावार मिल सकती है.  

बीज दर

लोबिया की खेती में प्रति हेक्टेयर के लिए 12 से 20 किग्रा बीज पर्याप्त होता है. बता दें कि इसके बीज की मात्रा किस्म और मौसम पर ही निर्भर होती है.

बुवाई की दूरी

किसानों को ध्यान देना चाहिए कि लोबिया के बीज की बुवाई को पंक्तियों में करें. इनकी दूरी लगभग 45 से 60 सेमी की होनी चाहिए. इसके साथ ही बीजों की दूरी लगभग 10 सेमी की रखनी चाहिए. अगर किस्म बेलदार है, तो पंक्ति की दूरी लगभग 80 से 90 सेमी की होनी चाहिए. बता दें कि बुवाई से पहले बीज को राइजोबियम से उपचारित कर लेना चाहिए.

ये खबर भी पढ़ें: Multi Layer Farming: खेती की इस तकनीक से करें एक साथ 5 फसलों की बुवाई, कम लागत में पाएं 8 गुना ज्यादा मुनाफ़ा

English Summary: Knowledge of advanced varieties of cowpea Published on: 02 May 2020, 03:28 PM IST

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