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Top Five Varieties of Mustard: सरसों की इन पांच उन्नत किस्मों से किसान को मिलेगा लाभ, पैदावार 27 क्विंटल/हेक्टेयर तक

Mustard Varieties- सरसों की ये पांच उन्नत किस्में एनआरसीएचबी-101, डीआरएमआरआईजे-31 (गिरिराज), एनआरसीवाईएस-05-02 (पीली सरसों), डीआरएमआर 150-35 और डीआरएमआर 1165-40 किसानों को प्रति हेक्टेयर करीब 27 क्विंटल तक पैदावार देने में सक्षम है. साथ ही सरसों की ये उन्नत किस्में 94 से 181 दिन में पक जाती हैं.

लोकेश निरवाल
सरसों की ये पांच किस्में उत्पादकता में अव्वल (Image Source: Pinterest)
सरसों की ये पांच किस्में उत्पादकता में अव्वल (Image Source: Pinterest)

Mustard Cultivation: किसान अपने खेत में सरसों के उन्नत किस्मों की खेती करें, तो वह कम लागत व कम समय में ज्यादा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं. इसी क्रम में आज हम सरसों की पांच उन्नत किस्मों की जानकारी लेकर आए हैं, जिसे खेत में लगाने से 94 से 181 दिनों में पैदावार मिलना शुरू हो जाती है. ये किस्में प्रति हेक्टेयर लगभग 27 क्विंटल तक उपज देने में सक्षम हैं. सरसों की इन उन्नत किस्मों की खेती मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड राजस्थान, बिहार, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असोम, छत्तीसगढ़, मणिपुर और देशभर के विभिन्न राज्यों के किसान सरलता से कर सकते हैं.

सरसों की जिन पांच किस्मों की हम बात कर रहे हैं, वह एनआरसीएचबी-101, डीआरएमआरआईजे-31 (गिरिराज), एनआरसीवाईएस-05-02 (पीली सरसों),डीआरएमआर 150-35 और डीआरएमआर 1165-40/ NRCHB-101, DRMRIJ-31 (Giriraj), NRCYS-05-02 (Yellow Mustard), DRMR 150-35, DRMR 1165-40) हैं. ऐसे में आइए इन किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं-

सरसों की पांच उन्नत किस्में

सरसों की एनआरसीएचबी-101 किस्म- सरसों की इस उन्नत किस्म की खेती मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड राजस्थान, बिहार, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असोम, छत्तीसगढ़ और मणिपुर के किसानों के द्वारा सबसे अधिक की जाती है. इसके पौधे 170-200 सेमी लंबे होते हैं और वहीं सरसों की यह किस्म 105-135 दिन में पककर तैयार हो जाती है. सरसों की NRCHB-101 किस्म प्रति हेक्टेयर लगभग 14 क्विंटल तक उपज देती है.

सरसों की डीआरएमआरआईजे-31 (गिरिराज) किस्म- सरसों की यह किस्म दिल्ली, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, पंजाब और राजस्थान के लिए सबसे उत्तम है. इस किस्म के पौधे 180-210 सेमी लंबे होते हैं. यह किस्म 137-153 दिन में पक जाती है. इसकी खेती से किसान प्रति हेक्टेयर 27 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.

सरसों की एनआरसीवाईएस-05-02 (पीली सरसों) किस्म- सरसों की NRCYS-05-02 किस्म के पौधे की लंबाई 110-120 सेमी होती है. यह किस्म 94-181 दिन में तैयार हो जाती है. इस किस्म का औसत उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 17 क्विंटल तक है. वहीं, इस किस्म की सरसों में तेल की मात्रा 38.2-46.5 प्रतिशत तक पाई जाती है.

सरसों की डीआरएमआर 150-35 किस्म- सरसों की यह उन्नत किस्म बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, छत्तीसगढ़ और मणिपुर के किसानों के लिए उत्तम मानी जाती है. इसके पौधे की लंबाई 164-186 सेमी है. वहीं, यह किस्म खेत में 114 दिन में ही पक जाती है. इस किस्म से किसान प्रति हेक्टेयर 18 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. सरसों की इस किस्म में तेल की मात्रा करीब 39.8 प्रतिशत तक होती है.

ये भी पढ़ें: सरसों की ये तीन किस्में उत्पादकता के मामले में हैं अव्वल, पैदावार 26 क्विंटल/हेक्टेयर तक, जानें अन्य विशेषताएं

सरसों की डीआरएमआर 1165-40 किस्म-  सरसों की यह उन्नत किस्म राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के किसानों के लिए काफी लाभदायक है. इसकी खेती से किसान प्रति हेक्टेयर 18 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं. इस किस्म के सरसों के पौधे की लंबाई 191-204 सेमी होती है. इसके अलावा सरसों की DRMR 1165-40 किस्म में तेल की मात्रा करीब 40.7 प्रतिशत तक पाई जाती है.

English Summary: top five varieties of mustard NRCHB-101, DRMRIJ-31 Giriraj NRCYS-05-02 Yellow Mustard DRMR 150-35 and DRMR 1165-40 will give yield up to 27 quintals per hectare Published on: 02 November 2023, 03:03 PM IST

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