Top 5 Hybrid Varieties of Bottle Gourd: भारत में सब्जियों की खेती किसानों के लिए आमदनी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. खासतौर पर लौकी, जो एक लोकप्रिय सब्जी है और लगभग हर घर में इस्तेमाल की जाती है. अगर सही किस्म और तकनीक से खेती की जाए, तो किसान लौकी की फसल से बंपर पैदावार पा सकते हैं. आज हम आपको लौकी की 5 बेहतरीन किस्मों के बारे में बता रहे हैं, जो न केवल अधिक उत्पादन देती हैं, बल्कि रोगों के प्रति भी सहनशील होती हैं.
1. अर्का गंगा
अर्का गंगा किस्म को भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR) द्वारा विकसित किया गया है. यह किस्म 56 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और यह किस्म रोगों के प्रति सहनशील है, जिससे अच्छी गुणवत्ता वाली लौकी प्राप्त होती है. इसकी बेल मजबूत और लंबी होती है, अर्का गंगा किस्म में फल मध्यम आकार के और चमकदार होते हैं. इस किस्म की उत्पादन क्षमता प्रति हेक्टेयर लगभग 58 टन तक है.
2. अर्का बहार
अर्का बहार भी IIVR की एक उन्नत किस्म है. यह जल्दी पकने वाली किस्म है और इसे सालभर उगाया जा सकता है. इस किस्म की खासियत यह है कि इसके फल लंबे, हल्के हरे और स्वादिष्ट होते हैं. यह किस्म अधिक गर्मी और कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है. अर्का बहार लौकी की किस्म प्रति हेक्टेयर 40 से 45 टन तक उत्पादन देती है.
3. अर्का नूतन
अर्का नूतन लौकी की एक और उन्नत किस्म है, जिसे बेहतर उत्पादन के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है. इस किस्म में फल सफेद और आकर्षक होते हैं. अर्का नूतन की खास बात यह है कि यह फसल रोगों से बचाव में सक्षम है और इसकी पैदावार भी उच्च गुणवत्ता की होती है. इस किस्म को तैयार होने में करीब 56 दिन का समय लगता है. अर्का नूतन किस्म की उपज क्षमता प्रति हेक्टेयर लगभग 46 टन तक होती है.
4. पूसा संदेश
पूसा संदेश किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित की गई है. यह किस्म अत्यधिक उत्पादक है और इसके फल हल्के हरे रंग के और मध्यम आकार के होते हैं. पूसा संदेश किस्म को गर्मी और नमी वाले क्षेत्रों में उगाना अधिक लाभकारी होता है. इसकी खेती से किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. पूसा संदेश लौकी की वजन लगभग 500 से 600 ग्राम तक पाया जाता है और इसकी पैदावार क्षमता प्रति हेक्टेयर 32 टन तक होती है.
5. सम्राट
सम्राट किस्म अपने नाम की तरह ही बेजोड़ है. यह जल्दी तैयार होने वाली किस्म है और इसके फल लंबे, चिकने और हरे रंग के होते हैं, इस किस्म की लौकी 30 से 40 सेमी लंबी और आकार में बेलनाकार होती है. सम्राट किस्म की विशेषता यह है कि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता में बेहतर है और इससे किसान बंपर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. यह लौकी की किस्म 150 से 180 दिन के अंदर पक जाती है. इसकी उत्पादन क्षमता लगभग 400 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है.
लौकी की खेती के लिए महत्वपूर्ण सुझाव
- लौकी की खेती करते समय किसानों को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी लौकी की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है.
- रोगों से बचाव के लिए बीज को बोने से पहले उचित फफूंदनाशक से उपचारित करें.
- बेल वाली फसलों के लिए नियमित सिंचाई आवश्यक होती है. लेकिन जलभराव से बचना चाहिए.
- जैविक खाद और संतुलित उर्वरक का इस्तेमाल फसल की गुणवत्ता और पैदावार बढ़ाने में मदद करता है.
- खरपतवार हटाने और मिट्टी को भुरभुरा रखने के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें.
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