भारत के कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा फसलों की नई-नई किस्मों को विकसित किया जाता है. ताकि किसानों के साथ देश में भी खाद्य सप्लाई सुनिश्चित की जा सकें. इसी क्रम में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना/ Punjab Agriculture University, Ludhiana ने गेहूं की तीन नई किस्मों को विकसित किया है. गेहूं की ये नई किस्में BW 826, PBW 872 और PB 833 हैं. ये तीनों ही किस्म भारत के अलग-अलग स्थानों की मिट्टी, जलवायु के मुताबिक अच्छी पैदावार देने में सक्षम हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गेहूं की ये तीन किस्में जल्द ही कृषि संस्थानों के द्वारा किसानों को उपलब्ध करवाई जाएंगी.
ऐसे में आइए आज पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित गेहूं की इन तीनों उन्नत किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं-
गेहूं की तीन नई किस्में/ New Varieties of Wheat
गेहूं की उन्नत किस्म पीबीडब्ल्यू 826/PBW 826 Wheat Variety
गेहूं की इस किस्म को सिंचित इलाकों में रहने वाले किसानों के लिए तैयार किया गया है. गेहूं की PBW 826 किस्म के फसल के दाने काफी मोटे और वजनदार होते हैं. वैज्ञानिकों ने खासतौर पर इसे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान के अलावा उत्तराखंड, जम्मू, हिमाचल प्रदेश और उत्तर पश्चिम मैदानी इलाकों के लिए विकसित किया है. गेहूं की PBW 826 किस्म करीब 148 दिन में पककर तैयार हो जाती है.
गेहूं की उन्नत किस्म पीबीडब्ल्यू 872/PBW 872 Wheat Variety
यह किस्म भी उत्तर पश्चिम मैदानी इलाकों में रहने वाले किसानों के लिए तैयार की गई है. गेहूं की PBW 872 किस्म में सही अगर सही तकनीक का इस्तेमाल किया जाए, तो किसान इसे अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं. इस किस्म की बुवाई रबी सीजन के शुरूआत या फिर इसे थोड़ा पहले भी आसानी से कर सकते हैं.
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गेहूं की उन्नत किस्म पीबीडब्ल्यू 833/PBW 833 Wheat Variety
गेहूं की यह PBW 833 किस्म भारत के उत्तर पूर्वी मैदानी इलाकों के लिए विकसित की गई है. इस किस्म की खासियत यह है कि यह उच्च अनाज उपज, जंग प्रतिरोध और साथ ही प्रोटीन की मात्रा भी अधिक पाई जाती है. गेहूं की देर से बुवाई करने वाले किसानों के लिए PBW 833 किस्म बेहद लाभकारी हैं.
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