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इस तरह करें आलूबुखारे की खेती, प्रति पेड़ होगी 80 किलोग्राम पैदावार

सौन्दर्य प्रसाधनों में उपयोग होने वाला रसदार आलूबुखारा स्वास्थवर्धक होने के साथ-साथ आपकी जेब के लिए भी फायदेमंद है. अगर आप सही जानकारी और उत्तम तकनीक के साथ इसकी खेती करते हैं, तो आपको निसंदेह बंपर मुनाफा हो सकता है. आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगें कि कैसे वैज्ञानिक तरीके से इसकी खेती कर अधिक लाभ कमाया जा सकता है.

सिप्पू कुमार
Plums cultivation
Plums cultivation

सौन्दर्य प्रसाधनों में उपयोग होने वाला रसदार आलूबुखारा स्वास्थवर्धक होने के साथ-साथ आपकी जेब के लिए भी फायदेमंद है. अगर आप सही जानकारी और उत्तम तकनीक के साथ इसकी खेती करते हैं, तो आपको निसंदेह बंपर मुनाफा हो सकता है. आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगें कि कैसे वैज्ञानिक तरीके से इसकी खेती कर अधिक लाभ कमाया जा सकता है.

इन क्षेत्रों में होती है आलूबुखारे की खेती

आज के समय में वैसे तो आलूबुखारे की खेती हर जगह संभव है, लेकिन पारंपरिक रूप से देखें तो ये उत्तराखण्ड, कश्मीर और हिमाचल प्रदेश की प्रमुख फसल है. इसके साथ ही इसकी खेती उप-पर्वतीय और उत्तरी पश्चिमी क्षेत्रों में भी आराम से हो सकती है.

आलूबुखारे की खासियत

आलूबुखारे की कई खासियत है, जिस कारण इसकी मांग मार्केट में हाई रहती है. विटामिन, प्रोटीन, कार्वोहाडट्रेट से भरपूर यह फल जैम, जैली, चटनी आदि उत्पादों के नार्माण में काम आता है. इसके अलावा इससे बनने वाली बरांडी और शराब भी लोकप्रिय है.

उपयुक्त जलवायु

इसके लिए शीतल और गर्म जलवायु उत्तम है,  जिसके हिसाब से भारत में पर्वतीय आंचल और मैदानी क्षेत्रों में इसकी खेती आराम से हो सकती है. इसके अलावा जिन क्षेत्रों में बसंत ऋतु में पाला पड़ता हो, वहां भी इसकी उत्तम खेती हो सकती है.

भूमि चयन

वैसे तो आलूबुखारे के लिए हर तरह की मिट्टी ठीक है, बस ध्यान रहे इसकी खेती जहां भी हो रही हो, वहां जल-निकास की व्यवस्था अच्छी हो.

पौधा रोपण

आलूबुखारे के रोपण के लिए नवम्बर और फरवरी माह का महीना सबसे अच्छा है. रोपण के लिए 1 x 1 x 1 मीटर आकार के 6 x 6 मीटर दूरी पर गड्डों को खोदें. रोपण से पहले हर गड्डे में 40 किलोग्राम गोबर खाद मिट्टी में मिलाकर डालना लाभदायक है.

कटाई-छटाई

इसके पौधों को अच्छा आकार देना जरूरी है, जिसके लिए आपको सधाई और कटाई-छटाई करना होगा. अगर सेलिसिना वर्ग की की किस्में का उपयोग कर रहे हैं, तो ऊपर की जगह अलग-बगल में इनकी सधाई करें.

फल तुड़ाई

फलों को पकने के बाद ही तोड़ना उत्तम है. ध्यान रहे कि इसके फलों का टूटने के बाद बढ़ता है, हालांकि अगर फलों को दूर भेजना है, तो पकने के कुछ दिन पहले तोड़ सकते हैं.

पैदावार

अगर आप बताए गए तरीके से आलूबुखारा की खेती करते हैं, तो आपको प्रति पेड़ से लगभग 50 से 80 किलोग्राम तक की पैदावार हो सकती है. रही बात इसके मांग की तो बाजार में आज इसकी भारी मांग है.

क्यों है मांग

लोग इसका सेवन वजन कंट्रोल करने, आंखों की सेहत सही रखने आदि के लिए करते हैं. इसके साथ ही यह फल शरीर में बनने वाले ट्यूमर को रोकने में भी सहायक है, कमजोर लोगों को इसका सेवन करना चाहिए, क्योंकि हड्डियों की मजबूत बनी रहती है. इतना ही नहीं ऑफिस कर्मचारियों में भी इसकी भारी डिंमाड है, क्योंकि यह दिमाग स्वस्थ रखने और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में असरदार है.

English Summary: this is the right and effective way of plums cultivation know more about market and profit Published on: 10 December 2020, 03:30 PM IST

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