भारत में मूंगफली की खेती जायद और खरीफ दोनों सीजन में की जाती है. इस समय देशभर के किसान खरीफ सीजन की मूंगफली की बुवाई कर रहे हैं. पिछले साल की तुलना में इस साल किसानों में मूंगफली की खेती के लिए अधिक रूझान है.
ताजा आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में इस समय तक 63 हेक्टेयर क्षेत्र में मूंगफली की अधिक बुवाई की जा चुकी है. वहीं इस साल मूंगफली की अधिक पैदावार होने की संभावना है. बता दें कि भारत में बड़े पैमाने पर मूंगफली की खेती की जाती है. जिसे दुनियाभर के देशों में निर्यात किया जाता है. भारतीय मूंगफली की अन्य देशों में जबरदस्त मांग रहती है.
मूंगफली की अधिक पैदावार होने की संभावना
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने इस साल मूंगफली की बुवाई के आंकड़े जारी कर दिए हैं. इन आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष 5 लाख 95 हजार हेक्टेयर क्षेत्र पर मूंगफली की बुवाई की जा चुकी है. वहीं इस समय तक पिछले वर्ष 5 लाख 31 हजार हेक्टेयर पर मूंगफली की बुवाई हुई थी. वहीं मूंगफली के उत्पादन की बात करें तो वह भी इस साल बढ़ने वाला है. कृषि मंत्रालय के मुताबिक इस साल देश में मूंगफली की पैदावार एक करोड़ एक लाख टन के आंकड़े को पार कर सकती है. गौरतलब है कि वर्ष 2019-20 में लगभग 99 लाख टन की पैदावार हुई थी.
मूंगफली की बुवाई से पहले रखें ये सावधानियां
देश में मूंगफली सबसे ज्यादा गुजरात, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में होती है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब और राजस्थान में भी मूंगफली की खेती प्रमुखता से की जाती है. इसकी अच्छी पैदावार के लिए 25-30 डिग्री सेल्सियस तापमान उत्तम माना जाता है.
वैसे तो मूंगफली की खेती हल्की और भारी दोनों तरह की भूमियों में की जा सकती है. लेकिन इसके लिए आदर्श भूमि की बात की जाए तो वह बलुई दोमट मिट्टी है. दरअसल, बलुई दोमट में एक तरफ अच्छी जल निकासी होती है. वहीं दूसरी तरफ इसमें जीवांश और कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है.
मूंगफली की अच्छी पैदावार के लिए फसल चक्र को अपनाना चाहिए. वही जुताई की बात करें तो सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से एक दो गहरी जुताई करने के बाद दो तीन जुताई से कल्टीवेटर से करना चाहिए. इसके बाद पाटा लगाए और फिर मूंगफली की बुवाई करें.
अधिक पैदावार के लिए मूंगफली की उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए. तो आइए जानते हैं राज्यों के मुताबिक मूंगफली की उन्नत किस्में-
गुजरात- चित्रा, आरएस-1, एम-335, दुर्गा, एमए-10 तथा एम-13.
मध्य प्रदेश-जवाहर, गंगापुरी, ज्योति, कौशल, आइसीजीएस-11 आदि.
राजस्थान-चित्रा, मुक्ता, प्रकाश, आरजी-141, बीएयू-13, आरजी-144 आदि.
महाराष्ट्र-गिरनार-1, टीएजी-24, टीएजी-26, कोनकन, गौरव, कादिरी-4, जेएल-220, प्रगति आदि.
कर्नाटक-आइसीजीएस-11, गिरनार-1, एम-206, कौशल, टीएमवी-2 आदि.
आंध्र प्रदेश-कादिरी-3, आइसीजीएस-11, आइसीजीएस-44, तिरूपति-3, गिरनार-1, कादिरी-4, के-134 आदि.
तमिलनाडु-जेलएल-24, वीआरआई-1, वीआरआई-2, टीएम-7, वीआरआई-3, आइसीजीवी-86590, वीआरआई-4 आदि.
उत्तर प्रदेश- एमए-16, पंजाब मूंगफली-1, एसजी-44, आइसीजीएस-37, मुक्ता, चित्रा, प्रकाश, एचएनजी-10, एम-522, अंबर, एमएच-4 आदि.
अधिक पैदावार के लिए बीज की सही मात्रा लेना चाहिए. मूंगफली की झुमका किस्मों के लिए प्रति हेक्टेयर 100 से 125 किलो बीज लेना चाहिए. वहीं मध्यम फैलने वाली प्रजातियों के लिए एक हेक्टेयर में 80 से 100 किलो बीज तथा अधिक फैलने वाली प्रजातियों के लिए प्रति हेक्टेयर 60 से 80 किलोग्राम बीज लेना चाहिए.
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