आपको ये जानकर हैरानी होगी कि हमारी धरती की सतह पर 70 प्रतिशत भाग पानी से भरा हुआ है. लेकिन जो समुद्री पानी है बस वही खारा है और पूरी दुनिया में केवल 3 फीसदी पानी ही मीठा है. दुनिया में 100 करोड़ से ज्यादा लोगों को पीने का साफ़ पानी नहीं उपलब्ध और करीब 76 करोड़ लोगों को पूरे साल में एक महीने पीने का पानी नहीं मिल पाता.
देश की बढ़ती जनसंख्या की वजह से कई ऐसे इलाकें है जहां लोगों को पीने के लिए पानी नहीं नसीब हो पाता. वही हमारे देश में ही सबसे ज्यादा पानी की बर्बादी भी होती है. जिसके लिए नीति आयोग ने भूमिगत पानी की हो रही बर्बादी के लिए गन्ने की फसल को जिम्मेदार ठहराया है. गन्ने के अलावा भी ऐसी कई फसलें हैं जो पानी बहुत पीती है चलिए जानते है. ऐसी कुछ फसलों के बारे में....
रुई की फसल Cotton Crop
हमारे देश रुई की पैदावार में बाकि देशों के मुकाबले ज्यादा मात्रा में की जाती है. इस फसल को हम वाइट गोल्ड(White Gold) के नाम से भी जानते है. यह खरीफ की फसलों में शामिल फसल है. इसमें 1 किलोग्राम रुई को बनाने में करीब 22 हजार लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है. इसका ज्यादातर उत्पादन सूखाग्रस्त इलाकों में होता है. जैसे- पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और गुजरात आदि.
गेहूं की फसल Wheat Crop
हमारे देश में गेहूं का उत्पादन भी अधिक मात्रा में किया जाता है. इसके उत्पादन में बढ़ोतरी ग्रीन रिवॉल्यूशन के बाद से काफी ज्यादा होने लगी है. गेहूं की फसल के उत्पादन में करीब 9 हजार लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है. इसलिए इसे भी ज्यादा पानी पीने वाली फसलों में शामिल किया गया है.
धान की फसल Paddy Crop
इसका उत्पादन भी हमारे देश में अधिक है. हमारे भारत का धन बाहरी देशों में भी एक्सपोर्ट किया जाता है. इसलिए ज्यादातर किसान इसकी खेती करते है. हालांकि धान की फसल काफी ज्यादा पानी पीती है. एक किलो धान की फसल को उगाने में करीब 3 से 5 हजार लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है. इसकी अधिकतर खेती उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश, पंजाब, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, असम,बिहार, तमिलनाडु और हरियाणा, पश्चिम बंगाल में होती है.
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