कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जहां हर दिन कुछ न कुछ नवीन आविष्कार होते रहते हैं, आज कृषि के स्तर और तकनीक में बड़ा परिवर्तन आ गया है अब अत्याधुनिक बीज,मशीनरी और उन्नत उर्वरकों से कृषि की जाती है और पहले के मुकाबले बेहतर फ़सल होती है.
बचपन से आज तक हम खेती और इससे जुड़ी तमाम चीजों के बारे में कईं तरह की बातें सुनते आए हैं. "मिट्टी" भी एक ऐसा ही विषय है, जिस पर तमाम तरह के शोध किए जा रहे हैं और यह पता लगाया जा रहा है कि किस फसल के लिए कौन सी मिट्टी उपयोगी है और कौन सी नहीं.
अगर ध्यान दें तो हम हमेशा यह पाते हैं कि गांव की मृदा शहरों की अपेक्षा हमेशा अधिक उपजाऊ और बेहतर होती है ,ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गांव में कृषि को ध्यान में रखकर मिट्टी का ख्याल रखा जाता है और प्रकृति का यही नियम है कि आप जैसा व्यवहार करेंगें आपको वैसा ही व्यवहार मिलेगा.
मिट्टी या मृदा का स्वस्थ होना आवश्यक है क्योंकि यदि मिट्टी में खोट आ गया तो फ़सल अच्छी नहीं हो सकती अर्थात मिट्टी कृषि के लिए एक महत्वपूर्ण घटक हैं. दिल्ली में पिछले दिनों मैट्रो रेल के लिए खुदाई ज़ोरों पर थी और जो मिट्टी खुदाई के बाद निकली वह बहुत चमकदार, साफ़ और उपजाऊ थी. उस मिट्टी को लेकर एक परिवार ने अपने गमलों में डाल दिया और गमलों में सब्ज़ियों से लेकर फल तक सबके पेड़ व बीज लगाए, देखते ही देखते पौधे समयानुसार बढ़े और चकित करने वाले परिणाम सामने आए. दो गमलों में लगाई गई हरी मिर्च खूब फल-फूल गई और उन दोनों गमलों से एक कलो मिर्च उत्पन्न हुई , इसी प्रकार टमाटर, आलू, , नींबू और न जाने क्या- क्या अलग अलग गमलों से भारी मात्रा पर उत्पन्न हो गए.
इन गमलों को किसी प्रकार का रखरखाव या विशेष प्रशिक्षण नहीं दिया गया था न ही धूप और न ही अधिक पानी परंतु मिट्टी के परिवर्तन से ही यह लाभ आ गया मिट्टी का बेहतर होना बहुत आवश्यक है क्योंकि मिट्टी के बेहतर होने का फ़सल पर बहुत प्रभाव रहता है. मिट्टी को उपजाऊ बनाने के के लिए खाद, कीटनाशक व तमाम तरह के उर्वरक उसमें प्रयोग किए जाते हैं परंतु कभी-कभी इन सबके ज़्यादा प्रयोग से मिट्टी का संतुलन बिगड़ जाता है और मिट्टी की उपजाऊ शक्ति पर प्रभाव पड़ता है.
बड़े- बुज़ुर्ग कृषि के विषय में हमेशा यह कहते आएं हैं कि - सब मिट्टी का खेल है, उनका भी यही मत था कि मिट्टी का बेहतर होना फसल के बेहतर होने के लिए आवश्यक है.
गिरीश पांडे, कृषि जागरण
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