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मिर्च की खेती से अच्छा उत्पादन लेने के लिए पढ़िए ये लेख

मिर्च प्रमुख मसालों में से एक है, इसकी खेती बड़ी सरल और कम लागत वाली होती है अगर वैज्ञानिक तरीके मिर्च की खेती की जाए तो बड़ा मुनाफ (Big margin )हो सकता है.मिर्च की खेती लगभग 7,92000 हेक्टेयर में की जाती है,

कंचन मौर्य
chilli

मिर्च प्रमुख मसालों में से एक है, इसकी खेती बड़ी सरल और कम लागत वाली होती है अगर वैज्ञानिक तरीके मिर्च की खेती की जाए तो बड़ा मुनाफ (Big margin )हो सकता है.मिर्च की खेती लगभग 7,92000 हेक्टेयर में की जाती है, जिससे 12, 23000 टन मिर्च (Chilli) का उत्पादन प्राप्त होता है. अगर सभी किसान भाई आधुनिक तकनीक से मिर्च की खेती करें, तो बहुत अच्छा लाभ कमा सकते है. आइए किसान भाईयों को मिर्चकी उन्नत खेती की जानकारी देते हैं.

मिर्च की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climatefor chillicultivation)

मिर्च की खेती सर्दी के मौसम में करने से अधिक लाभ मिलता है. इसे उगाने के लिए कम तापमान की आवश्कता होती है, इसलिए मिर्च को शाम में लगभग 4 बजे के बाद रोपना चाहिए.

मिर्च की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी (Suitable soilfor chillicultivation)

मिर्च की खेती सभी तरह कीमिट्टी/भूमि में की जा सकती है, लेकिन अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमटमिट्टी, लाल दोमट मिट्टी ज्यादा उपयुक्त मानी जाती है, जिसका पीएच मान 6.0 से 6.7 हो मिर्च हो.

खेत कैसे तैयार करें? (Preparing of farm)

सबसे पहले भूमि की जुताई करके उसे भुरभुरा कर लें. इससे खरपतवार साफ़ हो जाते है और फसल भी ज्यादा होती है. इसके साथ ही आवश्यक खाद का छिड़काव कर दें.

chilli

उन्नत किस्में (Advanced varieties)

  • काशी अनमोल (लगभग 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार)

  • काशी विश्वनाथ (लगभग 220 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार)

  • जवाहर मिर्च 283 व 218 (लगभग 70 से 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार)

  • अर्का सुफल (लगभग 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार)

  • मिर्च की अन्य समान्य उन्नत किस्मों में जे- 218, एआरसीएच- 236, गायत्री, प्रिया, बीएसएस- 14, दुर्गा, केटीपीएल- 19, पूसा ज्वाला, पूसा सदाबहार, भाग्यलक्ष्मीऔर एस- 86235 शामिल हैं.

संकर किस्में

  • काशी अर्ली (लगभग-300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार)

  • काशी हरिता (लगभग 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार)

  • अन्य संकर किस्मों में उजाला, यूएस- 611 व 720, तेजस्वनी, एचपीएच- 1900 व 2680, अग्नि, चैम्पियन औरसूर्या आदि शामिल हैं.

बुवाई का तरीका

सामान्य बीज की मात्रा लगभग 700 से 800 ग्राम होना चाहिए, तो वहीं संकर किस्म के लिए 250 से 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर बीज उपयुक्त माना जाता है.

बीज उपचार

बुवाई से बीज को 3 ग्राम बाविस्टिन या कैप्टान प्रति किलोग्राम के हिसाब से उपचारित कर लें.

पौधशाला का चुनाव

मिर्च की खेती के लिए पौधशाला का चुनाव ऐसी जगह करें, जहां धुप पर्याप्त मात्रा में आती हो. इसके साथ ही 1 मीटर चौड़ी और आवश्यकतानुसार लम्बाई की जमीन से 20 सेंटीमीटर क्यारी बना लें. उसमें गोबर या कम्पोस्ट खाद डालें. इसके बाद कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी से क्यारी की मिट्टी को उपचारित कर लें.

पौध रोपण

  • इस तरह पौधे को गढ्ढे में रोपना चाहिए कि पौधे का आखरी पत्ता ज़मीन में सटा रहे.

  • पौध रोपण के समय 2 पौधे के बीच की दूरी कम से कम 40 से 60 सेंटीमीटर रखें.

  • पौधा रोपण के लगभग 15 से 20 मिनट बाद लोटे से पौधे लगाएं.

  • फिर लगातार 3 से 4 दिन तक सुबह-शाम पानीलगाएं.

खाद व उर्वरक (Manure and fertilizer)

खेत की अंतिम जुताई से पहले प्रति हेक्टेयर लगभग 150 से 250 क्विंटल अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद मिला दें. इसके अलावा 70 किलोग्राम नाइट्रोजन, 48 किलोग्राम फास्फोरस व 50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की जरूरत होती है.

सिंचाईकी व्यवस्था(Irrigation system)

पानी का बहाव आता और जाता रहना चाहिए. मिर्च के फूल और फल लगने के समय मिट्टी में नमी बनी रहे,क्योंकि पानी की कमी से पौधे का विकास रुक जाता है, जिससे फल गिरने की संभावना बढ़ जाती है.

खरपतवार नियंत्रण (weed control)

मिर्च की बुवाई के एक हफ्ते बाद सिंचाई करना चाहिए.  ओट आने के बाद निराई गुड़ाई कर देना चाहिए. इससे खरपतवार फसल में नहीं रहती. इसके अलावा आवश्यकता पड़ने पर 15 से 20 दिन पर निराई-गुड़ाई करखरपतवार साफ कर दें.

रोगनियंत्रण (disease control)

मिर्च (Chilli) की फसल में लगने वाले आर्द्रगलन, फफूंद, जीवाणु जम्बलानी और पर्ण कुंचन आदि प्रमुख रोग है. इनकी रोकथाम के लिए बुवाई के समय बीजों को अच्छी तरह उपचारित करें. इसके साथ ही रोगी पौधों को खेत से उखाड़कर मिट्टी में दबा दें. इसके अलावा मेन्कोजेब 0.2 प्रतिशत का 2 बार छिड़कव करें.

कीट नियंत्रण

मिर्च की फसल में लगने वाले थ्रिप्स, सफेद मक्खी और माईट प्रमुख कीट हैं, जिनकी रोकथाम के लिए डाइथेन एम 45 या मेटासिस्टोक 1 लिटर को 700 से 800 लिटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर छिड़क दें. यह प्रक्रिया लगभग 10 से 15 दिन के अंतराल तक जारी रखें.

फल तुड़ाई

मिर्च की फसल दो तरह से पैदा की जाती है, एक हरी फसल और दूसरी मसाले के लिए फसल.  अगर हरी फसल लेना है, तो 3 से 4 बार तुड़ाई करना आवश्यक है. अगर मसाले के लिए फसल चाहिए, तो 1 से 2 बार तुड़ाई करना चाहिए.

पैदावार

अगर उपयुक्त तकनीक से मिर्च की खेती की जाए, तो सामान्य किस्मों की लगभग 125 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार प्राप्त की जा सकती है. इसके अलावा संकर किस्मों की लगभग 200 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार मिल सकती है.

संपर्क सूत्र

भारत में बागवानी के कई सरकारी संस्थान और कृषि विश्वविद्यालय है, जिनसे आप संपर्क कर सकते हैं. बता दें कि भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलौर या निदेशक 080-28466471, 080-28466353 से संपर्क किया जा सकता हैं. इसके अलावा किसान हेल्पलाइन नंबर 1800-180-1551 पर भी संपर्क किया जा सकता है.

English Summary: Techniques to take good production from chilli farming Published on: 25 November 2020, 12:45 PM IST

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