तिलहनी फसलें तो आप जानते ही हैं जैसे मूंगफली, सरसों, राई, सूरजमुखी और तिल आदि. जिनसे तेल निकाला जाता है. लेकिन क्या आपने जोजोबा का नाम सुना है. नहीं तो अब जान लीजिए जोजोबा (Jojoba) एक विदेशी तिलहनी फसल है, इससे भी तेल निकलता है.
विदेशों में इसके तेल की काफी मांग है. तो इसकी खेती भी मुनाफेमंद है. जोजोबा की खेती देश के विभिन्न भागों में की जा रही है. खेती के लिए अच्छी जमीन, ज्यादा जल, उर्वरकों, कीटनाशकों और सुरक्षा की ज्यादा जरूरत नहीं होती इसलिए पूर्ण तौर पर वातावरण रक्षक, कम खर्च और अधिक उत्पादन वाली खेती है. जोजोबा की खेती देश की कृषि में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है. आइये जानते हैं जोजोबा की खेती के बारे में
जोजोबा के फायदे
जोजोबा का तेल (jojoba oil) गंधहीन और गुणवत्तापूर्ण होता है. इसके तेल में नमी की मात्रा बहुत कम होती है, इसलिए कास्मेटिक कंपनियों की यह पहली पसंद है. इसका तेल रासायनिक संगठन सेबम (Sebum) से मिलता जुलता है जो कि मनुष्यों की त्वचा से निकलने वाला तेलीय पदार्थ होता है इसके तेल का उपयोग बालों और त्वचा पर कर सकते हैं. यह बालों और त्वचा पर औषधि का काम करता है.
जोजोबा का कवथनॉक काफी अधिक है इसलिए इंधन के रूप में जलाने से अधिक ऊर्जा और बहुत कम सल्फर उत्पन्न होता है तभी ये वातावरण रक्षक भी है.
जोजोबा की उत्पत्ति एवं क्षेत्र
जोजोबा एक रेगिस्तानी और विदेशी मूल का पौधा है. इसका अंग्रेजी नाम जोजोबा है जिसे हिंदी में होहोबा नाम से पुकारा जाता है. जोजोबा का वैज्ञानिक नाम साइमंडेसिया चायनेंसिमइसे होहोबा है. यह मूलतः एक रेगिस्तानी पौधा है. विश्व में जोजोबा को मुख्यरूप से मैक्सिको, कैलिफोर्निया और एरिजोना के सोनारन रेगिस्तान में उगाया जाता है. साथ ही इस्ज्रायल, अर्जेंटीना, आस्टेलिया, पश्चिमी एशिया और कुछ अफ़्रीकी देशों में भी खेती होती है.
राजस्थान सरकार खेती के लिए करती प्रोत्साहित
भारत में जोजोबा की खेती मुख्य रूप से राजस्थान में होती है खेती के प्रोत्साहन के लिए भारतीय राज्य राजस्थान राजस्व अधिनियम 1955 के अंतर्गत बंजर भूमि का राजस्थान सरकार के पट्टे पर आवंटन प्राप्त करने का प्रावधान है. राजस्थान में इसकी खेती को विकसित करने में इस्ज्रयाली वैज्ञानिकों की सहायता से दो फार्म विकसित किये गए हैं. जिसमें से एक फतेहपुर सिकरी और दूसरा ढन्द जयपुर में स्थिति है.
जोजोबा की खेती के लिए जलवायु एवं भूमि
जोजोबा के पौधे न्यूनतम माइनस 2- 55 डिग्री तक तापमान सह लेते हैं इसे सभी जगह उगाया जा सकता है इसके पौधे को 300 मिमी० बारिश की जरुरत होती है लेकिन 125 मिमी० बारिश वाले क्षेत्रों में यह अच्छी तरह पल जाते है. इसके पौधों को कोहरा और धुंध से हानि पहुंचती है. उतपादन भी कम भो जाता है. खेती के लिए रेतीली, अच्छे जल निकास वाली, अम्ल रहित भूमि की जरूरत होती है. मिट्टी का ph मान 7.3- 8.3 के बीच होना चाहिए.
जोजोबा का पौध रोपण
पौध रोपण के लिए बीजों से पहले नर्सरी तैयार करें या फिर बीजों को सीधे खेत में उगा सकते हैं पौधे के अच्छे विकास के लिए पौधे से पौधे की दूरी 2 मीटर और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 4 मीटर रखना उचित होता है.
जोजोबा की सिंचाई एवं उर्वरक
जोजोबा की खेती में अधिक सिंचाई की जरुरत नहीं होती. लेकिन पौधों के रोपण के बाद सिंचाई करनी चाहिए, इसके बाद जब तक पौधे की जड़ न ज़मने लगे तब तक सिंचाई की जरूरत होती है पौधे की जड़े दो साल में गहराई तक चली जाती है इसके बाद सिंचाई की जरूरत न के बराबर होती है शुरुआत में ड्रिप सिस्टम का उपयोग किया जाए तो पौधों का विकास अच्छा होता है. जोजोबा के पौधों को किसी विशेष उर्वरक की जरूरत नहीं होती है लेकिन पौधे के अच्छे विकास के लिए थोड़ी मात्रा में खाद एवं उर्वरक का प्रयोग कर सकते हैं.
जोजोबा की उपज
जोजोबा का पौधा 3- 4 साल में फल देना शुरू करता है लेकिन शुरूआत में इसका पौधा कम फल देता है पर जब पौधा वयस्क हो जाते है तो औसतन 10 से 13 क्विंटल बीज प्रति हेक्टेयर मिलता है. इनके बीजों का बाजार में अच्छा मूल्य मिलता है. वर्तमान समय में इनका बाजार मूल्य लगभग 30,000 से 35,000 रुपये प्रति क्विंटल है.
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