Top 5 Improved Varieties Of Peas: मटर एक ठंडे मौसम की फसल है, इसकी बुवाई अक्टूबर-नवंबर के दौरान की जाती है. वहीं, फरवरी मार्च में इसकी फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इसकी खेती के लिए दोमट या हल्की मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है, जिसका पीएच स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए. अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी होने से इसकी उपज अच्छी होती है, क्योंकि जलभराव से इसकी फसल खराब होने का खतरा बना रहता है. मार्केट में मटर की अच्छी खासी मांग रहती है, जिससे इसका दाम भी किसानों को अच्छा खासा मिल सकता है. ऐसे में किसान मटर की उन्नत किस्मों का चयन करके फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं.
आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें, मटर टॉप 5 उन्नत किस्में, जो देती है बंपर पैदावार!
काशी नंदिनी किस्म
मटर की खेती से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसान भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी के द्वारा विकसित मटर की काशी नंदिनी किस्म की खेती कर सकते हैं. इस किस्म की खेती जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड, कर्नाटक, पंजाब, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में की जाती सकती है. मटर की यह एक जल्द पकने वाली किस्म है, जिसके पौधे की ऊंचाई लगभग 47 से 51 सेमी तक रहती है. इस किस्म की बुवाई के 32 दिनों के बाद फसल में फूल आने शुरू हो जाता है. काशी नंदिनी किस्म के प्रत्येक पौधे पर 7 से 8 फलियां आती है, जिनकी लंबाई 8 से 9 सेमी तक रहती है. इसकी हर एक फली में 8 से 9 बीज आते हैं. मटर की इस किस्म की बुवाई करने के 60 से 65 दिनों में ही उपज तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. किसान एक हैक्टेयर में इस किस्म की खेती करके लगभग 110 से 120 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.
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ऑर्केट मटर किस्म
मटर की खेती से बेहतरीन पैदावार प्राप्त करने के लिए किसान ऑर्केट किस्म की खेती करके सकते हैं. कम समय में अच्छी कमाई के लिए इस किस्म को उपयुक्त माना जाता है. मटर की यह एक यूरोपियन किस्म है, जिसके दानें मीठे होते हैं. इस किस्म की मटर का आकार लगभग तलवार के जैसा होता है और फली की लंबाई 8 से 10 सेंटीमीटर तक होती है. इसकी प्रत्येक फली में 5 से 6 दाने देखने को मिलते हैं. बुवाई के 60 से 65 दिनों के भीतर ही इस किस्म की मटर की फसल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. किसान मटर की इस किस्म की एक एकड़ खेत में खेती करके लगभग 16 से 18 क्विंटल पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.
पंत मटर 155 किस्म
अक्टूबर-नवंबर में मटर की पंत मटर 155 किस्म की बुवाई करना फायदा के सौदा साबित हो सकती है. मटर की यह एक संकर किस्म है, जिसे डीडीआर-27 और पंत मटर 13 किस्म के संकरण से तैयार किया गया है. बुवाई के लगभग 30 से 35 दिनों के अंदर ही इसके पौधे में फूल आने शुरू हो जाते हैं और 50 से 55 दिनों में इसकी हरी फलियां तैयार हो जाती हैं. मटर की इस किस्म में पौधों पर चूर्ण फफूंद और फली छेदक रोग का प्रकोप काफी कम होता है. किसान इस किस्म की एक हैक्टेयर की खेती करके 15 टन तक हरी फलियां प्राप्त कर सकते हैं.
पूसा थ्री मटर किस्म
अक्टूबर-नवंबर के महीने के दौरान किसान मटर की पूसा थ्री मटर किस्म की बुवाई कर सकते हैं. यह मटर की अगेती किस्म हैं, जिसे 2013 में उत्तर भारत के किसानों के लिए विकसित किया गया था. मटर की यह उन्नत किस्म बुवाई के लगभग 50 से 55 दिनों के भीतर तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. इसकी हर एक फली में 6 से 7 दाने आते हैं. अगर किसान एक एकड़ में मटर की पूसा थ्री मटर किस्म की खेती करते हैं, तो लगभग 20 से 21 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं.
अर्ली बैजर किस्म
मटर की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए किसान अक्टूबर-नवंबर महीने में मटर की अर्ली बैजर किस्म की खेती कर सकते हैं. मटर की यह एक विदेशी किस्म है, जिसकी फलियों में मटर के दानें झुर्रीदार होते हैं. मटर की इस किस्म का पौधा बौना होता है. इस किस्म की बुवाई के लगभग 50 से 60 दिनों के बाद ही फसल पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. मटर की इस किस्म की प्रत्येक फली में लगभग 5 से 6 दाने आते है. यदि किसान मटर की अर्ली बैजर किस्म की खेती एक हेक्टेयर में करते हैं, तो इससे करीब 10 टन तक हरी फलियां प्राप्त कर सकते हैं.
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