गेहूं की बुवाई (Cultivation of Wheat) अधिकतर धान के बाद की जाती है. अतः गेहूं की बुवाई (Wheat farming) में ज्यादातर देर हो जाती है. ऐसे में हमें पहले से यह निश्चित कर लेना होगा कि खरीफ में धान की कौन सी किस्म का चयन करें और रबी में उसके बाद गेहूं की कौन सी किस्म बोएं. जो कम समय में अधिक उपज दें.
ऐसे में आइए आज हम आपको भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा रिलीज की गई गेहूं की उन कुछ उन्नत क़िस्मों (Improved varieties of wheat) के बारें में आपको बताते हैं जो कम समय में अधिक उपज देते हैं-
1. गेहूं HD 3043 - उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र
गेहूं की इस किस्म की उपज लगभग 66 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. गेहूं की इस किस्म ने स्ट्राइप रस्ट्स और लीफ रस्ट के खिलाफ उच्च स्तर का प्रतिरोध दिखाया है. इसके साथ ही इसमें ग्लू -1 स्कोर, 8/10 के साथ रोटी बनाने के लिए सबसे अच्छा HMW सब-यूनिट संयोजन है. इसमें ब्रेड लोफ वॉल्यूम (cc), ब्रेड क्वालिटी स्कोर का भी उच्च मात्रा है.
2. गेहूं HI 1563 - उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र की देर से बुवाई हेतु
गेहूं की इस किस्म में धारी, तना और पत्ती के जंग का उच्च प्रतिरोध है. इसके साथ ही गेहूं के इस किस्म की उपज 38 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. HI 1563 एक अच्छी गुणवत्ता वाला गेहूं जीनोटाइप है जिसमें रोटी, चपाती और बिस्किट की गुणवत्ता अच्छी है. इसमें लौह, जस्ता और तांबे जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं.
3. गेहूं एचडी 2987 (पूसा बहार)
गेहूं का यह किस्म महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गोवा और तमिलनाडु के मैदानी इलाकों में बुवाई हेतु उपयुक्त हैं. वर्षा आधारित जगहों पर इसकी उपज 20-22 क्विंटल / हेक्टेयर, सीमित सिंचाई वाले क्षेत्रों में - 30-32 क्विंटल / हेक्टेयर है. गेहूं की यह किस्म रोटी बनाने के लिए उपयुक्त हैं.
4. गेहूं एचडी 2985 (पूसा बसंत)
गेहूं की यह किस्म पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, असम और मैदानी में बुवाई हेतु है. गेहूं की इस किस्म की उपज 35-40 क्विंटल / हेक्टेयर है. यह 105-110 दिनों में तैयार हो जाता है.
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पता: पूसा, नई दिल्ली, दिल्ली 110012
फोन: 011 2584 3375
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