1. Home
  2. खेती-बाड़ी

मिश्रित खेती करके किसान कमाए डबल मुनाफा, ये हैं विधि

भारत में अधिकतर किसानों के पास जमीन काफी कम होती है. इसलिए वे एक या दो तरह की फसलें ही ले पाते हैं. जिसके चलते उन्हें कम मुनाफा कम होता है. कम जमीन वाले ऐसे किसानों के लिए मिश्रित खेती का मॉडल काफी मददगार साबित हो सकता है. खरीफ की फसलों में वे तीन चार तरह की फसलों का उत्पादन कर सकते हैं. आइए जानते हैं मिश्रित खेती का यह मॉडल क्या है-

श्याम दांगी
kheti

भारत में अधिकतर किसानों के पास जमीन काफी कम होती है. इसलिए वे एक या दो तरह की फसलें ही ले पाते हैं. जिसके चलते उन्हें कम मुनाफा कम होता है. कम जमीन वाले ऐसे किसानों के लिए मिश्रित खेती का मॉडल काफी मददगार साबित हो सकता है. खरीफ की फसलों में वे तीन चार तरह की फसलों का उत्पादन कर सकते हैं. आइए जानते हैं मिश्रित खेती का यह मॉडल क्या है-

कैसे ले सकते हैं पैदावार

मध्यप्रदेश के रायसेन के रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्विद्यालय के डॉ. शुभम कुमार कुलश्रेष्ठ आज कल मिश्रित खेती का यह फार्मूला किसानों सीखा रहे हैं, जिससे कि किसानों की आमदानी बढ़ाई जा सके. डॉ. कुलश्रेष्ठ के मुताबिक, किसान तिलहन, अनाज, दलहन और एक मसाले वाले खेती आसानी से उगा सकता है. ये फसलें कम जलभराव वाली जमीन पर करना चाहिए ताकि फसल को कीड़ों और अन्य बीमारियों के प्रकोप से बचाया जा सकें. उनका कहना है कि ये छोटी जोत के किसानों के लिए काफी उपयोगी है.  इससे किसानों को आर्थिक रूप से तंगी का सामना भी नहीं करना पड़ता है.

ऐसे करें फसलों का चयन

फसलों के चयन को लेकर उनका कहना है कि मिश्रित खेती के लिए तिलहन में मूंगफली, तिल, दलहन में मूंग, उड़़द, अरहर, अनाज में ज्वार, बाजरा और सुखा सहन करने वाले चावल और मसालेदार फसल में हल्दी व अदरक का चुनाव कर सकते हैं.

kheti

फसल लगाने की विधि

बता दें कि मिश्रित खेती के लिए इन फसलों के लगाने की विधि ही सबसे अहम होती है. ऐसे में किसान को इसके लगाने की विधि पर विशेष ध्यान देना चाहिए. डॉ. कुलश्रेष्ठ के मुताबिक, सबसे पहले सीड ड्रिल विधि से तिलहन की फसल जैसे मूंगफली और तिल की बुवाई कर दें. एक और दूसरी तरफ से लौटती सीड ड्रिल की दूरी में डेढ़ से दो फीट की दूरी रखें. बची जगह की पहली पंक्ति में अरहर या दूसरी दलहन फसल करीब और जिससे करीब दो फीट की दूरी पर मसाले वाली फसल जैसे हल्दी या अदरक की बुवाई कर दें. इसके बाद सीड ड्रिल द्वारा छोड़ी गई जगह में अनाज जैसे बाजरा या ज्वार की बुवाई कर दें. 

मिश्रित खेती के फायदें-

1- डॉ. कुलश्रेष्ठ के मुताबिक मिश्रित खेती छोटी जोत के किसानों के लिए वरदान है. दरअसल, एक दलहन और एक अनाज के बीच में हुई कोई भी तीसरी फसल किसी भी तरह के रोगों के प्रकोप से बहुत आसानी से बच जाती है। ऐसे में यदि एक फसल खराब हो जाती है तीन फसलें या दो फसलें आसानी से पैदा की जा सकती है.

2- वहीं इससे किसानों की आय में इजाफा होता है.  उनका कहना है कि मिश्रित फसल के चुनाव से सभी फसलें अलग-अलग समय पर आती हैं. जिस कारण से किसानों की आय आने की सुनिश्चितता बनीं रहती है. वहीं उन्हें दूसरी फसलों के बुवाई में आर्थिक रूप से भी मदद मिल जाती है.  

English Summary: small farmers can get better production by adopting this model of intercropping in kharif Published on: 20 September 2020, 01:06 PM IST

Like this article?

Hey! I am श्याम दांगी. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News