ज्यादा दूध उत्पादन के लिए पशु चारे के लिए ज्वार की ये किस्म बोएं

देश में उन्नत नस्ल के पशुओं के पालन के प्रति लोगों का रुझान लगातार बढ़ रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है पशुपालन के धंधे से लोगों को मुनाफा बहुत है, क्योंकि देश में जनसंख्या के हिसाब से दूध देने वाले पशुओं की संख्या का अनुपात बहुत कम है. जहां एक तरफ पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई तरह से मदद कर रही है तो वहीं हरे चारे की भी बहुत कमी है. ऐसे में पशुओं के लिए पर्याप्त चारे की व्यवस्था करना बेहद जरूरी है. पशुओं के चारे की पूर्ति ज्वार की खेती से की जा सकती है. यही वजह है कि कृषि वैज्ञानिकों ने ज्वार की एक नई और उन्नत किस्म विकसित की है. जो फायदे का सौदा साबित हो सकती है.
ज्वार की सीएसवी 44 एफ किस्म (CSV 44 F Variety)
ज्वार की इस नई किस्म का नाम सीएसवी 44 एफ किस्म है जिसे हरियाणा के हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के आनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के चारा अनुभाग द्वारा विकसित किया गया है. इसके लिए विभाग ने एक अधिसूचना जारी करके जानकारी दी.
सीएसवी 44 एफ किस्म की विशेषताएं:
1. ज्वार की अन्य किस्मों की तुलना में इस किस्म में प्रोटीन और पाचनशीलता की अधिकता है. इस वजह से इसका चारा पशुओं में दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी करता है.
2. स्वादिष्टता और मिठास अधिक होने की वजह से पशु इस चारे को खाना अधिक पसंद करते हैं.
3. ज्वार की अन्य किस्मों जैसे सीएसवी 30 एफ और सीएसवी 21 एफ की तुलना में इससे 5.7 से 7.5 फीसदी अधिक पैदावार ली जा सकती है.
4. इस किस्म की ये भी बड़ी खासियत है कि ये अधिक बारिश या तेज हवाओं में भी गिरती नहीं है. इससे पैदावार में नुकसान नहीं होता है. वहीं इस किस्म की खेती लवणीय मिट्टी में भी की जा सकती है.
5. इस किस्म को उगाने के लिए संशोधित राज्य इस प्रकार है: महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक.
6. यह किस्म पत्तों की बीमारी और तनाछेदक कीट प्रतिरोधक होने के कारण फसल में कोई नुकसान नहीं होता है.
विश्वविद्यालय द्वारा विकसित अन्य किस्में कौनसी हैं?
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने इसके अलावा ज्वार इन प्रमुख किस्मों को विकसित किया है जिसमें एचजे 541, एचजे 513, एचसी 308, एसएसजी 59-3 और एचसी 136 शामिल है.
English Summary: scientists have developed a new and improved variety of sorghum for animal feed
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