रबड़ उत्पादन (Rubber Cultivation) के मामले में भारत को विश्व में चौथा स्थान प्राप्त है. केरल सबसे ज्यादा रबड़ उत्पादन करने वाला राज्य है. इसके साथ ही भारत के अन्य राज्यों में भी रबड़ की खेती (Rubber Cultivation) की जाती है. रबड़ का उपयोग शोल, टायर, इंजन की सील, गेंद, इलास्टिक बैंड व इलेक्ट्रिक उपकरणों जैसी चीज़ों को बनाने में किया जाता है.
कोरोनाकाल में इसका उपयोग पीपीटी किट बनाने में भी किया गया था. लिहाजा रबड़ की डिमांड बढ़ती जा रही है. किसानभाई चाहे तो रबड़ की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इस लेख में हम आपको रबड़ की खेती के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं कि कैसे आप रबड़ की खेती शुरु कर सकते हैं, कहां से बीज प्राप्त कर सकते हैं और रबड़ खेती के लिए क्या सरकारी योजनाएं (Rubber Farming Schemes) हैं.
रबड़ के लिए अनुकूल जलवायु-
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रबड़ क पेड़ को फ़िकल इलास्टिका कहा जाता है. यह पौधा मुख्य तौर पर दक्षिण पूर्व एशिया में उष्णकटिबंधीय जलवायु वाले इलाकों में पाया जाता है. यह सदाबहार पौधा है.
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रबड़ की खेती के लिए लेटेराइट युक्त लाल दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है. मिट्टी का पीएच लेवल 4.5 से 6.0 के बीच होना चाहिए.
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पौधों को लगाने का सही समय जून से जुलाई के मध्य है. पौधों के विकास के लिए समय समय पर पोटाश, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस से पर्याप्त मिश्रित उर्वरकों की आवश्यकता होती है.
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रबड़ के पौधों को अधिक पानी की जरुरत होती है, सूखापन में पौधा कमजोर होता है, इसमें बार बार सिंचाई की आवश्यकता होती है. न्यूनतम 200 सेमी वर्षा वाले क्षेत्र उत्पादन के लिए उपयुक्त होते हैं.
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इसकी खेती के लिए अधिक प्रकाश और नम जमीन की आवश्यकता होती है. तापमान 21 से 35 डिग्री के बीच होना चाहिए. आद्रजलवायु में पौधे तेजी से बढ़ते हैं.
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बीजों के माध्यम से नर्सरी में पौधे तैयार किए जाते हैं, फिर उनका पौधारोपण किया जाता है. कलम विधि अपनाकर नए पौधे बनाए जाते हैं. खरपतवार नियंत्रण के लिए समय समय पर निराई-गुड़ाई आवश्यक है.
कैसे होता है रबड़ का उत्पादन-
रबड़ का पेड़ 5 वर्ष का होने पर उत्पादन देना शुरु करता है. इसके तनों से रबरक्षीर निकलता है. इसके तनों में छेद कर पेड़ से निकलने वाले दूध को इकट्ठा किया जाता है, इसे लेटेक्स कहते हैं. इसके बाद एकत्रित लेटेक्स का केमिकल्स के साथ परीक्षण करते हैं, जिससे अच्छी क्वालिटी का रबड़ मिलता है. इसके बाद लेटेक्स को सूखाते हैं, जिससे कड़क रबड़ प्राप्त होता है. रबड़ के पेड़ से लेटेक्स सांद्रण, सॉलिक ब्लॉक रबड़, ड्राई क्रीप रबड़, शुष्क रिब्ड शीट रबड़ आदि प्राप्त किए जा सकते हैं. फिर इस रबड़ के उपयोग से अलग अलग वस्तुएं बनाई जाती हैं.
रबड़ की उन्नत किस्में-
भारतीय रबड़ अनुसंधान संस्थान ने कई सालों की रिसर्च के बाद रबड़ की कई उन्नत किस्में विकसित की हैं, जिनसे अच्छी मात्रा में लेटेक्स प्राप्त होता है. और इनकी लकड़ी भी अच्छी क्वालिटी की होती है. टीजीआईआर 1, आरआरआईआई 105, आरआरआईएम 600, आरआरआईएम 703, आरआरआईआई 5, बीडी 5, बीडी 10, पीआर 17, जीटी 1, पीबी 28/59, पीबी 86, पीबी 217, पीबी 235, पीबी 260 और पीसीके-1, 2 आदि रबड़ की उन्नत किस्में हैं.
रबड़ की प्रोसेसिंग-
रबड़ के पेड़ से प्राप्त लेटेक्स को सुखाया जाता है, जिससे रबड़ शीट व दूसरे प्रोडक्ट्स बनाए जाते हैं. रबड़ शीट का इस्तेमाल टायर, ट्यूब के अलावा कई उत्पाद बनाने में किया जाता है. यानि कि रबड़ के पौधे से प्राप्त लेटेक्स को कई बार प्रोसेसिंग की प्रकिया से गुजरना होता है, इसके बाद विभिन्न प्रोडक्ट्स तैयार किए जाते हैं.
कहां से लें बीज, कहां बेचे उत्पादनः
रबड़ की खेती शुरु करने से पहले आप रबर बोर्ड व कृषि वैज्ञानिक से सलाह ले सकते हैं. छोटे व सीमांत किसान स्थानीय रबड़ नर्सरी से जाकर पौधे खरीद सकते हैं. रबड़ उत्पादन के लिए रबर बागान योजना के तहत किसानों को बीज उपलब्ध कराए जाते हैं. बिक्री की बात करें, तो किसानभाई बड़ी-बड़ी कंपनियां व प्रोसेसिंग यूनिट्स को अपनी फसल बेच सकते हैं.
एक बार लगाने पर 40 साल तक देता है उत्पादन-
रबड़ का पेड़ 5 वर्ष का होने पर उत्पादन देने शुरु कर देता है, लेकिन 14 साल में उत्पादन हाई लेवल पर पहुंचता है और लगभग 40 वर्षों तक पैदावार देते रहता है. एक एकड़ में 150 पौधे लगाए जा सकते हैं. एक पेड़ से एक साल में 2.75 किलो तक रबर प्राप्त होता है. इस तरह किसानभाई 70 से 250 किलो तक रबड़ प्राप्त कर सकते हैं. रोपाई के 14 साल से लेकर 25 साल तक लेटेक्स का सर्वोत्तम उत्पादन प्राप्त होता है. हालांकि 25 साल बाद पेड़ों से लेटेक्स का उत्पादन कम हो जाता है. जिसके बाद इन्हें दूसरे कामों के लिए बेच दिया जाता है. 40 साल के बाद पेड़ गिर जाते हैं. इन पेड़ों का इस्तेमाल रबड़वुड फर्नीचर बनाने में होता है.
रबड़ उत्पादन के लिए योजनाएं-
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रबड़ प्लांटेशन डेवलपमेंट स्कीम और रबड़ ग्रुप प्लांटिंग स्कीम- केंद्र सरकार के द्वारा चलाई जा रही इस योजना के तहत किसानों को रबड़ उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. साथ ही रबड़ के बागानों में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानि एफडीआई की अनुमति है.
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राष्ट्रीय रबड़ नीति 2019 के तहत रबड़ उत्पादकों के सामने आने वाली समस्याओं का टास्क फोर्स के द्वारा समाधान किया जाता है.
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इसके अलावा केरल के कोट्टायम में रबड़ बोर्ड ऑफ इंडिया स्थापित है. जो रबड़ की खेती, इसमें अनुसंधान, विकास, प्रशिक्षण गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है.
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रबड़ का मुख्य उत्पादन केरल में होता है. राज्य सरकार के द्वारा रबड़ उत्पादन प्रोत्साहन योजना चलाई जा रही है, जिसके तहत किसानों को रबड़ बिक्री, प्रसंस्करण आदि में सहयोग किया जाता है.
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