महंगाई के इस दौर में नई तरह की खेती करना जरूर हो जाता है. यही वजह की काले गेहूं की लगातार मांग बढ़ रही है. अब काले गेहूं की खेती के लिए इसके बीज की भी काफी मांग है. आपको बता दें कि काले गेहूं में सामान्य गेहूं की तुलना में कई गुना ज्यादा औषधीय गुण होते हैं. इसीलिए ही किसानों के बीच काले गेहूं की मांग बढ़ती नजर आ रही है.
क्यों बढ़ रही है काले गेहूं के बीज की मांग?
भारत में ना केवल काले गेहूं की खेती (black wheat farming) की लोकप्रियता बढ़ रही है बल्कि इसके बीज की भी बहुत ज्यादा डिमांड है. काले गेहूं का बीज अभी तक हर बाजार में नहीं पहुंचा है. इसीलिए इसकी उपलब्धि कम है. फिलहाल काले गेहूं का बीज हासिल करने के लिए किसानों को उन किसानों के पास जाना पड़ रहा है जो इसकी खेती करते हैं. इस लिहाज से बीज खरीदने में ज्यादा लागत आ रही है, और जो किसान काले गेहूं की खेती पहले से कर रहे हैं वो हर तरह मुनाफा कमा रहे हैं.
कहां विकसित किया गया है काले गेहूं का बीज?
सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अंतर्गत 13 कृषि विज्ञान केंद्रों के जरिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है कि कैसे वह दूसरे किसानों से काले गेहूं का बीज खरीद कर इसकी खेती करें. क्योंकि एक बार बुवाई के बाद बीज की कमी भी नहीं रहेगी और इसका बीज तैयार करके किसान भारी मुनाफा भी कमा सकते हैं. आपको बता दें कि काले गेहूं का बीज पंजाब में मौजूद नेशनल एग्री फूड बायोटैक्रालॉजी इंस्टीट्यूट (नाबी) द्वारा विकसित किया गया है.
काले गेहूं में मौजूद औषधीय गुण (health benefits of black wheat)
काले गेहूं की खेती केवल मुनाफा कमाकर ही नहीं देती है बल्कि हमारे शरीर को स्वस्थ भी बनाती है. काले गेंहू में कैंसर, शुगर, मोटापा, कोलेस्ट्राल और दिल से जुड़ी समस्याओं से लड़ने की अपार शक्ति है. सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरएस सेंगर बताते हैं कि काले गेहूं में मानव स्वास्थ्य से जुड़े कई सारे औषधीय गुण पाए जाते हैं जो हमें शारीरिक समस्याओं व रोगों से लड़ने में मदद करते हैं.
कब कर सकते हैं काले गेहूं की बुवाई (When you should sow the black wheat)
वैसे तो नवंबर का महीना काले गेहूं की बुवाई के लिए उत्तम समय माना जाता है लेकिन अगर आप इसकी बुवाई 10 दिसंबर तक भी करते हैं तो भी कोई खास दिक्कत नहीं आएगी.
इन किसानों से मंगवा सकते हैं बीज
मुजफ्फरनगर में बड़कली गांव के रहने वाले ओमकार त्यागी बताते हैं कि तकरीबन दो साल पहले वह बाजार से एक किलो काले गेहूं का बीज लेकर आए थे. फिर ओमकार ने उन बीजों की बुवाई कर ढेर सारे अन्य बीज तैयार किए. और आज के समय में वह काले गेहूं का बीज अपने नजदीकी किसानों को भी उपलब्ध करवा रहे हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने मुजफ्फरनगर और सहारनपुर के 10 से 15 किसानों को 40 किलो काले गेहूं के बीज उपलब्ध करवाए हैं.
मेरठ के नांरगपुर गांव में रहने वाले किसान टीटू कुमार प्रजापति बताते हैं कि उन्होने दो बीघा जमीन में काले गेहूं की बुवाई कर रखी है. वह काले गेहूं का बीज तैयार करने के बाद 80 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचेंगे.
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