किसानों के लिए खेती के तीन सीजन बहुत अहम माने जाते हैं, रबी, खरीफ और जायद. किसान हर साल सीजन के अनुसार ही अपने खेतों में फसलों की बुवाई करते हैं. बता दें कि रबी और खरीफ के मध्य में बोई जाने वाली फसलों को जायद की फसल (Zaid Crop) कहा जाता है.
यानी साल की दो मुख्य फसलों के बीच में या फिर किसी मुख्य फसल के पहले कम समय में उगाई जाने वाली फसल को जायद या अंतवर्ती फसल (Zaid Crop) कहा जाता है. जायद खेती में कृषि उत्पादन वृद्धि के लिए उपलब्ध संसाधनों का समुचित व सामयिक उपयोग करना बहुत ज़रूरी होता है. किसान भाईयों को बता दें कि जायद फसलों (Zaid Crop) की खेती के समय मुख्य दो बातों को खास ध्यान रखना होता है. पहली बात समुचित सिंचाई सुविधा का प्रबंध करना और दूसरी बात जायद फसल बोने के उपयुक्त समय पर खेत का खाली होना. आइए अब आपको जायद फसल से जुड़ी सामान्य और अहम जानकारी देते हैं.
क्या होती है जायद फसल?
जायद की फसलों में रबी और खरीफ की फसलों से अधिक तेज गर्मी व शुष्क हवाएं सहन करने की अच्छी क्षमता होती हैं. मगर यह मौसम खरीफ फसलों की खेती के लिए मिट्टी के नमूने इकठ्ठा कर उनकी जांच कराने का सबसे उपयुक्त समय होता है.
जायद सीजन की फसलें
इस सीजन में प्रमुख रूप से टिंडा, तरबूज, खरबूज, खीरा, ककड़ी, लौकी, तुरई, भिंडी, टमाटर, अरबी आदि सब्जियों की खेती की जाती है. इसके अलावा मूंग, उर्द, मूंगफली, चना, हरा चारा, कपास व जूट की बुवाई कर जाती है.
कब करें जायद फसलों की बुवाई
अब जायद सीजन की फसलों की बुवाई (Zaid Crops Sowing) का उपयुक्त समय चल रहा है. इन फसलों की बुवाई मार्च से कर सकते हैं. जिन किसानों ने अपने खेतों में गाजर, फूलगोभी, पत्तागोभी और आलू की खेती की थी, अब इन फसलों के खेत खाली हो गए हैं. किसान इन खाली खेतों में जायद सीजन की फसलों की बुवाई कर सकते हैं.
जायद फसलों की बुवाई का तरीका
इस सीजन की फसलों की बुवाई हमेशा पंक्तियों में करना चाहिए. किसानों को बेल वाली किसी भी फसल जैसे लौकी, तुरई व टिंडा फसल के पौधे अलग-अलग जगह न लगाकर एक ही क्यारी में लगाना चाहिए. अगर लौकी की बेल लगा रहे हैं, तो इनके बीच में अन्य कोई बेल जैसे:- करेला, तुरई आदि न लगाएं. बता दें कि बेल वाली सब्जियां कई बार फल छोटी अवस्था में ही गल कर झड़ने लगती है, इसलिए बेल वाली सब्जियों की बुवाई के लिए 40 से 45 सेंटीमीटर चौड़ी और 30 सेंटीमीटर गहरी लंबी नाली बनानी चाहिए. इसके साथ ही पौधे से पौधे की दूरी लगभग 60 सेंटीमीटर रखनी चाहिए.
नाली के दोनों किनारों पर सब्जियों के बीच या पौध रोपण करना चाहिए. इसके अलावा बेल के फैल पाए, इसके लिए नाली के किनारों से लगभग 2 मीटर चौड़ी क्यारियां बनानी चाहिए. अगर जगह कम है, तो नाली के सामानांतर लंबाई में ही लोहे के तारों की फैंसिग लगाएं और इस पर बेल का फैलाव कर दें. अगर किसान इस तरह जायद फसलों की खेती करते हैं, तो इससे उन्हें फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त होती है.
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