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Vegetable Farming 2022: इन सब्जियों की खेती कर जायद में लें अच्छी पैदावार...

किसान भाइयों फरवरी माह से जायद की फसलों को बोने का समय शुरू हो जाता है. जायद फसलों की बुवाई फरवरी माह से शुरू होकर मार्च तक चलती है. इन महीनों में बोने पर ये फसलें अच्छी पैदावार देती है. इस मौसन में ककड़ी, खीरा, लौकी, करेला, पेठा, तोरई, पालक, फूलगोभी, भिन्डी, बैगन, अरबी जैसी सब्जियों की बुवाई करना उचित होता है.

KJ Staff
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जायद फसलों की बुवाई

किसान भाइयों फरवरी माह से जायद की फसलों को बोने का समय शुरू हो जाता है. जायद फसलों की बुवाई फरवरी माह से शुरू होकर मार्च तक चलती है. इन महीनों में बोने पर ये फसलें अच्छी पैदावार देती है. इस मौसम में ककड़ी, खीरा, लौकी, करेला, पेठा, तोरई, पालक, फूलगोभी, भिन्डी, बैगन, अरबी जैसी सब्जियों की बुवाई करना उचित होता है.

ककड़ी (Cucumber)

ककड़ी की बुवाई के लिए एक उपयुक्त समय फरवरी से मार्च ही होता है लेकिन अगेती फसल लेने के लिए पॉलीथीन की थैलियों में बीज भरकर उसकी रोपाई जनवरी में भी की जा सकती है. इसके लिए एक एकड़ भूमि में एक किलोग्राम बीज की ज़रूरत होती है. इसे लगभग हर तरह की ज़मीन में उगाया जा सकता है.

भूमि की तैयारी के समय गोबर की खाद डालें व खेत की तीन से चार बार जुताई करके सुहागा लगाएं. ककड़ी की बीजाई 2 मीटर चौड़ी क्यारियों में नाली के किनारों पर करनी चाहिए. पौधे से पौधे का अंतर 60 सेंटीमीटर रखें. एक जगह पर दो – तीन बीज बोएं. बाद में एक स्थान पर एक ही पौधा रखें.

लौकी (Gourd)

लौकी की खेती कर तरह की मिट्टी में हो जाती है लेकिन दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी होती है. लौकी की खेती के लिए एक हेक्टेयर में 4.5 किलोग्राम बीज की ज़रूरत होती है. बीज को खेत में बोने से पहले 24 घंटे पानी में भिगोने के बाद टाट में बांध कर 24 घंटे रखें. करेले की तरह लौकी में भी ऐसा करने से बीजों का अंकुरण जल्दी होता है.

लौकी के बीजों के लिए 2.5 से 3.5 मीटर की दूरी पर 50 सेंटीमीटर चौड़ी व 20 से 25 सेंटीमीटर गहरी नालियां बनानी चाहिए. इन नालियों के दोनों किनारे पर गरमी में 60 से 75 सेंटीमीटर के फासले पर बीजों की बुवाई करनी चाहिए. एक जगह पर 2 से 3 बीज 4 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं.

करेला (Bitter Gourd)

हल्की दोमट मिट्टी करेले की खेती के लिए अच्छी होती है. करेले की बुवाई दो तरीके से की जाती है – बीज से और पौधे से. करेले की खेती के लिए 2 से 3 बीज 2.5 से 5 मीटर की दूरी पर बोने चाहिए. बीज को बोने से पहले 24 घंटे तक पानी में भिगो लेना चाहिए इससे अंकुरण जल्दी और अच्छा होता है. नदियों के किनारे की ज़मीन करेले की खेती के लिए बढ़िया रहती है. कुछ अम्लीय भूमि में इसकी खेती की जा सकती है. पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें इसके बाद दो – तीन बार हैरो या कल्टीवेटर चलाएं.

पेठा (Pumpkin)

पेठा कद्दू की खेती के लिए दोमट व बलुई दोमट मिट्टी सब से अच्छी मानी जाती है. इसके अलावा यह कम अम्लीय मिट्टी में आसानी से उगाया जा सकता है. पेठा की बुवाई से पहले खेतों की अच्छी तरह से जुताई कर के मिट्टी को भुरभुरी बना लेना चाहिए और 2-3 बार कल्टीवेटर से जुताई कर के पाटा लगाना चाहिए. इसके लिए एक हेक्टेयर में 7 से 8 किग्रा बीज की ज़रूरत होती है.

इसकी बुवाई के लिए लगभग 15 हाथ लंबा का एक सीधा लकड़ी का डंडा ले लेते हैं, इस डंडे में दो-दो हाथ की दूरी पर फीता बांधकर निशान बना लेते हैं जिससे लाइन टेढ़ी न बने. दो हाथ की दूरी पर लम्बाई और चौड़ाई के अंतर पर गोबर की खाद का सीधे लाइन में गोबर की खाद घुरवा बनाते हैं जिसमे पेठे के सात से आठ बीजे गाड़ देते हैं अगर सभी जम गए तो बाद में तीन चार पौधे छोड़कर सब उखाड़ कर फेंक दिए जाते हैं.

तोरई (Ridge Gourd)

हल्की दोमट मिट्टी तोरई की सफल खेती के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है. नदियों के किनारे वाली भूमि इसकी खेती के लिए अच्छी रहती है. इसकी बुवाई से पहले, पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें इसके बाद 2 से 3 बार बार हैरो या कल्टीवेटर चलाएं. खेत कि तैयारी में मिट्टी भुरभुरी हो जानी चाहिए. तोरई में निराई ज़्यादा करनी पड़ती है.

इसके लिए कतार से कतार की दूरी 1 से 1.20 मीटर और पौधे से पौधे की दूरी एक मीटर होनी चाहिए. एक जगह पर 2 बीज बोने चाहिए. बीज को ज़्यादा गहराई में न लगाएं इससे अंकुरण पर फर्क पड़ता है. एक हेक्टेयर ज़मीन में 4 से 5 किलोग्राम बीज लगता है.

भिंडी (Lady Finger)

भिंडी की अगेती किस्म की बुवाई फरवरी से मार्च के बीच करते हैं. इसकी खेती हर तरह की मिट्टी में हो जाती है. भिंडी की खेती के लिए खेत को दो-तीन बार जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा कर लेना चाहिए और फिर पाटा चलाकर समतल कर लेना चाहिए. बुवाई कतारों में करनी चाहिए. कतार से कतार दूरी 25-30 सेमी और कतार में पौधे की बीच की दूरी 15-20 सेमी रखनी चाहिए. बोने के 15-20 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करना जरुरी रहता है. खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक का भी प्रयोग किया जा सकता है.

पालक (Spinach)

पालक के लिए बलुई दोमट या मटियार मिट्टी अच्छी होती है लेकिन ध्यान रहे अम्लीय ज़मीन में पालक की खेती नहीं होती है. भूमि की तैयारी के लिए मिट्टी को पलेवा करके जब वह जुताई योग्य हो जाए तब मिट्टी पलटने वाले हल से एक जुताई करना चाहिए, इसके बाद 2 या 3 बार हैरो या कल्टीवेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए.

साथ ही पाटा चलाकर भूमि को समतल करें. पालक की खेती के लिए एक हेक्टेयर में 25 से 30 किलोग्राम बीज की ज़रूरत होती है. बुवाई के लिए कतार से कतार की दूरी 20 से 25 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर रखना चाहिए. पालक के बीज को 2 से 3 सेन्टीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए, इससे अधिक गहरी बुवाई नहीं करनी चाहिए.

बैंगन (Brinjal)

इसकी नर्सरी फरवरी में तैयार की जाती है और बुवाई अप्रैल में की जाती है. बैंगन की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है. नर्सरी में पौधे तैयार होने के बाद दूसरा महत्वपूर्ण कार्य होता है खेत को तैयार करना. मिट्टी परीक्षण करने के बाद खेत में एक हेक्टेयर के लिए 4 से 5 ट्रॉली पक्का हुआ गोबर का खाद् बिखेर दे. बैंगन की खेती के लिए दो पौधों और दो कतार के बीच की दूरी 60 सेंटीमीटर होनी ही चाहिए.

अरबी (Arbi)

अरबी की खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी अच्छी रहती है. इसके लिए ज़मीन गहरी होनी चाहिए. जिससे इसके कंदों का समुचित विकास हो सके. अरबी की खेती के लिए समतल क्यारियां बनाएं. इसके लिए कतार से कतार की दूरी 45 सेमी. व पौधे से पौधे की दूरी 30 सेमी होनी चाहिए. इसकी गांठों को 6 से 7 सेंटीमीटर की गहराई पर बो दें.

English Summary: Harvest these vegetables and get good yields ... Published on: 26 January 2018, 10:52 PM IST

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