तकनीक और उन्नत बीजों ने जहां एक ओर खेती की पैदावार को सुधारा है वहीं इसकी खराब गुणवत्ता में भी सुधार लाने का प्रयास किया है. खेती में अपनाई जाने वाली विधियों में प्लास्टिक मल्चिंग भी एक आधुनिक और उन्नत तकनीकी है. आज किसान इस विधि से कई तरह की फसलों को करके पैदावार तो बढ़ा ही रहे हैं साथ ही इस नई तकनीक के लाभ से अपने होने वाले मुनाफे में भी कई गुना तक की वृद्धि कर चुके हैं. यह प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक बागवानी किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होती है. इसके माध्यम से किसान 80 प्रतिशत तक ज्यादा उपज को पा सकते हैं.
सब्जी और बागवानी किसानों को होगा मोटा फायदा
प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक को हम सभी तरह की फसलों पर लागू नहीं कर सकते हैं. इसके लिए सब्जी या बागवानी करने वाले किसानों को ही अपनाना चाहिए. सामान्य विधियों के अलावा यह विधि किसानों को 80 प्रतिशत तक ज्यादा उपज देने में सक्षम है.
क्या है मल्चिंग तकनीक?
खेती की इस तकनीक में मल्चिंग का तात्पर्य उस प्रक्रिया से है जिसमें पौधों की जड़ों के चारो ओर की भूमि को इस प्रकार ढका जाये कि पौधों के आस-पास की जो भूमि है उसकी नमीं संरक्षित बनी रहे. इससे पौधों के आस-पास की भूमि में खरपतवार नहीं उगने पाते हैं साथ ही उनका तापमान भी सामान्य बना रहता है. यह मल्चिंग प्लास्टिक के साथ साथ प्राकृतिक रूप से भी किया जा सकता है. लेकिन प्लास्टिक मल्चिंग के परिणाम ज्यादा अच्छे प्राप्त होते हैं. इसके फायदे की बात करें तो इससे उत्पादकता तो बदती ही है साथ ही पानी कि बहुत ज्यादा बचत होती है.
क्या है प्लास्टिक मल्चिंग
सामान्य तौर पर किसान इसका प्रयोग खरपतवार को रोकने और भूमि की नमी बनाये रखने के लिए किया जाता है. इस विधि में पारदर्शी या काली प्लास्टिक का प्रयोग करते हैं. लेकिन काली प्लास्टिक इस प्रक्रिया में ज्यादा असरदायक है. काले रंग की फिल्म बहुत असरदायक और रखरखाव में आसान होती है. इसे पौध्रोपद के समय पौधों के चारो ओर बिछाया जाता है. इसे बीज बोने की क्यारी बनाने के साथ ही बिछा देना चाहिए. इसको बिछाने के बाद इसके किनारों को मिट्टी से दबा देना चाहिए. जिससे यह फिल्म हवा से कहीं न उड़े.
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इसके माध्यम से हम कंद वर्गीय फसलें, व्यावसायिक फसलें, चारा फसलें, पुष्प और बागवानी फसलों की खेती कर सकते हैं. लेकिन यह विधि सबसे ज्यादा बागवानी और सब्जी वाली खेती के लिए ज्यादा प्रयोग में लाइ जाती है.
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