अगर किसान रबी सीजन में सरसों की उन्नत किस्मों की बुवाई करते हैं, तो उन्हें फसल से अधिक उत्पादन और मुनाफा प्लेराप्त हो सकता है. इसके लिए किसानों को सरसों की उन्नत किस्मों का ज्ञान होना ज़रूरू है.
एक ऐसी ही उन्नत किस्म आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र भरपुर के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है. इस किस्म की बुवाई के प्रति लगातार किसानों को जागरुक किया जा रहा है. इस किस्म को एनआरसीएचबी-101 के नाम से जाना जाता है.
एनआरसीएचबी-101 किस्म की खासियत (Features of NRCHB-101 Variety)
इस किस्म की बुवाई से उत्पादन सामान्य सरसों बीज की तुलना में 5 क्विंटल तक अधिक होता है. बता दें कि सामान्य सरसों का उत्पादन 20 क्विंटल तक होता है, जबकि एनआरसीएचबी-101 किस्म से किसानों को 25 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त हो सकता है.
इसके अलावा दूसरी किस्म आवीएम-2 (राजविजय मस्टर्ड-2) को भी उन्नत की श्रेणी में रखा जाता है. इस किस्म से किसानों को 20 से 25 क्विंटत तक उत्पादन प्राप्त हो सकता है. बता दें इन दोनों ही किस्मों का बीज 60 से 85 रुपए प्रति किलो तक में उपलब्ध होता है, जबकि बाजार में इसका भाव 250 से 400 रुपए किलो तक होता है.
सरसों की खेती में सल्फर का प्रयोग (Use of sulfur in mustard cultivation)
जो किसान सरसों की खेती करते हैं, उनके लिए सल्फर का प्रयोग करना काफी जरूरी होता है. इससे तेल की गुणवत्ता सही होती है, साथ ही फसल में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. इसके अलावा मृदा सुधार भी होता है.
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बता दें कि इस किस्म की सरसों में 38 की जगह 41 प्रतिशत तक तेल की मात्रा मिलती है. इसका उत्पादन भी 25 से 30 क्विंटल तक मिल जाता है. इसके बीज भी किसानों को 4 से 5 गुना कम कीमत पर उपलब्ध कराए जाते हैं. किसानों की इस किस्म की बुवाई शुरू कर देना चाहिए, क्योंकि यह समय इसकी खेती के लिए उपयुक्त है और मौसम भी अनुकूल है. अभी इसके लिए पलेवा की जरूरत नहीं है.
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